Bengal Election 2021: ममता दीदी का `मुस्लिम वोट` ही करेगा `चोट`!
जय श्री राम के नारों से चिढ़ने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब मुस्लिम वोट बैंक खिसकने से दो तरफा मुश्किलों से घिर गई हैं.
नई दिल्ली: 'जय श्री राम' के नारे से चिढ़ने वाली पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अकेली पड़ती जा रही हैं,जिस मुस्लिम वोट बैंक ने उन्हें सत्ता के सिंहासन पर पहुंचाने में मदद की,अब वो भी उसने खार खाए बैठा है. लेकिन अब बंगाल में मुस्लिमों के सबसे बड़े गढ़ फुरफुरा शरीफ के नेता ने ममता को बंगाल की सत्ता से उखाड़ फेंकने का ऐलान कर दिया है. ममता की हालत अब ऐसी हो गई है कि दुविधा में दोऊ गए माया मिली ना राम...
TMC को सत्ता से उखाड़ने का पीरजादा का ऐलान
तृणमूल की नीतियों ने हिंदू वोट बैंक को तो पहले से ही नाराज कर रखा है लेकिन अब तक जिस मुस्लिम वोट बैंक की सियासत के सहारे दीदी बंगाल की सत्ता पर राज कर रही थीं उसने भी दीदी के खिलाफ चुनावी संग्राम छेड़ दिया है.
मुस्लिम आबादी में राष्ट्रीय औसत 15 प्रतिशत से करीब दो गुना मुस्लिम आबादी वाले बंगाल में इस समुदाय का दबदबा खासा मायने रखता है. मुसलमानों में अच्छी पैठ रखने वाले फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने ममता की सत्ता उखाड़ फेंकने की सौगंध खाई है.
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अब्बास सिद्दीकी अपनी सियासी पार्टी ISF यानी इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ कांग्रेस और लेफ्ट की तिकड़ी मिलाकर चुनावी ताल ठोक रहे हैं. पर इस तीसरे गठबंधन में भी चुनाव से पहले ही सीटों को लेकर अंदर खाने संग्राम छिड़ा है.
डैमेज कंट्रोल के लिए ममता जाएंगी फुरफुरा शरीफ
जिसके वोट ने ममता दीदी के लिए बंगाल की सत्ता के दरवाजे खोले, जो अब तक देता रहा दीदी की सियासत को आकार, अब खिसक गया है दीदी का वही सियासी 'मुस्लिम आधार'. कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान की रैली में पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने बंगाल की रक्षा के लिए खून देने तक का हवाला देकर ममता के सिंहासन को झकझोर दिया है.
असर ऐसा है कि ममता के सिपहसालार अब फुरफुरा शरीफ की सियासत में सेंधमारी तक पर उतर आए हैं. खिसकते वोट बैंक की छटपटाहट ऐसी है कि अब जल्द ही फुरफुरा शरीफ के दर पर सीएम ममता दस्तक देंगी.
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यहां के एक और नेता अब्बास सिद्धीकी के चाचा तोहा सिद्दीकी से मुलाकात करेंगी जिसने अब्बास सिद्दीकी को बीजेपी का एजेंट बता डाला. हालांकि तोहा ने कहा कि फुरफुरा के दरवाजे सबके लिए खुले हैं यहां सबका स्वागत है, पर जियारत का इस केंद्र से किसी को सियासत की इजाजत नहीं.
तीसरे मोर्चे की कलह में बिखरा 'मुस्लिम वोट बैंक'
कोलकाता के जिस ब्रिगेड मैदान में गुरुवार को कांग्रेस, लेफ्ट और ISF ने संयुक्त रैली की, वहां इन पार्टियों के बीच की तनातनी ने अजीबोगरीब हालात बना दिए. जब ISF मुखिया पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के मंच पर आते ही उनके कार्यकर्ता नारे लगाने लगे और तब मंच पर भाषण दे रहे पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन की हूटिंग करने लगे.
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इस अपमान से तमतमाए अधीर नाराज होकर जाने लगे. हालांकि वामपंथी मोर्चा के चेयरमैन और दूसरे नेताओं ने उन्हें मनाया तब जाकर अधीर ने अपना भाषण पूरा किया. अभी भी अब्बास सिद्दीकी तीसरे मोर्चे और कांग्रेस के साथ गठबंधन को पक्का नहीं मानते. मालदा-मुर्शिदाबाद में हर हाल में अपने उम्मीदवार उतारने पर आमादा हैं.
वोट बैंक की भीड़ में BJP कहां खड़ी है?
28 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक वाले पश्चिम बंगाल की सियासत में मुस्लिम वोट बैंक का खासा दबदबा है. बीजेपी के लिए भी राहें आसान नहीं हैं, लेकिन पार्टी जिस आक्रामक तरीके से अभियान चला रही है, उससे बाकी पार्टियां होड़ में काफी पीछे छूटती दिख रही हैं.
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बीजेपी के पास बाकियों के मुकाबले एक सबसे बड़ा आकर्षण है केंद्र में लोकप्रिय मोदी सरकार और राज्य में अब तक वो 'अनटेस्टेड' है. 2019 के लोकसभा चुनाव के अलावा बीजेपी ने 2018 के पंचायत चुनाव में भी दूसरे नंबर की जगह बनाई. ज्यादातर उप चुनावों में वो दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
'मुस्लिम वोट बैंक' पर किसका कब्जा?
यानी बंगाल में ममता के आधार मुस्लिम वोट वैंक की चुनौती देने वाला तीसरा मोर्चा भी बिखरा हुआ नजर आता है. सवाल है ममता बनर्जी को खुली चुनौती देने वाले पीरजादा क्या खुद इस हैसियत में हैं कि वो मुस्लिम वोट बैंक को अपने बल बूते सियासी दिशा दे पाएं?
...क्योंकि मुस्लिम वोट बैंक पर सबका अपना-अपना दावा है. जिस भीड़ में ताल ठोकने वाले असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं. कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के कई बड़े मुस्लिम चेहरे भी शामिल हैं.
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खुद बीजेपी 'सबका साथ सबका विकास' नारे के साथ मुस्लिम वोट बैंक पर दावा ठोक रही हैं. ऐसे में अब तक मुस्लिम वोट बैंक के आधार पर सत्ता की धमक जमाती आईं. दीदी के सामने मुश्किल चौतरफा है.
ना खुदा मिला न विसाल-ए- सनम
जाहिर है बंगाल में ममता से नाराज मुस्लिम वोट बैंक, अब दीदी की सत्ता उखाड़ने पर अमादा हैं. और ममता फुरफुरा के चक्कर लगाने को मजबूर दीदी की दुविधा बढ़ गई है.
जय श्री राम के नारों से चिढ़ने वाली ममता, अब मुस्लिम वोट बैंक भी खिसकने से दो तरफा मुश्किलों से घिर गई हैं उनकी हालत है ना खुदा मिला न विसाल-ए-सनम.
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डैमेज कंट्रोल के लिए फुरफुरा शरीफ जाने का ममता का कार्यक्रम उसी वोट बैंक को जोड़े रखने की छटपटाहट है? क्या ममता डैमेज कंट्रोल कर पाएंगी? मुस्लिम वोट बैंक के बिना दीदी बचा पाएंगी अपना किला? क्या दीदी का 'मुस्लिम वोट' ही करेगा अब सबसे बड़ी 'चोट'?
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