वॉशिंगटनः अमेरिका ने पाकिस्तान से कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी संगठनों और उनके आकाओं के वित्त पोषण स्रोतों पर बिना देरी के रोक लगाए. उसने यह भी कहा कि वह भविष्य में जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किए जाने वाले किसी भी संभावित हमले को रोकने की कार्रवाई का पूरा समर्थन करेगा. जैश-ए-मोहम्मद ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार को हुए आतंकवादी हमले की जिम्मदारी ली है. हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 40 जवान शहीद हो गए और पांच अन्य गंभीर रूप से घायल हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने  कहा, कि ‘‘पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद को 2002 में गैरकानूनी घोषित किया था.


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हालांकि वह संगठन अब भी पाकिस्तान में सक्रिय है. अमेरिका ने दिसम्बर 2001 में जैश को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था और हम भविष्य में उसके द्वारा किए जाने वाले किसी भी हमले को रोकने की कार्रवाई का पूरा समर्थन करेंगे.’’ अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2001 में जैश को अपनी 1267 आईएसआईएन (दायेश) और अल-कायदा प्रतिबंधित सूची में डाला था. प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम पाकिस्तान से आशा करते हैं कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत प्रदत आतंकवादियों को पनाह और समर्थन नहीं देने की अपनी जिम्मेदारियां निभाए और यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल लोगों और संगठनों के वित्त पोषण स्रोतों, अन्य वित्तीय संपत्तियों और आर्थिक संसाधनों को तुरंत जब्त करे.


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अधिकारी ने पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका के इस मामले को पाकिस्तानी नेतृत्व के समक्ष उठाने के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी. बहरहाल, सोशल मीडिया पर विभिन्न बयानों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने पाकिस्तान से आतंकवादी संगठनों को सुरक्षित पनाह और समर्थन ना देने की अपील की है. प्रवक्ता ने पुलवामा हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादियों की सूची में डालने की भारत की अपील का समर्थन करने से चीन के फिर इनकार करने के कदम पर कोई टिप्पणी नहीं की.


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प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ मसूद अजहर और जैश-ए-मोहम्मद पर हमारी राय सबको पता है. जैश कई आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार है और साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा भी है.’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति विचार-विमर्श गोपनीय है, इसलिए हम विशेष मुद्दें पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते.’’ 


(इनपुट भाषा)