एक्टिंग नहीं इस फील्ड में किस्मत आजमाना चाहते थे प्राण, अपनी इस लत के कारण बन गए फिल्मों में विलेन

Pran Death Anniversary: अरे ओ बरखुरदार...अपनी दमदार आवाज से सबका दिल जीतने वाले प्राण का 2013 में आज के दिन ही निधन हो गया था. अपने फिल्मी करियर में अभिनेता ने कई बेहतरीन फिल्में दी है. उनके डायलॉग आज भी लोगों के जुबान पर रहते हैं.

Written by - Manushri Bajpai | Last Updated : Jul 12, 2023, 10:03 AM IST
  • 12 जुलाई 2013 को प्राण का हुआ था निधन
  • हिंदी सिनेमा की जान से प्राण
एक्टिंग नहीं इस फील्ड में किस्मत आजमाना चाहते थे प्राण, अपनी इस लत के कारण बन गए फिल्मों में विलेन

नई दिल्ली:Pran Death Anniversary: हिंदी फिल्मों का मेन आकर्षण हीरो-हीरोइन होते हैं, वहीं फिल्म में विलेन का भी अपना रुतबा होता है, खास कर 60 से लेकर 80 के दशक तक, जो हर फिल्म में जान फूंक देता था. वहीं अगर फिल्म में विलेन प्राण हो तो क्या ही कहना. चाहे कितने बड़े सितारे ही क्यों न मेन लीड में हो, प्राण पूरी लाइम लाइट खींच ले जाते थे. पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में जन्मे प्राण कृष्ण सिकंद ने कभी नहीं सोचा था कि वह कभी हिंदी सिनेमा में राज करेंगे.

फोटोग्राफी में थी दिलचस्पी

प्राण साहब कभी भी एक्टर नहीं बनना चाहते थे. वह फोटोग्राफी के दीवाने थे, जिसके लिए उन्होंने काफी संघर्ष भी किया. कुछ दिन दिल्ली में काम भी किया, लेकिन बात नहीं बनीं तो वह लाहौर चले गए. वहां वह एक पान की दुकान के सामने पान खाते थे. इसी जगह पर वह जगह लेखक वली मोहम्मद वली की उन पर नजर पड़ी और फिल्मों के लिए उनसे संपर्क किया. बिना मन के प्राण ने उनके साथ फिल्म ‘यमला जट्ट’ शूट की, जो सुपरहिट साबित हुई.

सिगार की लत ने बना दिया एक्टर

प्राण को सिगार की लत थी, जिस वे ही स्टाइल से पीते है. उनका ये स्टाइल फिल्ममेकर्स को बड़ा भाता था. वहीं विलेन रोल के लिए परफेक्ट था. प्राण ने हिंदी सिनेमा में 1942 में खानदान फिल्म से एंट्री की थी. यह एक्टर की पहली मेन लीड रोल फिल्म थी,

जिसमें उनके साथ नूरजहां नजर आई थीं. खास बात ये थी कि एक्ट्रेस की भी ये पहली ही फिल्म थी. इस फिल्म के बाद प्राण एक से बढ़कर एक फिल्मों में नजर और बॉलीवुड के आइकॉनिक विलेन बन गए.

जब अवॉर्ड लेने से किया मना

साल 1973 में सोहनलाल कंवर की फिल्म ‘बेईमान’ ने कई फिल्मफेयर अवार्ड अपने नाम किए थे. सात अवार्ड में प्राण के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता भी था, लेकिन अभिनेता ने इस पुरस्कार को लेने करने से मना कर दिया था. क्योंकि एक्टर को महसूस हुआ कि जज कमेटी को ‘बेईमान’ के लिए शंकर-जयकिशन को सर्वश्रेष्ठ म्यूजिक डायरेक्शन का अवार्ड नहीं देना था. इस अवॉर्ड पर  पाकीज़ा फिल्म का अधिकार था.

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