दुनियाभर में बढ़ी ट्यूशन की डिमांड, जानिए पढ़ाई में कितना पिछड़े स्कूली बच्चे
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दुनियाभर में बढ़ी ट्यूशन की डिमांड, जानिए पढ़ाई में कितना पिछड़े स्कूली बच्चे

कंसल्टेंसी फर्म मेकिंसे (McKinsey) के मुताबिक अमेरिका के प्रायमरी स्कूलों के बच्चे गणित यानी मैथ (Math) में 5 माह और रीडिंग में 4 महीने पिछड़ गए हैं. हालांकि महामारी से पहले भी दुनिया में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का चलन आम था. 

फोटो क्रेडिट: (रॉयटर्स)

नई दिल्ली: वैश्विक कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) के खिलाफ जारी जंग में टीकाकरण अभियान की कामयाबी से हालात सामान्य हो रहे हैं. कई देशों के स्कूलों में नया सत्र (New Session) शुरू हो गया है. लगातार कई महीनों तक स्कूल बंद (School Closed) होने के नुकसान साफ-साफ नजर आ रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस वजह से कई बच्चों में मानसिक विकार देखने को मिल रहे हैं.

  1. दुनिया में बढ़ा ट्यूशन का चलन
  2. कंसल्टेंसी फर्म की रिपोर्ट में दावा
  3. कई देशों के आंकड़े सामने आए

प्रायमरी स्कूलों का हाल

कंसल्टेंसी फर्म मेकिंसे (McKinsey) के मुताबिक अमेरिका (US) में प्रायमरी स्कूलों के बच्चे गणित यानी मैथ (Math) में पांच माह और रीडिंग में चार माह पिछड़ गए हैं. हालांकि महामारी से पहले भी कई देशों में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का चलन आम था. लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना संकट के कारण ये ट्रेंड अभी और अधिक बढ़ेगा.

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(Data Gfx Credit: McKinsey)

ट्यूशन का टशन

मेकिंसे के डाटा के मुताबिक पूरी दुनिया की तुलना में पूर्वी एशिया (East Asia) के ट्यूशन (Tution) का कारोबार सबसे ज्यादा है. दक्षिण कोरिया (South Korea) में प्रायमरी स्कूल के 80% और जापान में 90 % बच्चे किसी न किसी समय ट्यूशन जरूर पढ़ते हैं. इसी तरह ग्रीस में स्कूल छोड़ने वाले अधिकतर बच्चे बताते हैं कि वे ट्यूशन पढ़ते थे. मिस्र यानी इजिप्ट (Egypt) में पहली के एक तिहाई बच्चे ट्यूशन पढ़ चुके हैं.

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इंग्लैंड की वेल्स काउंटी में साल 2005 में 18% बच्चे टूयूशन पढ़ते थे. ये आंकड़ा 15 साल बाद यानी 2020 आते आते 27% हो गया. वहीं जर्मनी (Germany) में साल 2000 में बच्चों के ट्यूशन पढ़ने का आंकड़ा 27% से बढ़कर 2013 आते आते 40% हो गया था. 

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