लड्डू गोपाल की छठी कैसे मनाएं क्या है सही तरीखा, जानिए इस पर्व की पौराणिक कथा

Krishna Chhathi 2024 : कृष्ण छठी भगवान कृष्ण के जन्म के छठे दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है. ऐसी मान्यता है कि इसके बिना कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरा नहीं माना जाता, इस दिन सभी भगवान कृष्ण की छठी बड़ी धूमधाम से लोग अपने घरों में मनाते हैं.   

Written by - KIRTIKA TYAGI | Last Updated : Aug 31, 2024, 06:37 AM IST
  • चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर प्रभु को विराजमान करें
  • लड्डू गोपाल को रोली या पीले चंदन का तिलक करना चाहिए.
लड्डू गोपाल की छठी कैसे मनाएं क्या है सही तरीखा, जानिए इस पर्व की पौराणिक कथा

Laddu Gopal chhathi 2024 : हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. वहीं इस त्यौहार के छठे दिन यानी 6 दिन बाद श्री कृष्ण की छठी मनाई जाती है. यह दिन भी श्री कृष्ण के भक्तों के लिए किसी पर्व से कम नहीं होता. 

6 दिन बाद छठी 

हिंदु मान्यताओं के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है, कि जब किसी बच्चे का घर में जन्म होता है तो उसके 6 दिन बाद छठी का कार्यक्रम होता है. इस दिन बच्चों को स्नान करवा कर वस्त्र पहनाए जाते हैं साथ ही पूजा पाठ के दौरान षष्ठी मैया की विधि विधान से पूजा की जाती है. 

कढ़ी चावल का भोग 

ऐसा कहते हैं कि इस दिन षष्ठी मैया से बच्चे को अच्छा जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसी प्रकार कान्हा जी की भी छठी मनाई जाती है. उन्हें सुबह उठाकर स्नान करवा कर उन्हें अच्छे वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनका कढ़ी चावल से भोग लगाया जाता है. 

छठी की पूजा विधि 

श्रीकृष्ण की छठी पूजन के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर प्रभु को विराजमान करें. इसके बाद लड्डू गोपाल का पंचामृत से स्नान करें साथ ही उन्हें नए वस्त्र पहनाकर स्थापित करें. यह स्नान दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल जैसी पवित्र वस्तुओं से किया जाता है. भक्त अक्सर भगवान कृष्ण को चमकदार और सुंदर पोशाक पहनाते हैं.

रोली या पीले चंदन का तिलक करें

इसके बाद लड्डू गोपाल को रोली या पीले चंदन का तिलक करें. साथ ही फूल माला अर्पित करें और दीपक जलाकर आरती करें. इस दिन लड्डू गोपाल को विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसमें कढ़ी चावल, लड्डू , मक्खन और मिश्री विशेष रूप से शामिल होते हैं जो भगवान कृष्ण के पसंदीदा माने जाते हैं. भोग को शुद्धता और प्रेम के साथ बहुत सावधानी से तैयार किया जाता है. प्रसाद चढ़ाने के बाद, प्रसाद परिवार के सदस्यों और भक्तों के बीच बांटा जाता है.

कीर्तन और भजन

भक्ति गीत गाना, जिन्हें कीर्तन और भजन के रूप में जाना जाता है, यह भी कृष्ण छठी उत्सव का एक अभिन्न अंग है. भक्त भगवान कृष्ण की स्तुति गाने के लिए इकट्ठा होते हैं, उनके बचपन की कई लीलाओं को याद करते हैं. साथ ही धूमधाम से जश्न मनाते हैं. 

भगवान कृष्ण के लिए उपवास

कई भक्त तो कृष्ण छठी पर उपवास रखते हैं, पूजा करने और लड्डू गोपाल को भोग लगाने के बाद ही इसे तोड़ते हैं. यह व्रत भक्ति का एक रूप है, और माना जाता है कि यह परिवार के लिए आशीर्वाद और सुरक्षा लाता है.

क्या है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में होने के बाद, उनके पिता वासुदेव उन्हें सबसे छिपा कर यमुना नदी के पार गोकुल ले गए, जहां उन्हें सुरक्षित रूप से नंद और यशोदा की देखभाल में रखा गया था. नवजात कृष्ण को दुष्ट राजा कंस से बचाने के लिए, जिसने उन्हें मारने की कसम खाई थी,बच्चों की दिव्य रक्षक देवी षष्ठी का आशीर्वाद पाने के लिए छठी पूजा मनाई जाती है.

 शिशु को मिलता है आशीर्वाद 

बता दें, कि ऐसा भी माना जाता है कि देवी षष्ठी नवजात शिशु को स्वास्थ्य, लंबी उम्र और बुरी शक्तियों से सुरक्षा का आशीर्वाद देती हैं. कृष्ण छठी की आज भी यही परंपरा जारी है. 

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)

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