रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे के साथ बातचीत में उन्हें 'मूर्ख' कहा.
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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के वर्तमान कार्यकाल को लेकर एक के बाद एक विस्फोटक जानकारियां सामने आ रही हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार उनके करीबी सहयोगियों को लगता था कि अन्य वैश्विक नेताओं के साथ फोन पर बात करने के दौरान ट्रंप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन जाते थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन, पूर्व रक्षा सचिव जेम्स मैटिस और पूर्व विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन सहित उनके प्रशासन के कई महत्वपूर्ण लोगों ने ऐसा महसूस किया था.
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रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे (Theresa May) के साथ बातचीत में उन्हें 'मूर्ख' कहा. इतना ही नहीं ट्रंप ने उनके ब्रेक्सिट संकट (Brexit Crisis) से निपटने के तरीके और उनकी इमिग्रेशिन पॉलिसी की भी भारी आलोचना की थी.
बेवकूफ कहे जाने के बाद भी शांत रहीं मर्केल
इसके अलावा उन्होंने जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल (Angela Merkel) से कहा कि वह 'बेवकूफ' थीं और उन पर रूस से पैसे लेने का आरोप भी लगाया. मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि कॉल के दौरान मर्केल ने खुद को शांत रखा. हालांकि ट्रंप द्वारा मर्केल को इस तरह संबोधित करने को लेकर जर्मन प्रशासन बहुत चिंतित था.
सूत्रों ने मे और मर्केल के साथ हुए ऐसे कम्युनिकेशन को अपमानजनक बताया. इसके चलते ही बाद में मर्केल ने कॉल पर अपनी पहुंच को सीमित कर दिया था.
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सीएनएन की रिपोर्ट में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जैसे अन्य वैश्विक नेताओं का भी उल्लेख किया गया है. वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के साथ ट्रंप के दोस्ताना संबंधों की बात भी की गई है.
बिना तैयारी के चले जाते हैं मीटिंग में
बता दें कि ट्रंप अपने ही देश के पूर्व राष्ट्रपतियों ओबामा और बुश का भी अपमान कर चुके हैं. जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने का क्रेडिट खुद लेते रहे हैं. कई करीबी सहयोगियों ने तो ट्रंप पर यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने बिना तैयारी के अन्य नेताओं के साथ मीटिंग में हिस्सा लिया, जो कि उनके करीबियों के लिए चिंता का सबब बना.
बता दें कि हाल ही में जॉन बोल्टन द्वारा एक पुस्तक जारी करने के बाद ट्रंप खासी मुश्किल में हैं क्योंकि इस पुस्तक में दावा किया गया है कि उन्होंने दोबारा राष्ट्रपति पद पाने के लिए बीजिंग से मदद मांगी थी.