नई दिल्लीः Hariharnath Mandir in Bihar: सावन मास में जहां हर ओर रिमझिम-रिमझिम फुहारें गिर रही हैं ऐसे में भगवान भोलेनाथ के भक्तों के मन शिवभक्ति में डूबे हुए हैं. Corona काल के कारण उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड व बिहार में इस बार कांवड़ यात्रा नहीं निकल सकी है, लेकिन शिवालयों के प्रति लोगों की वैसी ही आस्था बनी हुई है.
भक्ति और श्रद्धा के इस आवेग के बीच महादेव शिव का एक खास मंदिर अपनी ओर ध्यान आकर्षित करता है.
जहां महादेव और महाविष्णु हैं साथ-साथ
वैसे तो भारत भूमि का कण-कण शंकर और घर-घर मंदिर है, लेकिन बिहार के सारण में स्थित इस शिवमंदिर की अलग ही खासियत है. यह प्राचीन शिवाला बाबा हरिहर नाथ के नाम से जाना जाता है. इसकी विशेषता यह है कि इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ अपने आराध्य और अपने प्रिय भगवान विष्णु के साथ विराजित हैं.
गंगा-गंडक के संगम पर बना मंदिर
बिहार के सारण जिले में स्थित सोनपुर में हरिहरनाथ बहुत प्राचीन मंदिर है. यहां हरि (विष्णु) और हर (शिव) की प्रतिमा एक साथ स्थापित है. एक साथ होने के कारण ही इसे हरिहर नाथ कहते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा-गंडक के संगम स्थल यानी हाजीपुर सोनपुर में स्थित हरिहर क्षेत्र में गंडक नदी के किनारे लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करते हैं.
बाबा हरिहर नाथ मंदिर मे पूजा अर्चना करते हैं. पौराणिक विरासत को संजोए बाबा हरिहर नाथ श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं. सावन के दिनों में यहां विश्व प्रसिद्ध मेले के लगने का इतिहास रहा है.
यहीं हुआ था हाथी और मगरमच्छ का युद्ध
एक पौराणिक कथा तो सबने सुनी है कि, एक हाथी नदी में पानी पीने गया और मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया. वह उसे खाना चाहता था. हाथी-मगर में बहुत भयानक युद्ध हुआ लेकिन हाथी एक समय के बाद कमजोर पड़ने लगा. तब उसने द्वारिकाधीश को पुकारा.
पौराणिक मान्यता है कि श्रीहरि ने यहीं पर गज के प्राणों की रक्षा करते हुए ग्राह का उद्धार किया था. सोनपुर में गज और ग्राह के युद्ध स्थल पर ही हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहरनाथ मंदिर है.
सावन और कार्तिक दोनों में ही जुटती है भीड़
सावन माह के सोमवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या महादेव की पूजा के लिए बढ़ जाती है तो वहीं कार्तिक में विशेष तौर पर हरि की पूजा की जाती है. वैसे दोनों ही समय में दोनों ही पूजित होते हैं.
किवदंती यह भी है कि मंदिर का निर्माण श्रीराम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था. गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित यह प्राचीन मंदिर सभी हिन्दूओं के परम आस्था का केंद्र है.
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राजा मानसिंह ने कराया निर्माण
भगवान राम के बनाए जाने के बाद उल्लेख के आधार पर कहा जाता है कि बाद में इस मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया. वर्तमान मंदिर की मरम्मत राजा राम नारायण ने करवाई थी. मंदिर के अंदर गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है. इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा भी है.
पूरे देश में इस तरह का कोई दूसरा मंदिर नहीं है जहां हरि और हर एक साथ स्थापित हों. यह स्थल शैव और वैष्णव मत के बीच एकेश्वरवाद का प्रतीक भी है.
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