कांग्रेस को 'जिन्ना पसंद है'! लेकिन मुख्य चुनावी मुद्दा बेरोजगारी

कांग्रेस पार्टी को जिन्ना पसंद है, इसका बहुत बड़ा सबूत सामने आ चुका है. लेकिन तेजस्वी यादव ने बिहार के युवाओं का वोट हासिल करने के लिए 10 लाख नौकरियां देने का वादा कर दिया है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 17, 2020, 03:20 PM IST
  • बिहार में चुनावी मुद्दा क्या है?
  • युवाओं से रोजगार का वादा
  • कांग्रेस को जिन्ना पसंद है
कांग्रेस को 'जिन्ना पसंद है'! लेकिन मुख्य चुनावी मुद्दा बेरोजगारी

पटना: बिहार विधानसभा में इस बार का सबसे अहम मुद्दा रोजगार माना जा रहा है. सभी सियासी पार्टियां अपना-अपना जोर लगा रही हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. महागठबंधन ने बेरोजगारी को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है.

'सत्ता में आए तो 10 लाख नौकरी देंगे'

जिसमें सरकार बनते ही कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख युवाओं को स्थायी नौकरी देने का वादा किया गया है. साथ ही शिक्षकों से समान काम के बदले समान वेतन देने का वादा किया गया है. नियोजित शिक्षकों को स्थायी करने की बात भी कही गई है.

वादा और लालच चुनावी राजनीति का सबसे बड़ा हथियार माना जाता है. बिहार ही नहीं पूरे देश में रोजगार इस वक्त अहम मुद्दा है. जहां, NDA की नीतीश सरकार इस चुनाव में अपनी उपलब्धियों को गिनाकर वोट मांग रही है. तो वहीं महागठबंधन ने ये आरोप लगाया है कि 'बीजेपी के राज में अपराध बढ़ा है'.

क्या कांग्रेस को जिन्ना पसंद है?

क्या बिहार की जनता जिन्ना भक्तों को वोट देगी. ये सवाल इसलिए क्योंकि कांग्रेस ने बिहार में जिस मशकूर अहमद उस्मानी को टिकट दिया है उसकी दो साल पहले 2018 में जिन्ना भक्ति पूरे देश ने देखी थी. AMU में  मशकूर अहमद उस्मानी ने जिन्ना की तस्वीर ना हटाने और वापस लगाने के पूरा जोर लगा दिया था उसे कांग्रेस के टिकट से बिहार चुनाव में जिन्ना की एंट्री हो गई है.

जिन्ना सिर्फ जाति और धर्म की राजनीति में बांटने का नाम नहीं, भारत के बंटवारे का नाम भी है. जिस जिन्ना की लगाई आग में हज़ारों हिंदू-मुस्लिम जलकर ख़ाक हो गए. उसी जिन्ना प्रेमी गैंग के नेता बिहार चुनाव में भी पहुंच चुके हैं. कांग्रेस ने बिहार के जीले सीट से मशकूर अहमद उस्मानी को उम्मीदवार बनाया है. मशकूर अहमद उस्मानी कौन हैं ये आपकों 2 साल पहले यानी 2018 के किस्से से समझाते हैं.

2018 में AMU छात्र संघ के अध्यक्ष पर आरोप लगा था, कि उन्होंने भारत के बंटवारे के ज़िम्मेदार मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को यूनिवर्सिटी में लगाया था. जिस जिन्ना ने करीब 70 साल पहले जिन्ना ने देश में सिविल वॉर यानी गृह युद्ध की चेतावनी दी थी.

उसी जिन्ना की तस्वीर AMU में लगाए रखने के लिए मशकूर अहमद पर यूनिवर्सिटी में हंगामा कराने का आरोप है. जिन्ना प्रेमी मशकूर अहमद ने तब भी कहा था कि AMU से जिन्ना की तस्वीर नहीं हटने देंगे. तो भारत के बंटवारे के जिम्मेदार जिन्ना के समर्थकों को बिहार चुनाव में कांग्रेस ने टिकट क्यों दिया. इसपर बीजेपी ही नहीं कांग्रेस में भी गृहयुद्ध की स्थिति है.

कांग्रेस नेता ऋषि मिश्रा ने कहा है कि "कांग्रेस गांधी विचाधारा को मानने वाली पार्टी, जिन्ना समर्थक को पार्टी ने कैसे टिकट दिया. मुझे टिकट नहीं मिला कोई बात नहीं. लेकिन देश विरोधी शख्स को कैसे टिकट दिया गया."

बिहार चुनाव में जिन्ना की एंट्री से कांग्रेस को दोहरे फ्रंट पर युद्ध लड़ना पड़ रहा है. एक ओर कांग्रेस पर बीजेपी जिन्ना प्रेमी होने के आरोप लगा रही है. दूसरी ओर जिन्ना के चेहेते को टिकट देने से पार्टी में ही गृहयुद्ध की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि अब कांग्रेस ने जिन्ना के मुद्दे पर मिट्टी डालने की कोशिश करते हुए DNA पॉलिटिक्स की शुरुआत कर दी है.

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