टाइटैनिक फिल्म में ये दिखाया गया था कि जब टाइटैनिक जहाज डूब रहा था तो उसने संकट कॉल की थी लेकिन उस कॉल को नजदीकी जहाज ने नहीं सुना था जिसकी वजह से ये घटना एक बड़ी त्रासदी बन गई थी. क्या था उस कॉल का सच, ये मिस्ट्री अब 110 साल बाद सुलझा ली गई है.
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नई दिल्ली: हालीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्म टाइटैनिक ने उस डूबे जहाज की कहानी दुनिया की सामने लाई थी जो समुद्र की अथाह गहराई में दफन हो गया था. टाइटैनिक पर 1500 से ज्यादा मौतें हुईं थी जिसमें निकटतम जहाज एसएस कैलिफ़ोर्निया के टेलीग्राफ ऑपरेटर को विलेन की तरह दिखाया गया था. अब 110 बाद इस मिस्ट्री से पर्दा हटा है कि आखिरकार उस रात क्या हुआ था.
Mirror की खबर के अनुसार, टाइटैनिक में ज्यादा लोगों के मरने के लिए एसएस कैलिफ़ोर्निया के निकटतम जहाज पर टेलीग्राफ ऑपरेटर सिरिल इवांस को दोषी ठहराया गया था क्योंकि वह टाइटैनिक की संकट कॉल के समय सो रहा था. लेकिन क्या उसे दोषी ठहराना वाकई में सही है? एक फिल्म इतिहासकार का दावा है कि क्या टाइटैनिक के पीड़ितों को बचाया जा सकता था तो इस रहस्य से 110 साल बाद पर्दा हट गया है.
जब 1912 में टाइटैनिक डूब गया तो पास के एकमात्र जहाज एसएस कैलिफ़ोर्निया में वायरलेस ऑपरेटर अपनी संकटपूर्ण कॉल के बीच भी सो रहा था. लेकिन एक विशेषज्ञ का मानना है कि जहाज पर टेलीग्राफ उपकरण चलाने वाले सिरिल इवांस डूबने वाले पीड़ितों को नहीं बचा सकते थे.
सिरिल की इस बात के लिए निंदा की जाती है कि 14 अप्रैल 1912 को रात 11.30 बजे सोने के लिए चला गया था, टाइटैनिक के हिमखंड से टकराने से कुछ ही मिनट पहले. एक अमेरिकी जांच में बाद में पाया गया कि अगर सिरिल अपनी ड्यूटी पर कुछ और समय रहते तो उनका जहाज यात्रियों की जान बचा सकता था.
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लेकिन अब यह बात सामने आई है कि सिरिल हर रात इतने समय सोने चले जाते थे. वैसे भी अकेले स्टेशन चलाने वाले टेलीग्राफ ऑपरेटरों के लिए रात 11 बजे सामान्य साइन-ऑफ का रहता था. टाइटैनिक आपदा से पहले समुद्री टेलीग्राफ स्टेशनों को 24 घंटे काम करने की कोई आवश्यकता नहीं थी.
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