Titan Submarine: कैसे समंदर में उतरने के बाद टाइटन पनडुब्बी में हुआ खतरनाक ब्लास्ट? एक्सपर्ट ने बताई वजह
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Titan Submarine: कैसे समंदर में उतरने के बाद टाइटन पनडुब्बी में हुआ खतरनाक ब्लास्ट? एक्सपर्ट ने बताई वजह

Titanic Missing Submarine: टाइटन पनडुब्बी इनसे अलग थी. इसका प्रेशर वेसल टाइटेनियम और मिक्स कार्बन फाइबर के मेल से बना था. यह इंजीनियरिंग के नजरिए से कुछ हद तक असामान्य है, क्योंकि पानी में गहराई तक जाने को लेकर टाइटेनियम और कार्बन फाइबर काफी अलग गुणों वाली सामग्रियां हैं.

Titan Submarine: कैसे समंदर में उतरने के बाद टाइटन पनडुब्बी में हुआ खतरनाक ब्लास्ट? एक्सपर्ट ने बताई वजह

Missing Titan Submarine Search:  लापता पनडुब्बी टाइटन के चार दिन चले तलाश अभियान का एक त्रासदीपूर्ण अंत हुआ. रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गई पनडुब्बी में विनाशकारी विस्फोट हुआ, जिसके कारण इसमें सवार सभी पांचों यात्रियों की तुरंत मौत हो गई.

अधिकारियों ने बताया कि टाइटैनिक के डूबने की जगह लगभग 500 मीटर दूर समुद्र तल पर पनडुब्बी के पांच बड़े-बड़े टुकड़े मिले हैं. इनका मिलना पहले सामने आई उन खबरों से मेल खाता है कि टाइटन जब पानी में उतरा था, उसी दिन अमेरिकी नौसेना को एक विस्फोट जैसा जोरदार धमाका सुनाई दिया था.

नौसेना के समुद्र तल सेंसर ने उस क्षेत्र में ब्लास्ट का पता लगाया था, जहां पनडुब्बी का अपने मेन पोत के साथ संपर्क टूटा था. उस समय विस्फोट के बारे में बताया गया था कि यह निर्धारित नहीं था.

विनाशकारी विस्फोट क्या है?

हम ऐसा मान सकते हैं कि ब्लास्ट उसी दिन हुआ, जिस दिन पनडुब्बी पानी में उतरी थी, लेकिन यह उस समय नहीं हुआ, जब उसका अपने मुख्य पोत से संपर्क टूटा था, लेकिन ऐसा क्यों हुआ?

पानी में गहराई पर चलने वाली अधिकतर पनडुब्बियों में एक प्रेशर वेसल होता है, जो सिंगल मेटल मटीरियल से बना होता है. आमतौर पर कम गहराई (लगभग 300 मीटर से कम) के लिए स्टील और अधिक गहराई के लिए टाइटेनियम का इस्तेमाल किया जाता है.

टाइटेनियम या मोटे स्टील वाला प्रेशर वेसल आमतौर पर गोलाकार होता है और यह 3,800 मीटर गहराई तक दबाव झेल सकता है. टाइटैनिक का मलबा इसी गहराई पर पड़ा है.

अलग थी टाइटन पनडुब्बी

बहरहाल, टाइटन पनडुब्बी इनसे अलग थी. इसका प्रेशर वेसल टाइटेनियम और मिक्स कार्बन फाइबर के मेल से बना था. यह इंजीनियरिंग के नजरिए से कुछ हद तक असामान्य है, क्योंकि पानी में गहराई तक जाने को लेकर टाइटेनियम और कार्बन फाइबर काफी अलग गुणों वाली सामग्रियां हैं.

टाइटेनियम लचीला है और वायुमंडलीय दबाव में वापसी के बाद उसके अनुसार ढल जाता है. यह दबाव डालने वाले बलों के अनुकूल सिकुड़ भी सकता है और इन बलों के कम होने पर फिर से फैल जाता है. दूसरी ओर, कार्बन-फाइबर ज्यादा सख्त होता है और इसमें ऐसा लचीलापन नहीं होताा.

हम इस बात का केवल अंदाजा ही लगा सकते हैं कि दो अलग-अलग टेक्नोलॉजी के मेल से क्या हुआ होगा. लेकिन एक बात हम निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि इन सामग्रियों में अंतर के कारण कोई गड़बड़ हुई और पानी के नीचे दबाव के कारण विस्फोट हुआ होगा. सटीकता से डिजाइन, निर्माण और पुख्ता जांच परख के बाद तैयार प्रेशर वेसल सभी दिशाओं से पड़ने वाले पूरे दबाव को झेल सकता है. 

ऐसी स्थिति में सही सामग्री से बनी पनडुब्बी गहराई में जरूरत के मुताबिक सांस ले सकती है-सिकुड़ और फैल सकती है. टाइटन में ब्लास्ट का मतलब है कि उसके साथ ऐसा नहीं हुआ. इस विस्फोट के कारण उसमें सवार सभी यात्रियों की 20 मिलीसेकंड से भी कम समय में मौत हो गई होगी.

(इनपुट-द कन्वरसेशन)

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