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काबुल: तालिबान लड़ाकों (Taliban Fighters) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है. इसके साथ ही अब यह आशंका बढ़ गई है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Kabul) पर तालिबानी हमला (Talibani attack) होने में बस कुछ ही दिन बाकी हैं. एक सरकारी अधिकारी ने पुष्टि की है कि दक्षिण का आर्थिक केंद्र शहर कंधार (Kandahar) अब तालिबान के नियंत्रण में है. वहीं पश्चिम में हेरात (Herat) शहर भी अब इस कट्टर इस्लामी समूह के कब्जे में है.
20 साल से यहां युद्ध कर रहीं अमेरिकी नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय सेनाएं (International Forces) वापस जा चुकी हैं, जिसने तालिबानियों को देश के कई शहरों पर कब्जा करने का मौका दे दिया है. ईरान की सीमा से लगे 6 लाख की आबादी वाले शहर हेरात को लेकर प्रांतीय परिषद के सदस्य गुलाम हबीब हाशिमी ने बताया है, 'शहर की आगे की लाइन किसी भूतिया शहर की तरह दिखती है. यहां के परिवार या तो यहां से चले गए हैं या अपने घरों में छिपे हुए हैं.'
एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने कहा है कि अब इस बात को लेकर चिंता है कि 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका पर 11 सितंबर के हमलों के बाद से सत्ता से बेदखल हुआ तालिबान अब कुछ ही दिनों में काबुल पर कब्जा जमा सकता है. जबकि इससे पहले गुरुवार को ही राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को निकालने में मदद करने के लिए 3,000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजने की घोषणा है. इसे लेकर पेंटागन ने कहा है कि वीकेंड खत्म होने तक इनमें से अधिकांश सैनिक काबुल में होंगे. वहीं ब्रिटेन ने भी अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए एक सैन्य अभियान शुरू करने की पुष्टि की है.
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अफगानिस्तान के बिगड़ते हालातों के बीच जहां सभी देश अपने नागरिकों को वहां से निकालने की कोशिशों में जुटे हुए हैं, वहीं संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने कहा है कि वह अफगानिस्तान से अपने कर्मचारियों को नहीं निकालेगा. हालांकि UN देश के बाकी हिस्सों में रह रहे अपने कर्मचारियों को काबुल में स्थानांतरित कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सभी पक्षों से नागरिकों की सुरक्षा के लिए काम ज्यादा से ज्यादा काम करने का आग्रह करते हुए चेतावनी दी है कि 'अफगानिस्तान नियंत्रण से बाहर हो रहा है. यह आक्रामकता को काबू करने का समय है. यह गंभीर बातचीत शुरू करने और लंबे समय तक चलने वाले गृहयुद्ध को रोकने या अफगानिस्तान को अलग होने से बचाने का समय है.'
उधर अफगान के उप-राष्टप्रति अमरुल्ला सालेह ने राष्ट्रपति अशरफ गनी की अध्यक्षता में हुई एक सुरक्षा बैठक के बाद कहा है कि उन्हें सशस्त्र बलों पर गर्व है और सरकार तालिबान के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी.