ट्रंप प्रशासन ने गोपनीय सूचनाओं का खुलासा हो जाने की आशंका को लेकर 'द रूम वेयर इट हैपेन्ड (The Room Where It Happened: A White House Memoir)' नामक पुस्तक के विमोचन को रोकने की कोशिशें की थीं.
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वॉशिंगटन: अमेरिका के एक संघीय न्यायाधीश ने शनिवार को यह आदेश जारी किया कि पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन अपनी पुस्तक का विमोचन कर सकते हैं. बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने गोपनीय सूचनाओं का खुलासा हो जाने की आशंका को लेकर 'द रूम वेयर इट हैपेन्ड (The Room Where It Happened: A White House Memoir)' नामक पुस्तक के विमोचन को रोकने की कोशिशें की थीं.
हालांकि, न्यायाधीश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बोल्टन ने व्हाइट हाउस की औपचारिक मंजूरी के बिना खुद से अपना संस्मरण प्रकाशित करने का कदम उठाकर अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया. जबकि व्हाइट हाउस ने कहा है कि वह गोपनीय सूचनाओं को लेकर अब भी इसकी पड़ताल कर रहा है.
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जज ने 10 पन्नों के एक फैसले में लिखा कि न्याय विभाग की दलीलें किताब की रिलीज को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं थीं. उन्होंने कहा कि अदालत अगर ये कह भी दे कि किताब रिलीज नहीं हो सकती तो भी किताब पहले से ही व्यापक रूप से वितरित की जा चुकी, और इसे इंटरनेट पर भी आसानी से वितरित किया जा सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि- 'सरकार यह साबित करने में नाकाम रही कि इस पर रोक से अपूर्णीय क्षति रोकी जा सकती है.'
बता दें कि इस पुस्तक में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति का जिक्र है, जब बोल्टन व्हाइट हाउस में सेवा दे रहे थे. न्यायाधीश का फैसला आने के शीघ्र बाद ट्रंप ने ट्वीट किया- 'बोल्टन ने गोपनीय सूचना बाहर लाकर कानून तोड़ा है.' ट्रंप ने ये भी कहा कि 'बोल्टन को इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. यह दोबारा कभी नहीं होना चाहिए.'
न्याय विभाग ने पुस्तक के विमोचन को रोकने के लिये पिछले हफ्ते मुकदमा दायर किया था और पुस्तक की प्रतियां भी विक्रेताओं से वापस मंगाने की मांग की थी. लेम्बर्थ ने कहा कि इस पुस्तक की दो लाख प्रतियां देश भर में पुस्तक विक्रेताओं के पास पहुंच चुकी है, इसके विमोचन को रोकना निरर्थक होगा. बड़े मीडिया संस्थानों को भी यह पुस्तक मिल चुकी है. जो नुकसान होना था हो चुका है.