नई दिल्लीः चंडीगढ़ में रविवार को सियासी पारा हाई रहा. जहां बीजेपी नेता मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ के मेयर पद से इस्तीफा दिया तो वहीं आम आदमी पार्टी (आप) के तीन पार्षद भाजपा में शामिल हो गए हैं. अहम बात यह है कि ये घटनाक्रम मेयर पद के लिए हालिया चुनावों में धांधली के आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से एक दिन पहले हुआ. मामले में आज उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होगी.
'कांग्रेस-आप जनता को बेवकूफ बना रहे'
बीजेपी की चंडीगढ़ इकाई के प्रमुख जतिंदर पाल मल्होत्रा ने बताया कि सोनकर ने निगम आयुक्त को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आप के बीच कोई गठबंधन नहीं है और वे केवल जनता को बेवकूफ बना रहे हैं. उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, 'उन्हें जनता के सामने बेनकाब किया जाएगा.'
अब बीजेपी का पलड़ा हुआ भारी
आम आदमी पार्टी के जो तीन पार्षद बीजेपी में शामिल हुए हैं उनमें नेहा, पूनम और गुरुचरण काला हैं जो बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए. ‘आप’ के तीन पार्षदों के पाला बदलने से यह तय है कि जब भी महापौर के नए चुनाव होंगे तो पलड़ा भाजपा के पक्ष में झुक जाएगा.
पहले निगम में यह था संख्याबल
उनके शामिल होने से पहले 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के 14 पार्षद थे और आप के 13 पार्षद थे. चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर को भी निगम के सदन में मतदान का अधिकार है. कांग्रेस के सात और शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है.
मेयर चुनाव में बीजेपी को मिली थी जीत
भाजपा ने 30 जनवरी को महापौर पद के लिए हुए चुनाव में जीत हासिल की थी जिससे आप और कांग्रेस के गठबंधन को झटका लगा था. इसके बाद उन्होंने निर्वाचन अधिकारी पर मत पत्रों में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था. सोनकर ने महापौर पद के लिए हुए चुनाव में 'आप' के कुलदीप कुमार को हराया था. सोनकर को 16, जबकि कुमार को 12 वोट मिले थे तथा आठ वोट अवैध घोषित किए गए थे.
आप उम्मीदवार ने कोर्ट में लगाई थी गुहार
कुमार ने बाद में उच्चतम न्यायालय का रुख किया था. शीर्ष अदालत ने पांच फरवरी को महापौर चुनाव कराने वाले निर्वाचन अधिकारी को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह स्पष्ट है कि उन्होंने मतपत्रों में छेड़छाड़ की थी और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी कहा था कि अधिकारी का कृत्य लोकतंत्र की 'हत्या और मजाक' है.
अदालत ने मत पत्रों और मतदान की कार्यवाही के वीडियो को सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया था तथा 19 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई के दिन निर्वाचन अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था.
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