वियतनाम: छोटा सा देश जहां अमेरिका को युद्ध में होना पड़ा था शर्मिंदा
Advertisement
trendingNow1506695

वियतनाम: छोटा सा देश जहां अमेरिका को युद्ध में होना पड़ा था शर्मिंदा

यह वियतनाम के लोगों का ही जुझारूपन है जिसने उन्हें युद्ध की त्रासदी से उबारते हुए दुनिया के तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना दिया है. 

पिछले 60 सालों में वियतनाम के लोगों अपने देश की तस्वीर बदल कर रख दी है. (फोटो: Reuters)

नई दिल्ली: वियतनाम को आज भले ही लोग अमेरिका को युद्ध में हारने वाले देश के रूप में जानते हों, लेकिन यह अब पुरानी बात हो गई है. वियतनाम एशिया में हिंद-चीन प्रायद्वीप के पू्र्वी सीमा पर स्थित है जिसका आधिकारिक नाम समाजवादी वियतनाम गणतंत्र है. लंबे समय से युद्ध में उलझा रहा वियतनाम शीत युद्ध की विभीषिका झेलने वाले देश के रूप में एक सटीक उदाहरण है. अपने कड़वे आधुनिक इतिहास को भूल कर आज वियतनाम तरक्की की राह पर है. हाल ही में वियतनाम की राजधानी हनोई में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन ने मुलाकात की जहां यह वार्ता नाकाम रही. लोगों का ध्यान इस बात पर गया कि अब वियतनाम वह नहीं रहा जिसे लोग युद्ध के लिए जानते थे. 

वियतनाम ने आज बहुत तरक्की कर ली है. यहां के लोगों की जीवटता और जुझारूपन ने देश को एक मजबूत आर्थिक व्यवस्था में बदल दिया है. बेशक आज भी इस आर्थिक उन्नति का फायदा देश के मध्यम और निम्न वर्ग तक उस अनुपात से नहीं पहुंचा है, लेकिन सभी का मानना है कि युद्ध के दिनों की तुलना में वियतनामी लोगों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. 

एक अलग पहचान दी भौगोलिक स्थिति ने 
वियतनाम दक्षिण और पूर्वी में ‘दक्षिण चीन सागर’, उत्तर में चीन, पश्चिम में लाओस और कंबोडिया से घिरा देश है. यह इंडोनेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड से समुद्री सीमा बांटता है. यहां उष्णकटबंधीय निम्न भूमि, पहाड़ और घने वनों से आच्छादित उच्च भूमि है. पश्चिम में पहाड़ी इलाका पूर्व में समुद्री की ओर ढलता जाता है. उत्तर में लाल नदी और दभिण में मीकोंग डेल्टा के अलावा गिआई थ्रोंग सन उत्तरी पर्वतीय इलाका है. यहां मानसून मौसम में भारी बारिश होती है. 

वियतनाम 127,881 वर्ग किलोमीटर (331,689 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला है. यहां की आबादी करीब 9 करोड़ 70 लाख है जो इस दुनिया की तेरहवीं सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बनाती है. यहां प्रमुख भाषा वियतनामी है लेकिन अंग्रेजी यहां की दूसरी भाषा बन रही है जबकि कुछ लोग फ्रेंच भी बोल लेते हैं. हनोई यहां की वर्तमान राजधानी है जबकि इससे पहले राजधानी रही हो ची मिन सिटी सबसे बड़ा शहर है.

यह भी पढ़ें: इंडोनेशिया: भारत की तरह आतंकवाद से जूझ रहा है दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामिक देश

सक्षिप्त इतिहास: वियतनाम के जुझारूपन की कहानी 
वियतनाम में भी पूर्व मानव के अवशेष मिले हैं. 1000 ईसा पूर्व में यहां चावल की खेती की जाती थी. शुरू से ही यहां चीन का प्रभाव रहा, लेकिन यहां के लोग भी चीन से खुद को स्वतंत्र रखने की कोशिश करते रहे और दूसरी सदी में सफलता भी हासिल कर ली थी, लेकिन उत्तरी भाग लंबे समय तक चीन के अधीन रहा. कई राजाओं के शासन के बाद भी वियतनाम को चीन से पूरी मुक्ति दसवी सदी में मिली. इसके बाद 15वीं सदी में वियतनाम का स्वर्णिम दौर रहा. इस बीच मंगोलों का देश ने डटकर मुकाबला किया. 16वीं सदी से यहां आंतरिक राजनीति और बाहरी हस्तक्षेप ने वियतनाम को कमजोर करना शुरू कर दिया. 16वीं सदी के बाद से पहले पुर्तगालियों और उसके बाद डच व्यापारियों ने यहां पैर जमाने की नाकाम कोशिश की जबकि 17वीं सदी में फ्रांस का यहां दखल धीरे धीरे बढ़ता गया और 1884 तक पूरा वियतनाम फ्रांस के कब्जे में आ गया और यह क्षेत्र फ्रेंच इंडो-चायना कहलाने लगा. शुरू में शस्त्र विद्रोह के बाद 20वीं सदी में यहां राष्ट्रवादी आंदोलन भी चले, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध तक फ्रांस का यहां नियंत्रण कमजोर नहीं हुआ. 

द्वितीय विश्व युद्ध ने बदले हालात
1930 में यहां हो चि मिन्ह के नेतृत्व में हुए राष्ट्रवादी आंदोलन के दौरान साम्यवाद का प्रभाव आया. द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी सेना की यहां हार के बाद अराजकता फैल गई, लेकिन अंत में फ्रांस की वापसी हुई लेकिन उसका अब नियंत्रण काफी कमजोर हो गया था. इसके बाद यहां के सत्ता संघर्ष में साम्यवादी चीन भी शामिल हो गया. 1954 में जिनेवा समझौते के बाद वियतनाम दो भागों में बंट गया और इसके साथ ही कंबोडिया और लाओस का भी उदय हुआ.

यह भी पढ़ें: फिलीपींस: पश्चिम एशिया में खत्म होने के बाद इस देश में सिर उठा रहा है आइसिस

वियतनाम युद्ध: अमेरिका की साख पर गहरा धब्बा
1954 में दो वियतनाम बनने के बाद ही उत्तरी वियतनाम पर कम्युनिस्ट शासन में शस्त्र हिंसा का दौर चला. वहीं दक्षिण वियतनाम में गैर कम्युनिस्टों और कम्युनिस्टों के बीच संघर्ष चला. उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम जल्द ही शीत युद्ध के प्रभाव में आ गए. 1968 में उत्तर वियतनाम ने दक्षिण वियतनाम पर हमला किया जिसमें अमेरिकी सेना को बहुत नुकसान हुआ. युद्ध में तीस लाख लोग मारे गए जिनमें करीब 58000 अमेरिकी सैनिक थे. 

नए वियतनाम का उदय
दुनिया भर में अमेरिका की आलोचना के बाद अंततः अमेरिका 1973 में वियतनाम से पीछे हट गया. जिसके बाद उत्तर वियतनाम ने दक्षिण वियतनाम पर कब्जा कर लिया. 1976 में सोशलिस्ट रिपब्लिक ऑफ वियतनाम बनने के बाद यहां दक्षिण समर्थित लोगो के खिलाफ सेना ने अभियान चलाया और उन्हें यातनाएं दी. पड़ोसी कंबोडिया से युद्ध और चीन से खराब संबंध के बीच वियतनाम की सोवियत संघ पर निर्भरता बनी रही. 

आर्थिक सुधारों का युग
1986 के बाद से नए कम्युनिस्ट नेताओं के आने से वियतनाम में आर्थिक सुधारों का दौर आया. सोवियत संघ के विघटन के बाद से वियतनाम एक तरह से अकेला पड़ गया. इसी बीच पड़ोसियों से सुधरते रिश्तों से देश में आंतरिक विकास पर ज्यादा ध्यान दिया गया. 1994 में वियतनाम अमेरिका के बीच नए रिश्तों की शुरुआत हुई. नियोजित अर्थव्यवस्था से समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था की ओर जाने से वियतनाम में उन्नति की गति तेजी से बढ़ी. 2007 में वियतनाम विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना. 

यह भी पढ़ें: इथोपिया: दुनिया का सबसे पुराना स्वतंत्र देश, जानिए यहां क्यों खास है हवाई यात्राआर्थिक स्थिति

लंबे समय से युद्ध की विभीषिका झेल रहे वियतनाम ने पिछले कुछ सालों में चीन की ही तरह तेजी से विकास किया है. यहां खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा, जूते, कोयला, स्टील, सीमेंट, कांच, टायर, पेपर उद्योग विकसित हुए जो देश के निर्यात में तेजी से बढ़ें हैं. वहीं कृषि में धान, कॉफी, रबर, कपास  चाय, मिर्च, सोयाबीन, काजू, गन्ना, मूंगफली, केला आदि की पैदावार ने भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है. हाल ही में वियतनाम ने अपना परमाणु ऊर्जा का कार्यक्रम रोका है जिसमें वजह बहुत बड़ा खर्च और उससे संबंधित जोखिम को बताया गया. डोंग यहां की मुद्रा है. 

Trending news