Ganesh puja: अपने पिता शिव से भी पहले क्यों पूजे जाते हैं गणेश जी, दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी

 Ganesh puja: हिंदू धर्म में माता-पिता से बढ़कर गुरु नहीं है, यह बात सबसे पहले गणपति जी ने पूरे ब्रह्मांड को बताई थी. कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. सवाल यह उठता है कि गणेश जी के पिता भगवान शिव के होते हुए भी गणपति को ही पहले क्यों पूजा जाता है. 

Written by - Shruti Kumari | Last Updated : Jan 10, 2024, 10:44 AM IST
  • गणपति का परिवार देता है एकता की सीख
  • गणेश जी का पूजन कथा
Ganesh puja: अपने पिता शिव से भी पहले क्यों पूजे जाते हैं गणेश जी, दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी

नई दिल्ली: Ganesh puja: हिंदू धर्म में जब कोई शुभ कार्य किया जाता है, तो सबसे पहले भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है या प्रार्थना करते हैं. कहते हैं कि यदि शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी का आशीर्वाद लिया जाए तो कार्य में कोई बाधा नहीं आती है. गणपति जी की पूजा करने से बुद्धि में वृद्धि होती है, रुके कार्य पूर्ण होते हैं. गणेश जी जीवन में कई अहम सीख भी देते हैं जो सुखी और सफल जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. यहां हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं.

गणेश जी का पूजन कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उनसे पूछा कि आप ही बताएं सभी देवताओं में से सबसे पहले किस देवता की पूजा होनी चाहिए. भगवान शिव ने सभी देवताओं से कहा कि, जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड की परिक्रमा सबसे पहले करके आएगा, उसे ही जगत में सबसे पहले पूजा जाएगा. गणेश जी ने उस समय सभी देवताओं की तरह ब्रह्माणड की परिक्रमा न करने की जगह भगवान शिव और मां पार्वती की सात परिक्रमा की. उनके सामने होथ जोड़ कर उनसे आशीर्वाद लिया. भगवान शिव ने गणेश जी को विजयी घोषित किया और उन्हें प्रथम पूजनीय देवता का वरदान दिया गया. इस तरह भगवान गणेश जी प्रथम पूजनीय देवता बने. उस समय से गणेशजी की पूजा सबसे पहले होने लगी. सभी देवताओं ने शिवजी के इस बात को स्‍वीकार किया.
 
गणपति का परिवार देता है एकता की सीख
गणपति जी माता-पिता को श्रेष्ठ मानते हैं. उनसे सीख मिलती है कि जब इंसान अकेला होता है तो छोटी से छोटी चुनौतियों से भी घबरा जाता है, लेकिन परिवार साथ हो तो बड़े से बड़ा संकट भी झेल जाता है. गणपति सीख देते हैं कि एकता में ही ताकत है. गणेश जी अपना हर कार्य ईमानदारी और पूरी लगन के साथ संपन्न करते थे. एक बार की बात है कि भोलेनाथ को पूर्णिमा पर यज्ञ का आयोजन करना था. इसमें समस्त देवी- देवता और ऋषियों को न्योता जाना था. लेकिन यज्ञ के लिए समय कम था ऐसे में ये कार्य उन्होंने गणपति जी को सौंपा. गणपति जी ने एक दिन में ही तीनों लोकों के समस्त देवतागणों को आमंत्रित किया. इस बात से ये सीख मिलती है कि माता-पिता का कहे का पालन करना संतान का परम कर्तव्य होना चाहिए. उनकी खुशी में ही आपकी खुशी है.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)

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