मंगल पर बसने वाले शहर का ऐसा होगा नजारा, इस देश ने बना लिया प्रोटोटाइप
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मंगल पर बसने वाले शहर का ऐसा होगा नजारा, इस देश ने बना लिया प्रोटोटाइप

2017 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने एक महत्‍वाकांक्षी घोषणा की थी कि वो 100 साल के अंदर मंगल ग्रह पर आबादी बसा लेगा. इस प्रोजेक्‍ट को लेकर आर्किटेक्ट्स ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए दुबई में एक अलग दुनिया बसाने की तैयार कर ली है.

मंगल ग्रह के शहर का प्रोटोटाइप

दुबई: 2017 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने एक महत्‍वाकांक्षी घोषणा की थी कि वो 100 साल के अंदर मंगल ग्रह पर आबादी बसा लेगा. इस प्रोजेक्‍ट को लेकर आर्किटेक्ट्स ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए दुबई में एक अलग दुनिया बसाने की तैयार कर ली है. इसके लिए मंगल ग्रह में बसने वाले शहर का प्रोटोटाइप (Prototype ) बना लिया गया है,  जिसका ऑर्किटेक्‍चर पूरी तरह दूसरी दुनिया का है. इतना ही नहीं अब ये आर्किटेक्ट दुबई के बाहर रेगिस्तान में मंगल ग्रह के शहर को हकीकत में आकार देने की योजना बना रहे हैं.

  1. दुबई ने बनाया मंगल ग्रह (Martian city) के शहर का प्रोटोटाइप 
  2. मंगल में नहीं है चुंबकीय क्षेत्र 
  3. भूमिगत बर्फ से बनानी पड़ेगी ऑक्‍सीजन 

मकसद है मकसद
इस मार्स साइंस सिटी को बसाने का मकसद यह है कि इसकी मदद से दुबई का मोहम्मद बिन राशिद स्पेस सेंटर (MBRSC) मंगल ग्रह पर आबादी बसाने के लिए जरूरी तकनीक विकसित कर सके. इस प्रोजेक्‍ट के लिए रेगिस्‍तान में 1,76,000 वर्ग मीटर जगह को कवर किया जाएगा और इस प्रोजेक्‍ट की लागत लगभग $135 मिलियन आएगी.

मंगल ग्रह पर जीवन को बनाए रखने के लिए उपयुक्‍त शहर का प्रोटोटाइप बनाने का काम Bjarke Ingels Group को दिया गया था. फिर इस प्रोटोटाइप को रेगिस्‍तान में बनाने की योजना बनाई गई. 

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मंगल पर घर बसाने में ये हैं मुश्किलें 
जिस तरह पृथ्‍वी पर वायुमंडल की कई परतें हैं और इसका अपना चुंबकीय बल है, वैसा मंगल पर नहीं है. मंगल पर केवल एक पतला सा वातावरण है और वहां कोई वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र भी नहीं है. साथ ही तापमान की भी समस्या है. ऐसे में शहर का प्रोटोटाइप तैयार करते समय ग्रुप के आर्किटेक्‍ट्स को इन तमाम बातों को ध्‍यान में रखना पड़ा. 

इसे लेकर Bjarke Ingels Group ने कहा है कि मंगल ग्रह का शहर दबाव वाले बायोडाम्‍स से बनेगा, जिसमें प्रत्‍येक बायोडाम को एक पारदर्शी पॉलीथीन झिल्ली से कवर किया जाएगा. वहीं भूमिगत बर्फ में इलेक्‍ट्रीसिटी का उपयोग कर ऑक्‍सीजन बनाई जाएगी और उसे प्रत्येक बायोडोम में भरा जाएगा.

जैसे ही मंगल पर आबादी बढ़ेगी, ये बायोडोम एक साथ जुड़कर गांव बनेंगे और फिर ऐसे ही शहरों का निर्माण होगा. इन शहरों का आकार एक रिंग जैसा होगा. 

शहरों को सौर ऊर्जा का उपयोग करके गर्म किया जाएगा और यहां का पतला वातावरण गुंबदों को अपना तापमान मेंटेन करने में मदद कर सकता है.

बता दें कि मार्स साइंस सिटी (The Mars Science City) दुबई के मोहम्मद बिन राशिद स्पेस सेंटर द्वारा चलाए जा रहे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम का केवल एक हिस्सा है. पिछले साल इसने अंतरिक्ष में अपना पहला अंतरिक्ष यात्री भेजा था. इस साल गर्मियों में यह मंगल पर एक जांच शुरू करेगा और नवंबर में यह अपना पहला एनालॉग मिशन शुरू करेगा. 

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