Navratri 2024: नवरात्रि के कलश स्थापना के दौरान करें ये काम, मां दुर्गा हो जाएंगी नाराज

Navratri 2024: 3 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती हैं. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना होती है. कलश स्थापना के दौरान कुछ काम नहीं करने चाहिए.   

Written by - Dr. Anish Vyas | Last Updated : Oct 2, 2024, 05:03 PM IST
  • घटस्थापना के दौरान क्या नहीं करना चाहिए
  • इन गलतियों से मां दुर्गा हो जाएगी नाराज
Navratri 2024: नवरात्रि के कलश स्थापना के दौरान करें ये काम, मां दुर्गा हो जाएंगी नाराज

नई दिल्ली Navratri 2024: नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना का दिन होता है. हिंदू धर्म में कलश स्थापना के कुछ नियम होते हैं. नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. ऐसे में जानते हैं कलश स्थापना के दौरान किन गलतियों से बचना चाहिए. 

कलश स्थापना
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं. रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है. घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं.  प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है. हालांकि इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है.
  
कलश स्थापना सामग्री 
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.
 
कैसे करें कलश स्थापना
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं. कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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