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नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) दिल्ली की तमाम सीमाओं पर 100 दिनों से ज्यादा समय से जारी है. भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन पर सोमवार को ब्रिटेन की संसद में चर्चा हुई. इस दौरान ब्रिटिश सरकार (United Kingdom Government) ने कहा कि कृषि कानून और किसानों का प्रदर्शन भारत का आंतरिक मामला है.
ब्रिटेन के राज्य मंत्री निगेल एडम्स (Nigel Adams) ने संसद में बहस के दौरान कहा, 'कृषि कानून (Agriculture Laws) भारत सरकार का एक घरेलू मामला है. यूके सरकार का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार किसी भी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन हम यह भी स्वीकार करते हैं कि यदि कोई विरोध कानून की लाइन को पार करता है, तो सुरक्षा बलों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने का अधिकार है.'
आंदोलन कर रहे किसानों की सुरक्षा और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटेन की संसद में याचिका डाली गई थी, जिसपर एक लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए थे. चर्चा के दौरान निगेल एडम्स (Nigel Adams) ने उम्मीद जताई कि भारत सरकार और किसानों के बीच बातचीत के सकारात्मक परिणाम होंगे.
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उन्होंने आगे कहा, 'भारत में उच्च आयोग के हमारे अधिकारी सितंबर से कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन पर निगरानी रखे हुए हैं और लगातार रिपोर्ट भेज रहे हैं. हम यह भी जानते हैं कि भारत सरकार किसानों के साथ कई बार बातचीत कर चुकी है, लेकिन उनका कोई नतीजा नहीं निकला है.' एडम्स ने भारत-ब्रिटेन साझेदारी के महत्व को भी दोहराया और कहा कि दोनों देश वैश्विक चुनौतियों को ठीक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक बल के रूप में काम करेंगे.
लंदन में मौजूद भारतीय उच्चायोग (High Commission of India) ने ब्रिटिश संसद में किसान आंदोलन को लेकर चर्चा पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उच्चायोग ने कहा कि भारत से संबंधित मुद्दे पर एक ई-याचिका अभियान को आधार बनाते हुए ब्रिटेन की संसद में एकतरफा चर्चा की गई. हमें इस बात का गहरा अफसोस है कि एक संतुलित बहस के बजाय, झूठे दावे, बिना पुष्टि या तथ्यों के दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर चर्चा की गई. भारतीय हाईकमीशन द्वारा बयान में कहा गया है, यह चिंता का विषय है कि एक बार फिर ब्रिटिश भारतीय समुदाय को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है. भारत में अल्पसंख्यकों के इलाज के बारे में संदेह जताया जा रहा है, कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का झूठा भ्रम फैलाया जा रहा है.
बता दें कि नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) 100 दिनों से ज्यादा समय से चल रहा है और किसान दिल्ली की तमाम सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी दी जाए. केंद्र सरकार कानूनों में बदलाव के लिए तैयार है, लेकिन किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं.