Mokshada Ekadashi 2023: क्यों मनाई जाती है मोक्षदा एकादशी, जानें इसकी कहानी और व्रत पारण के नियम

Mokshada Ekadashi: हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी व्रत में भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता है. पंचांग के अनुसार इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 22 दिसंबर यानी आज रखा जाएगा. ऐसे में जानिए मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा और पारण के नियम क्या है आइए हम आपको बताते हैं.  

Written by - Shruti Kumari | Last Updated : Dec 22, 2023, 09:07 AM IST
  • मोक्षदा एकादशी व्रत नियम
    मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
Mokshada Ekadashi 2023: क्यों मनाई जाती है मोक्षदा एकादशी, जानें इसकी कहानी और व्रत पारण के नियम

नई दिल्ली: Mokshada Ekadashi 2023: हर साल मार्गशीर्ष मास की एकादशी को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था. मोक्षदा एकादशी पर व्रत करने का विशेष महत्व होता है. इस साल का आखिरी एकादशी आज यानी 22 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. 

हिंदू धर्म के मान्यताओं अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने वाले को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और बाद में मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस मोक्षदा एकादशी की पूजा करने से पितर भी प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं. ऐसे में जानिए मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा और व्रत करने के नियम:

मोक्षदा एकादशी व्रत नियम
मोक्षदा एकादशी पर व्रती को सुबह स्नान करके सबसे पहले भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करना चाहिए. व्रत का पारण रोटी या आंवला से करना चाहिए और मोक्षदा एकादशी के दौरान भूल कर भी बैंगन, मसूर, उड़द की दाल, मूली और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रत पारण के दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद खुद भोजन करना चाहिए.

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, गोकुल नगर में बैखानस नाम का राजा रहता था, उसके राज्य में चारों वेदों को जानने वाले ब्राह्मण रहते थे. सुबह उठकर वह विद्वान ब्राह्मणों के पास गए और अपना सपना उन्हें बताया. राजा ने ब्राह्मणों को बताया कि मेरे पिता ने कहा यहां से तुम मुझे मुक्त कराओ.

इस पर ब्राह्मणों ने कहा-हे राजन यहां पास में ही भूत, भविष्य, वर्तमान में पर्वत ऋषि का आश्रम है, वो ही आपकी समस्या का हल कर सकते हैं. ऐसा सुनकर राजा मुनि के आश्रम गए. ऐसे में मुनि के वचन सुनकर राजा महल में आए और मोक्षदा एकादशी का व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव से उनके पिता को मुक्ति मिल गई और स्वर्ग जाते हुए राजा के पिता ने कहा हे, पुत्र तेरा कल्याण हो. इसलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है, जो लोग मोक्षदा एकादशी का व्रत करते हैं उनके सभी पाप दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.

 

 

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