क्या बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय गठबंधन बनाने में कामयाब होंगे केसीआर, जानिए विपक्षी एकता की हकीकत?

अगले साल लोकसभा चुनाव होना है. लगातार दो बार देश में सरकार बनाने वाली बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनावी जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रही है. वहीं, विपक्ष में कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति, जनता दल यूनाइटेड समेत अन्य दल सत्ता में वापसी की राह देख रहे हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 25, 2023, 02:01 PM IST
  • ...तो गठबंधन की ओर जाती हैं राजनीतिक पार्टियां
  • विश्लेषक मानते हैं कि केसीआर का नहीं है राष्ट्रीय कद
क्या बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय गठबंधन बनाने में कामयाब होंगे केसीआर, जानिए विपक्षी एकता की हकीकत?

नई दिल्लीः अगले साल लोकसभा चुनाव होना है. लगातार दो बार देश में सरकार बनाने वाली बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनावी जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रही है. वहीं, विपक्ष में कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति, जनता दल यूनाइटेड समेत अन्य दल सत्ता में वापसी की राह देख रहे हैं. जहां राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के अंतिम चरण में हैं और देश के कई राज्यों की यात्रा कर चुके हैं वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) राष्ट्रीय गठबंधन की जुगत में हैं

इससे पहले केसीआर कुछ विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं, वह अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर चुके हैं. क्या केसीआर तेलंगाना की क्षेत्रीय पहचान से निकलकर राष्ट्रीय पहचान पा सकेंगे? और क्या राष्ट्रीय गठबंधन की कोशिश मूर्त रूप ले पाएगी?

...तो गठबंधन की ओर जाते हैं राजनीतिक दल
इस पर न्यूज एजेंसी पीटीआई से वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और 'सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी' (सीएसडीएस) के लोकनीति कार्यक्रम के सह-निदेशक प्रोफेसर सुहास पलशीकर कहते हैं कि जब एक राजनीतिक दल का दबदबा होता है और अन्य दल अकेले उससे मुकाबले में खुद को कमजोर पाते हैं तो वे गठबंधन की ओर जाते हैं. 

आज कांग्रेस यही कर रही है. भारत राष्ट्र समिति और तृणमूल कांग्रेस भी यही कर रहे हैं, लेकिन इस प्रकार के गठबंधन को बनाने की प्रक्रिया में सबसे बड़ा प्रश्न यही आता है कि कौन इसका चेहरा होगा. स्वाभाविक है कि कांग्रेस इसका चेहरा बनना चाहती है. 

'केसीआर का नहीं है राष्ट्रीय कद'
बकौल पलशीकर, मुझे नहीं लगता कि केसीआर का वह राष्ट्रीय कद है जो वह सभी विपक्षी दलों को एकजुट कर सकें. ऐसा प्रयास यदि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करें तो कुछ हद तक सफल हो सकती हैं, क्योंकि वह राष्ट्रीय राजनीति के एक प्रमुख चेहरे के रूप में उभरी हैं. 

कई कारणों से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भी ऐसे प्रयासों में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं. द्रविड़ मुनेत्र कषगम ने पहले भी ऐसी भूमिका निभाई है. राष्ट्रीय राजनीति में उत्तर भारत का प्रभुत्व दक्षिण में एक बड़ा मुद्दा होता है. 

उनका कहना है, फिलहाल मेरा मानना है कि इस प्रकार के प्रयास अभी जारी रहेंगे, और यह स्वाभाविक भी हैं. सबके अपने-अपने हित भी हैं. इसलिए गठबंधन बनाना बड़ा जटिल दिख रहा है.

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