नई दिल्ली. पितृ पक्ष या श्राद्ध भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दौरान शुरू होता है. जो कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समाप्त हो जाती है. इस 16 दिनों की अवधि के दौरान, हिंदू अपने पूर्वजों की दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान श्राद्ध के अनुष्ठान से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
पितृपक्ष के दौरान कौवों को भोजन कराया जाता है. ऐसी मान्यता है कि कौवों के माध्यम से भोजन पितरों तक पहुंच जाता है. इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर शनिवार से शुरू हो रहा है और 25 सितंबर रविवार को समाप्त होगा. इसके अगले दिन से नवरात्र का आरंभ हो जाएगा.
श्राद्ध की तिथियां
10 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध
11 सितंबर- द्वितीया श्राद्ध
12 सितंबर- तृतीया श्राद्ध
13 सितंबर- चतुर्थी श्राद्ध
14 सितंबर- पंचमी श्राद्ध
15 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध
16 सितंबर- सप्तमी श्राद्ध
17 सितंबर 2022 - इस दिन श्राद्ध नहीं होगा
18 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध
19 सितंबर- नवमी श्राद्ध
20 सितंबर- दशमी श्राद्ध
21 सितंबर- एकादशी श्राद्ध
22 सितंबर- द्वादशी श्राद्ध
23 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध
24 सितंबर- चतुर्दशी श्राद्ध
25 सितंबर- अमावस्या श्राद्ध
श्राद्ध के अनुष्ठान
पूर्वजों का श्राद्ध या पिंडदान इन 15 दिनों की अवधि के दौरान किसी भी दिन की जा सकता है. श्राद्ध अवधि महालय दिवस पर समाप्त होती है, जो इस वर्ष 25 सितंबर को पड़ रही है. श्राद्ध के दिन पितरों को बुलाकर पिंड चढ़ाया जाता है. श्राद्ध और तर्पण की रस्म के बाद गरीब लोगों को भोजन कराया जाता है.
श्राद्ध का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, यह माना जाता है कि पितृलोक में पूर्वजों की आत्माएं निवास करती हैं और वे पितृपक्ष के दौरान पृथ्वी पर उतरती हैं. इसलिए, हर साल इस समय के दौरान, मृतक के परिवार के सदस्य पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए श्राद्ध करते हैं. पितृ पक्ष के दौरान किए गए अनुष्ठान दिवंगत आत्माओं को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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