India-US Deal: बाइडन प्रशासन ने भारत को 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन की सप्लाई के बारे में यूएस कांग्रेस को यह जानकारी दी. दोनों देशों के बीच हथियार की यह डील बेहद अहम मानी जा रही है.
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India-America Relations: भारत लगातार अपने पावरबैंक में एक से बढ़कर एक अस्त्र ला रहा है. राफेल, एस-400 के बाद अब जल्द ही भारत को अमेरिका से एक 'किलर' मिलने वाला है, जो सशस्त्र बलों की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा. अमेरिका ने गुरुवार को भारत को 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर 31 MQ-9बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी है.
बाइडन प्रशासन ने भारत को 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन की सप्लाई के बारे में यूएस कांग्रेस को यह जानकारी दी. दोनों देशों के बीच हथियार की यह डील बेहद अहम मानी जा रही है. पिछले साल जून में पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ड्रोन सौदे की घोषणा की गई थी.
क्यों अहम है ड्रोन?
इस ड्रोन की मदद से समुद्री रास्तों में मानवरहित निगरानी और टोही गश्त के जरिये वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता बढ़ेगी. रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने यहां एक बयान में कहा, 'विदेश विभाग ने 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर एमक्यू-9बी एयरक्राफ्ट और उससे जुड़े उपकरणों को भारत सरकार को बेचने को मंजूरी देने का फैसला लिया है.
एजेंसी ने कहा, 'इस प्रस्तावित बिक्री से अमेरिका-भारत के रणनीतिक संबंधों को मजबूती मिलेगी और हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में इकोनॉमिक डेवेलपमेंट बढ़ेगा. एजेंसी ने कहा, 'इस ड्रोन की बिक्री से परिचालन के समुद्री रास्तों में मानवरहित निगरानी और टोही गश्त को सक्षम बनाकर वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की भारत की क्षमता में सुधार होगा.'
भारत को मिलेंगे 31 ड्रोन
भारत अपने सशस्त्र बलों की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, खास तौर से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर, लंबे समय तक चलने वाले ड्रोन खरीद रहा है. तीन अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत, भारत को 31 अत्याधुनिक ड्रोन (यूएवी) मिलेंगे. उनमें से 15 ‘सी-गार्जियन’ ड्रोन नौसेना को मिलेंगे, जबकि थलसेना और वायुसेना को आठ-आठ ‘स्काई-गार्डियन’ ड्रोन मिलेंगे.
डीएससीए ने इस बात की तारीफ भी की कि भारत लगातार अपनी सेनाओं को आधुनिक बना रहा है. DSCA ने कहा कि भारत को इन सेवाओं को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई मुश्किल नहीं होगी.
रक्षा क्षेत्र की प्रमुख अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स सिस्टम (जीए) से ड्रोन की खरीद होगी. इससे पहले, विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि पिछले साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के दौरान प्रस्तावित ड्रोन सौदे की घोषणा की गई थी, जिसमें क्षेत्र में मिलिट्री कॉपरेशन और बाइलेट्रल स्ट्रैटजिक टेक्नोलॉजी कॉपरेशन को आगे बढ़ाने की अहम संभावना है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)