Raksha sutra: मौली धागा बांधते या उतारते समय भूलकर भी न करें ये गलती, जानें

Raksha sutra: शास्त्र में मौली धागा पहनने और उतारने के कई नियम बताए गए हैं. अगर इन नियमों का पालन किया जाए तो कई समस्याओं से बचा जा सकता है. आइए जानें मौली धागे को बांधने और खोलने के नियम.

Written by - Shruti Kumari | Last Updated : Jan 21, 2024, 04:30 PM IST
  • मौली धागा बांधने के नियम
  • निकासी नियम क्या हैं?
Raksha sutra: मौली धागा बांधते या उतारते समय भूलकर भी न करें ये गलती, जानें

नई दिल्लीः Raksha sutra:  हिंदू धर्म में मौली धागे का बहुत महत्व है. इसे पहनने और उतारने के कई नियम बताए गए हैं. इन नियमों का पालन कर कई समस्याओं से बचा जा सकता है. हिंदू धर्म में मौली धागे को रक्षा सूत्र के रूप में बांधा जाता है. ऐसा माना जाता है कि किसी भी पूजा के बाद मौली धागा बांधने से भगवान की पूर्ण कृपा और आशीर्वाद मिलता है. वहीं मौली धागे का लाल रंग सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, इसलिए मौली धागा हमेशा शरीर और दिमाग के लिए अच्छा माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं मौली धागे बांधने और खोलने के नियम के बारे में. 

मौली धागा बांधने के नियम
शास्त्रों की मानें, तो पुरुषों और अविवाहित लड़कियों को मौली का धागा दाहिने हाथ पर बांधना चाहिए. वहीं, शादीशुदा महिलाओं का बाएं हाथ पर बांधना शुभ माना जाता है. शास्त्रों की मानें, तो जिस हाथ में आप धागा बांध रहे हैं उस हाथ में एक सिक्का या रुपया पकड़ लें और मुट्ठी बंद कर लें. फिर दूसरे हाथ को सिर पर रखें. मौली धागे को हाथ में 3, 5 या 7 बार लपेटें. धागा बांधने के बाद उस व्यक्ति को दक्षिणा के रूप में पैसे दे दें, जिसने इसे आपके हाथ पर बांधा है.

निकासी नियम क्या हैं?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,  हाथ पर बांधा गया मौली धागा केवल मंगलवार और शनिवार को ही उतारना चाहिए. इसे हटाकर पूजा स्थल पर बैठकर दूसरा मूली का धागा बांध लें. मौली धागे को हाथ से उतारकर किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख दें या बहते पानी में बहा दें. आपमें से कई लोगों ने यह भी देखा होगा कि जब मंदिर में पुजारी मौली धागा बांधने के लिए लेते हैं तो मंत्र का जाप करते हैं. 

ऐसे में मूली का धागा बांधते समय "ॐ न बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वा मनुबधनानि रक्षे माचल माचल" मंत्र का जाप करें. रक्षासूत्र या मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है. यज्ञ आदि के दौरान बांधने की एक लंबी परंपरा है, लेकिन संकल्प सूत्र को रक्षा सूत्र के रूप में बांधने का एक कारण यह भी है और इसका एक पौराणिक संबंध भी है.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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