Loksabha Chunav: जयंत चौधरी के दोनों हाथों में है लड्डू, फिर भी स्वाद चखने में क्यों कर रहे देरी?

Loksabha Chunav: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में सत्तासीन और विपक्षी दल जोरशोर से तैयारियों में जुटे हैं. दोनों ही ओर से कई राजनीतिक दलों में समझौता हो चुका है लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) अध्यक्ष जयंत चौधरी किस तरफ जाएंगे, ये देखना दिलचस्प है. उन्होंने एनडीए और विपक्षी गठबंधन इंडिया दोनों के लिए अपने दरवाजे खोल रखे हैं. अब देखना यह है कि दोनों हाथों में लड्डू लिए जयंत चौधरी किसका स्वाद चखना चाहेंगे?

Written by - IANS | Last Updated : Aug 13, 2023, 01:12 PM IST
  • बीजेपी के साथ जाने की चर्चा
  • विपक्ष के भी साथ दिखे जयंत
Loksabha Chunav: जयंत चौधरी के दोनों हाथों में है लड्डू, फिर भी स्वाद चखने में क्यों कर रहे देरी?

नई दिल्लीः Loksabha Chunav: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में सत्तासीन और विपक्षी दल जोरशोर से तैयारियों में जुटे हैं. दोनों ही ओर से कई राजनीतिक दलों में समझौता हो चुका है लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) अध्यक्ष जयंत चौधरी किस तरफ जाएंगे, ये देखना दिलचस्प है. उन्होंने एनडीए और विपक्षी गठबंधन इंडिया दोनों के लिए अपने दरवाजे खोल रखे हैं. अब देखना यह है कि दोनों हाथों में लड्डू लिए जयंत चौधरी किसका स्वाद चखना चाहेंगे?

योगी से मिले रालोद के विधायक
नए सिरे से उभार मार रहे जयंत चौधरी की नजर इस बात पर है कि सियासी पलड़ा किधर भारी है. हाल में विधानसभा के सत्र के दौरान रालोद के विधायक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर मिले. ऐसा पहली बार हुआ है जब रालोद विधायक एक साथ मुख्यमंत्री से मिले हैं. ऐसे में सियासी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. 

बीजेपी के साथ जाने की चर्चा
कहा जा रहा है कि राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर हुई वोटिंग में पहले रालोद प्रमुख जयंत चौधरी गायब रहे. अब विधायक सामूहिक रूप से मुख्यमंत्री से मिले. जयंत के पहले से ही भाजपा के साथ जाने की चर्चा तेज है. अब इन विधायकों का मिलना एक नई सियासी खिचड़ी की ओर संकेत कर रहा है. यह मुलाकात और जारी हुई तस्वीर ने नई चर्चा को जन्म दिया है.

विपक्ष के भी साथ दिखे जयंत
इससे पहले जून में पटना में विपक्ष की पहली बैठक हुई तो वहां जयंत नहीं पहुंचे, लेकिन 17 जुलाई को बेंगलुरू में कांग्रेस की अगुआई में आयोजित दूसरी बैठक में पहुंच गए. सात अगस्त को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल के दौरान जयंत चौधरी गायब रहे. हालंकि रालोद के प्रवक्ता अनिल दुबे रालोद के एनडीए में जाने की बातों को अफवाह बता रहे हैं. मुख्यमंत्री से रालोद विधायकों का मिलना सूखा और बाढ़ से जूझ रहे किसानों की समस्याओं को लेकर मिलना बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि रालोद 'इंडिया' गठबंधन के साथ है.

पिछले दिनों जयंत चौधरी का एक ट्वीट 'चावल खाना हो तो खीर खाओ' को सत्ताधारी दल के साथ हाथ मिलाने से जोड़कर देखा गया.

पार्टी को मजबूत करना चाहते हैं जयंत
रालोद के अन्य एक वरिष्ठ नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि जयंत चौधरी को अपनी पार्टी को मजबूत करना है. यही वजह है कि वह अभी सियासी चीजें देख रहें हैं. वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अगली सरकार के विकल्प बनना चाहते हैं. इसी कारण सारे विकल्प खोल रखे हैं. साल 2022 के चुनाव में रालोद ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. जाट वोट में छोटे चौधरी की पकड़ मजबूत है. क्षेत्र में अपनी एक संघर्ष की पहचान है. ऐसे में रालोद को केंद्र में मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाया जाएगा.

राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में जाट वोटों की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है. अगर चुनावी आंकड़ों को देखें तो जाट पूरे उत्तर प्रदेश की कुल आबादी का करीब 1.5 से 2 फीसदी हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में उनकी जनसंख्या 18 फीसदी तक है. 

जाट वोटरों को रिझाने की फिराक में बीजेपी
वह बताते हैं कि प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की राजनीतिक विरासत संभाल रहे जयंत चौधरी से गठबंधन कर भाजपा यूपी के साथ पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के जाट वोटरों को रिझाने की फिराक में है. अभी बीजेपी के पास जाटों का कोई ऐसा नेता नहीं जिसकी स्वीकारिता पूरे देश में हो. ऐसे में भी उनका फोकस जयंत की तरफ है. लिहाजा पार्टी का एक बड़ा गुट उन्हें लेने के पक्ष में है. 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद ने आठ सीटें जीती थी. वहीं पश्चिमी यूपी की जाट बहुल सीटों पर भाजपा को नुकसान हुआ था. इसी तरह निकाय चुनाव के आंकड़े भी जाट बहुल इलाके में भाजपा को नुकसान हुआ.

क्यों अभी जयंत नहीं खोल रहे हैं पत्ते
प्रसून कहते हैं कि जयंत को अगर इंडिया गठबंधन में मन मुताबिक सीटें नहीं मिली तो वह राजग में शामिल होते हैं तो उन्हें केंद्र में जगह तो मिलेगी साथ ही उनके एक दो विधायक मंत्री बन सकते है. केंद्र और राज्य सरकार में भागीदारी भी मिल जायेगी. इसी कारण वह अभी पूरे पत्ते नहीं खोल रहे हैं.

नफा नुकसान देख रहे हैं जयंत
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि रालोद अभी 2024 के चुनाव के लिए पूरी तरह से पत्ते नहीं खोल रहा है. अभी वह इंडिया और एनडीए में जाने के नफा नुकसान देख रहे हैं. अभी हाल के घटनाक्रम पार्टी की रणनीति के तहत संदेश देने का प्रयास था. क्योंकि जयंत को लोकसभा में अपनी उपस्थित तो दर्ज कराने के साथ जाटों के बड़े नेता के तौर पर उभार पाने का प्रयास कर रहे हैं.

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