जम्मू-कश्मीर सरकार के 11 कर्मचारी बर्खास्त, आतंकियों से संबंध का आरोप

राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार के 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है. मतलब साफ है कि आतंक के साथ ही अब आतंकियों के हमदर्दों पर भी एक्शन तेज हो गया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 10, 2021, 11:54 PM IST
  • अब कश्मीर में आतंकी सोच पर स्ट्राइक!
  • आतंकी तो मरेंगे, हमदर्द भी नहीं बचेंगे!
जम्मू-कश्मीर सरकार के 11 कर्मचारी बर्खास्त, आतंकियों से संबंध का आरोप

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर सरकार ने आतंकियों से संबंध के आरोप में 11 कर्मचारियों को उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया है. जिसमें हिज्बुल मुजाहिद्दीन के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आतंकी सैयद सलाउद्दीन के दोनों बेटे भी शामिल हैं. सैयद सलाउद्दीन 2017 से अमेरिका की मोस्ट वाटेंड लिस्ट में शामिल है. बर्खास्त किये गए सभी कर्मचारियों पर आतंकियों से संबंध और टेरर फंडिंग का आरोप है.

सरकार के 11 कर्मचारियों का आतंकी कनेक्शन

जम्मू-कश्मीर सरकार के 11 कर्मचारियों को कथित आतंकवादी कनेक्शन के लिए शनिवार को बर्खास्त कर दिया गया. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस कार्रवाई में अनंतनाग जिले के दो शिक्षक शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल पाया गया. इसके अलावा इनमें दो पुलिस कांस्टेबल भी शामिल हैं, जिन्होंने कथित रूप से आतंकियों को अंदरूनी सूचना प्रदान की थी.

मतलब साफ है, जम्मू-कश्मीर में आतंक के साथ ही अब आतंकियों के हमदर्दों पर भी एक्शन तेज हो गया है. तेजी से आतंक मुक्त बन रहे कश्मीर को अब सरकार पूर्ण आतंक मुक्त बनाने का संकल्प ले चुकी है और ये कार्रवाई इसी की बानगी है.

सभी कर्मचारियों के खिलाफ मिले हैं अहम सबूत

सभी कर्मचारियों के खिलाफ NIA ने जांच की थी. जिसमें इनके खिलाफ अहम सबूत मिले थे. सलाउद्दीन का बेटा शकील अहमद श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में काम करता था, जबकि दूसरा बेटा शाहिद युसूफ श्रीनगर में कृषि विभाग में काम करता था. जिनको अब सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.

मतलब साफ है और सरकार का संदेश पूरी तरह से स्पष्ट कि आतंक ही नहीं उसकी सोच को भी अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. सलाउद्दीन के दोनों बेटों के साथ ही अनंतनाग से 4 कर्मचारी, बडगाम से 3 कर्मचारी और पुलवामा और बारामूला से एक-एक कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है.

शनिवार को बर्खास्त किए गए 11 सरकारी कर्मचारियों में से चार अनंतनाग जिले के, तीन बडगाम के और एक-एक बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और कुपवाड़ा जिले के हैं. इनमें से चार शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं, दो जम्मू-कश्मीर पुलिस में और एक-एक कृषि विभाग, कौशल विकास, बिजली, शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईएमएस) और स्वास्थ्य विभागों में कार्यरत हैं.

मनोज सिन्हा ने किया था नियमों में संशोधन

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले साल जम्मू-कश्मीर सेवा विनियमन नियमों में संशोधन किया था और किसी भी सरकारी कर्मचारी को बिना किसी पूर्व सूचना के बर्खास्त करने की शक्ति ग्रहण की थी. अगर ऐसे कर्मचारी के राष्ट्र विरोधी या उग्रवादी गतिविधियों में लिप्त होने का सबूत पाया जाता है तो, उनके पास यह शक्ति है कि वह उन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर सकें.

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में राज्य की सुरक्षा के खिलाफ गतिविधियों के संदेह में सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (C) के तहत पास ऑर्डर से सरकार को अधिकार है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को बिना जांच कमेटी का गठन किए बर्खास्त किया जा सकता है. टास्क फोर्स में पुलिस, कानून और न्याय, विधायी विभाग के प्रतिनिधि शामिल होते हैं.

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