नई दिल्ली. क्या मुंबई पुलिस की स्कॉटलैंड यार्ड से तुलना करना स्कॉटलैंड यार्ड का अपमान नहीं है? तीन बड़ी आपराधिक लापरवाहियां सामने आई हैं लेकिन मुंबई पुलिस के कानों में जूं न रेंगी. सवाल ये उठता है कि क्या किसी राज्य या किसी महानगर की पुलिस को मनमानी करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है? यदि नहीं तो इन पर कार्रवाई कौन करेगा? ऐसी पुलिस पर कार्रवाई कब होगी?
पहली आपराधिक लापरवाही - 14 जून 2020
पहले भी हज़ार बार ऐसा हुआ होगा किन्तु तब मीडिया ने इन्वेस्टीगेट करके पुलिस का मुंह काला नहीं किया था. अब किया है इसलिए ऐसा कहना पड़ रहा है कि मुंबई पुलिस ने सारे देश को पहली बार खुल्लेआम गुमराह किया था सुशांत सिंह राजपूत की हत्या के दिन. 14 जून 2020 को जब मुंबई पुलिस ने मोंट ब्लैंक अपार्टमेंट पहुंच कर सुशांत सिंह राजपूत की हत्या को आत्महत्या करार दिया - जबकि साफ़ दिख रहा था कि मृतक की आँखें और जुबान बाहर नहीं आई है - जो फांसी लगा कर की जाने वाली आत्महत्या का सर्वप्रथम साक्ष्य है. यहां प्रथम दृष्टया ही सिद्ध हो जाता है मुंबई पुलिस ने अपराधियों को बचाने के लिए ये आपराधिक 'लापरवाही' की.
दूसरी आपराधिक लापरवाही - 08 जून 2020
दूसरी आपराधिक लापरवाही मुंबई पुलिस की सारे देश को आज आठ अगस्त को पता चली है. घटना ये है 8 जून की जिसकी कलई खुली है दो माह बाद. धन्य हो भारत देश की मीडिया जिसने रगड़ दिया इस भ्रष्टाचारी पुलिस को. सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सान्याल की हत्या को आत्महत्या कह कर फ़ाइल बंद कर दी थी मुंबई की पुलिस ने. आज पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट ने बता दिया कि दिशा ने भी आत्महत्या नहीं की थी बल्कि उनकी हत्या की गई थी. वजह सीधी और साफ़ है कि दुनिया में कोई भी आत्महत्या निर्वस्त्र हो कर नहीं की जाती. दिशा सालियान के बदन में कपड़े नहीं थे. ऐसी स्थिति में मुंबई पुलिस ने आपराधिक लापरवाही का घृणित प्रदर्शन किया और सीधे-सीधे इसे आत्महत्या कह कर अपराधियों का बचाव किया.
तीसरी आपराधिक लापरवाही - 16 अप्रैल 2020
मुंबई की पुलिस की तीसरी आपराधिक लापरवाही जो कि इस वर्ष की प्रथम ज्ञात आपराधिक लापरवाही मानी जा सकती है - पालघर साधू हत्याकांड है. मारे गए निर्दोष साधुओं को पुलिस ने हत्यारों के हवाले किया और अपने सामने उनको मरते देखा. बाद में इस दृश्य को वायरल वीडियो के माध्यम से सारे देश ने देखा. अब ढूंढ कर लाया जाए उस व्यक्ति को जिसने मुंबई पुलिस की तुलना स्कॉटलैंड यार्ड से की थी. स्कॉटलैंड यार्ड की इससे बड़ी बेइज़्ज़ती और कुछ नहीं हो सकती.
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