Islamic State News: सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल के अनुसार, कारख क्रिमिनल कोर्ट ने महिला को 'आतंकी संगठन के साथ काम करने और यजीदी महिलाओं को बंदी बनाने' का दोषी ठहराया.
Trending Photos
Abu Bakr al-Baghdadi News: आतंकी ग्रुप इस्लामिक स्टेट (आईएस) के दिवंगत नेता अबू बक्र अल-बगदादी की पहली पत्नी को इराक की अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल के अनुसार, कारख क्रिमिनल कोर्ट ने महिला को 'आतंकी संगठन के साथ काम करने और यजीदी महिलाओं को बंदी बनाने' का दोषी ठहराया.
बीबीस की रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय ने उसकी पहचान अस्मा मोहम्मद के रूप में की है, जिसे उम्म हुदैफा के नाम से भी जाना जाता है.
अस्मा के वकील की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई. हाल ही में बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में उसने आईएस के अत्याचारों या यजीदी महिलाओं के अपहरण और गुलामी में शामिल होने से इनकार किया.
कौन है अस्मा?
बगदादी से अस्मा की शादी तब हुई थी, जब वह इराक और पड़ोसी सीरिया के बड़े हिस्से पर ग्रुप के क्रूर शासन की देखरेख करता था. जिहादी ग्रुप के कब्जे वाले इलाके में लगभग आठ मिलियन लोग रहते थे.
2019 में, क्षेत्र में ग्रुप की सैन्य हार के महीनों बाद, अमेरिकी सेना ने उस जगह पर छापा मारा, जहां बगदादी अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ उत्तर-पश्चिम सीरिया में छिपा हुआ था.
बगदादी ने एक सुरंग में घिर जाने पर विस्फोटक जैकेट में विस्फोट कर दिया, जिससे वह और उसके दो बच्चे मारे गए, जबकि उसकी चार पत्नियों में से दो गोलीबारी में मारी गईं.
उम्म हुदैफा वहां नहीं थी क्योंकि उसे 2018 में दक्षिणी तुर्की में एक झूठे नाम से रहने के दौरान हिरासत में लिया गया था. उसे इस साल फरवरी में इराक प्रत्यर्पित किया गया था. उसे अधिकारियों द्वारा आतंकवाद से संबंधित अपराधों के लिए उसकी जांच किए जाने तक उसे हिरासत में रखा गया था.
अल्पसंख्यकों पर आईएस ने ढाया क्रूर अत्याचार
संयुक्त राष्ट्र जांचकर्ताओं का कहना है कि उनके पास स्पष्ट और पुख्ता सबूत हैं कि आईएस ने यजीदी धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नरसंहार और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराध किए हैं. अल्पसंख्यक समुयदाय के सदस्यों को धर्म परिवर्तन करने या मरने की चेतावनी दी गई थी.
यूएन जांचकर्ताओं ने पाया कि हजारों यजीदियों को मार दिया गया, जबकि हजारों को गुलाम बना लिया गया, महिलाओं और बच्चों को उनके परिवारों से अगवा कर लिया गया और उनके साथ क्रूर दुर्व्यवहार किया गया, जिसमें सिलसिलेवार बलात्कार और अन्य यौन हिंसा भी शामिल थी.
संयुक्त राष्ट्र जांचकर्ताओं का यह भी कहना है कि आईएस ने 2014 में इराक के कैंप स्पीचर सैन्य अड्डे के लगभग 1,700 निहत्थे, मुख्यतः शिया मुस्लिम कैडेटों और कर्मियों के नरसंहार के दौरान हत्या और यातना सहित युद्ध अपराध किए थे.
अस्मा ने किया आरोपों से इनकार
बीबीसी के मुताबिक उनसे जब इस तरह के अत्याचारों के बारे में पूछा, तो अस्मा ने कहा कि उन्होंने अपने पति को चुनौती दी थी कि उनके हाथों पर 'उन निर्दोष लोगों का खून' है. उसने यह भी कहा कि उसे 'शर्मिंदगी महसूस हो रही है' और यजीदी महिलाओं और बच्चों के साथ जो कुछ हुआ, उसके लिए उन्हें 'बहुत खेद' है. आरोप है कि कम से कम नौ महिलाओं को कथित तौर पर गुलामों के रूप में उसके घर के लिए खरीदा गया था.
यजीदियों ने दायर किया केस
आईएस के सदस्यों द्वारा अपहरण और बलात्कार का शिकार हुए यजीदियों ने इराक में एक सिविल केस दायर किया है, जिसमें अस्मा पर लड़कियों और महिलाओं की किडैनैपिंग और यौन दासता में मिलीभगत का आरोप लगाया गया. उसने आरोपों से इनकार किया है.
सैंकड़ों को मृत्युदंड और उम्रकैद
इराकी अदालतों ने हाल के वर्षों में 'आतंकवादी संगठन की सदस्यता' के दोषी ठहराए गए पुरुषों और महिलाओं में से सैकड़ों को मौत की सजा औ उम्रकैद की सज़ा सुनाई है.
वहीं दूसरी तरफ मानवाधिकार ग्रुप्स ने कहा है कि आरोप बहुत व्यापक और अस्पष्ट हैं, और मुकदमे अक्सर जल्दबाजी में चलाए जाते हैं और अक्सर यातना के तहत प्राप्त किए गए बयानों पर आधारित होते हैं.
Photo courtesy - Reuters