नई दिल्ली: Sharad Pawar in Maharashtra Vidhan Sabha Chunav 2024: महाराष्ट्र की सियासत का केंद्र रहे शरद पवार की उम्र करीब 83 वर्ष हो चुकी है. वे अपनी राजनीतिक पारी के अंतिम मोड़ पर हैं. एक जमाना था जब शरद पवार महाराष्ट्र के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के सबसे खाटी राजनेता माने जाते थे. ऐसा कहा जाता है कि पवार दाएं हाथ से काम करते थे, लेकिन बायां तो छोड़ो, दाएं को भी पता नहीं लगता था कि वह काम कर रहा है. हाल के साल शरद पवार के लिए चुनौती भरे रहे. पहले भतीजे ने बगावत की, करीबी नेता छोड़ गए, पार्टी का आधिकारिक सिंबल तक चल गया. माना जा रहा था कि शरद पवार अपने सियासी सफर के आखिरी पड़ाव से निराश रहेंगे. लेकिन पवार इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते, तभी तो उन्होंने अपने सियासी भविष्य को खुद बदलने का फैसला किया.
शरद पवार ने किया कमबैक
शरद पवार ने अपनी ताकत का अहसास लोकसभा चुनाव 2024 में कराया. उनकी पार्टी ने 10 में से 8 सीटें जीतीं. महाराष्ट्र में सभी दलों से अच्छा स्ट्राइक रेट पवार की पार्टी का रहा. उन्हें छोड़कर गए भतीजे अजित पवार को भी शरद ने सबक सिखाया. अजित की पार्टी 4 में से 1 ही सीट जीत पाई, उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार भी बारामती से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से चुनाव हार गईं. इसके बाद से शरद पवार का पॉलिटिकल ग्राफ फिर ऊंचा होने लगा.
चुनावी चौसर बिछा चुके शरद पवार
अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. शरद पवार की महाविकास अघाड़ी के सबसे सीनियर लीडर हैं. उन्होंने चुनावी चौसर पर अपनी मोहरे सेट कर दे हैं. भाजपा और अजित पवार भी उनकी चाल का तोड़ नहीं खोज पा रहे हैं. कहा जा रहा है कि सियासत का असली चाणक्य एक बार फिर लौट आया है. चलिए, जानते हैं कि शरद पवार की कौनसी 3 चाल विरोधियों पर भारी पड़ सकती हैं.
1. एंट्री करो, टिकट पाओ: शरद पवार का टिकट वितरण भाजपा और अजित पवार के लिए सिरदर्द बन सकता है. शरद पवार ने संदीप नाइक को अपनी पार्टी में शामिल किया है, जिन्हें वे बेलापुर से उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि संदीप के पिता को भाजपा ने पहले ही ऐलोरी से टिकट दे दिया. संदीप भी भाजपा से बेलापुर के लिए टिकट चाह रहे थे, लेकिन पार्टी ने यहां मंदा म्हात्रे को प्रत्याशी बनाया. शरद पवार ने मौका लपका और संदीप को NCP जॉइन करवा दी. इसके बाद संदीप ने इमोशनल कार भी खेला, कहा मेरे पिता मेरे साथ नहीं हैं, मैं दुखी हूं. पवार ने भाजपा को अटकाने के लिए इस सीट पर खेला कर दिया.
2. हिसाब पूरा करेंगे: शरद पवार ने हर उस विधायक को सबक सिखाने का फैसला कर लिया है, जो उन्हें छोड़कर गया था. अजित पवार ने सिन्नर सीट से माणिकराव कोकाटे को टिकट दिया, शरद पवार ने यहां उदय संगले को उतारकर दांव खेला. ऐसा कहा गया था कि अजित पवार का साथ देने वालों में माणिकराव सबसे आगे थे. इससे पहले पवार समरजितसिंह घाटगे और हर्षवर्धन पाटिल को पार्टी में ले आए. अजित पवार की पार्टी ने यहां तक कह दिया कि शरद पवार की पार्टी बीजेपी की बी टीम हो जाएगी.
3. बड़े दिल वाले: MVA के संस्थापक के तौर पर शरद पवार ने कांग्रेस और शिवसेना-UBT के बीच समन्वय स्थापित करने का काम किया. पहले उद्धव की पार्टी सीट शेयरिंग से खुश नहीं थी. लेकिन शरद पवार ने दोनों पार्टियों की बीच मध्यस्थता करके एक फॉर्मूला तैयार किया, जिस पर दोनों सहमत हुए. खास बात ये है कि लोकसभा चुनाव में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद भी शरद पवार ज्यादा सीटें लेने पर नहीं अड़े. उन्होंने संतुष्टि का भाव रखा, सहयोगियों को मौका दिया.
20 नवंबर को चुनाव, 23 नवंबर को नतीजे
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में आगामी 20 नवंबर को 288 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव होना है. चुनाव के वोटों की गिनती और रिजल्ट की घोषणा 23 नवंबर को होगी. इस दौरान झारखंड और कुछ राज्यों में होने वाले उपचुनाव के नतीजों का ऐलान भी किया जाएगा.
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