नई दिल्ली: यश चोपड़ा जिन्होंने भारत में प्यार, लव ट्राएंगल और स्विट्जरलैंड को पॉपुलर करवाया. 1951 में यश चोपड़ा 19 साल के थे. फैमिली में सबका नाता फिल्मों से था ऐसे परिवार चाहता था कि वो इंजीनिर बने. बीआर चोपड़ा उस वक्त एक एस्टैबलिश डायरेक्टर बन गए थे. यश चोपड़ा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि मुझे ना उस वक्त कीला ठोकना आता था ना आज आता है कुल मिलाकर मैं इंजीनियर बनना ही नहीं चाहता था.
असिस्टेंट बना लीजिए
यश चोपड़ा ने अपने भाई बीआर को उन्हें असिस्टेंट डायरेक्टर बनाने के लिए कहा. भाई ने मना कर दिया कारण कि तुम मेरे अंडर नहीं सीख पाओगे. बीआर कहते हैं कि मैं दूसरे डायरेक्टर्स से बात करता हूं. यश अपने भाई के अंडर ही काम करना चाहते थे. ऐसे में भआई ने आईएस जौहर की फिल्म नास्तिक की शूटिंग के लिए भेजा. वहां पहुंचे तो पता चला कि दो दिन में शूट खत्म है. मन में ख्याल आया कि इतने कम दिनों में क्या सी पाऊंगा.
अप्रैंटिस से की शुरुआत
यश चोपड़ा जब असिस्टेंट डायरेक्टर नहीं बन पाए तो अप्रैंटिस बन गए. ऐसे में उनका काम एक्टर को बुला लो, एक्टर को जूता दे दो, एक्टर को ये दे आओ, एक्टर को वो दे आओ. यश कहते हैं कि मैं उसी में खुश था कि कहीं से तो काम शुरू हुआ. अप्रैंटिस से ऊपर जाना फिर काफी मुश्किल था. यश चोपड़ा दो साल तक अप्रैंटिस ही रहे.
मीना कुमारी के हीरो
यश चोपड़ा मीना कुमारी और वैजयंती माला के लिए असिस्टेंट डायरेक्टर रहे. कॉलेज से शायरी का शौक था. मीना कुमारी को भी कविता का बेहद शौक था फिर क्या 'चांदनी चौक' जब बनना शुरू हुई तो मीना कुमारी ने बीआर चोपड़ा को कहा कि यश को हीरो क्यों नहीं बनाते.
इस घटना के काफी साल बाद एक इंटरव्यू में यश चोपड़ा कहते हैं कि मैं इतना फास्ट बोलता हूं कि मेरे सामने फिल्म छोटी पड़ जाए. फिल्म जल्दी खत्म हो जाती.
मोती भईया ने दी सलाह
यश चोपड़ा बाद में एक और किस्सा शेयर करते हैं कहते हैं कि साहिल फिल्म की शूटिंग चल रही थी. फिल्म में नरगिस हीरोइन थी और मोती भईया को उनके पति के रोल के लिया था. मोती भईया ने मुझे देखा और भैया को बोले कि इन्हें हीरो ले लीजिए. वैसे भी रोल ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन मेरी नजर तो मछली की आंख पर ही पहले से ही थी और मैंने वहां भी सफाई दी कि डायरेक्टर ही बनूंगा.
यही जुनून उन्हें आगे लेकर गया मां का आशीर्वाद और जेब में रखे दो सौ रुपए आखिरी दम तक याद रहे. मां के वो बोल कि जो दिल करे वो करो मैं तुम्हारे साथ हूं, हमेशा उन्हें आगे धकेलते रहे. भले ही वो आज न हों लेकिन उनका नाम याद रहेगा जब तक है! जान जब तक है! जान जब तक है जान!
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