नई दिल्लीः कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन का सिलसिला चल रहा है. सरकार को इसे 19 दिन के लिए बढ़ाना भी पड़ गया है. इस स्थिति में एक बार फिर पुराने दौर में टीवी पर सालों-साल राज करने वाले सीरियल फिर से दिखाए जा रहे हैं और लोग इन्हें बड़े चाव से देख भी रहे हैं.
महाभारत के मैं समय हूं की आवाज जब टीवी पर आना शुरू होती थी तो सड़कें खाली हो जाया करती थीं. जितना रोचक इसके किरदारों ने अभिनय किया है, उससे कहीं अधिक रोचक इसके किरदारों का चयन है. जानते हैं पर्दे के पीछे की बात
गुफी पेंटल के पास थीं बड़ी जिम्मेदारियां
सीरियल में शकुनि का किरदार निभाने वाले गुफी पेंटल पूरे महाभारत की जान थे. उनका यह किरदार सबसे अमर रहा और भांजे बोलने का तरीका घर-घर में छा गया. गुफी पेंटल ने न सिर्फ शकुनि की भूमिका निभाई, बल्कि पर्दे के पीछे भी कई जिम्मेदारियों को निभाया. वह सीरियल के असोसिएट डायरेक्टर भी थे.
इसके अलावा कास्टिंग का भी काम देखते थे. प्रोडक्शन डिजायनर का भी काम देखते थे और कई ऐपिसोड भी डायरेक्ट किए थे. महाभारत निर्माण में कास्ट के चयन के लिए उन्होंने करीब-करीब पांच हजार लोगों के ऑडीशन लिए थे. कई-कई किरदारों के ऑडीशन तो बहुत-बहुत बार लिए गए. खैर, जिनका भी चयन किया गया उन्होंने मील का पत्थर रच दिया.
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तो गोविंदा और जूही चावला भी दिखते छोटे पर्दे पर
महाभारत में किरदारों ने सबसे अधिक जादू रचा. हर किरदार के चयन के पीछे दिलचस्प कहानी है. इसी कड़ी में आता है अभिमन्यु का नाम. अभिमन्यु का रोल भले ही एक या दो एपिसोड तक सीमित है, लेकिन वह पूरी प्रमुखता से कहानी बदलने वाला किरदार है.
दिलचस्प है जानना कि महभारत के लिए गोविंदा ने भी ऑडीशन दिया था. कहते हैं कि उनकी कास्टिंग अभिमन्यु के लिए हो रही थी. लेकिन उन्हें किसी बड़े बैनर की फिल्म मिल गई औऱ वे छोटे पर्दे का हिस्सा नहीं बने. इसी तरह जूही चावला का ऑडीशन हुआ था.
उन्हें द्रौपदी के प्रमुख किरदार के लिए लेने की बात थी. बाद में यह रूपा गांगुली के हिस्से आया और जूही भी किसी फिल्म के साथ चली गईं. सीरियल के लिए चंकी पांडे का भी ऑडीशन हुआ था.
ऐसे मिले श्रीकृष्ण और विदुर जी
सीरियल में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान को भी सीधे-सीधे युधिष्ठिर का किरदार नहीं मिला. उन्हें पहले कृष्ण का रोल मिला था. इसी तरह नीतीश भारद्वाज पहले विदुर के किरदार में दिखने वाले थे. लेकिन कृष्ण के तौर पर गजेंद्र चौहान में सरलता तो दिख रही थी, लेकिन चपलता नहीं.
वहीं विदुर के तौर पर नीतिश भारद्वाज की आवाज सरल थी, लेकिन उपदेशक की नहीं. 24 साल के युवक में विदुर जैसी गंभीरता भी नहीं झलक रही थी. एक दिन रवि चोपड़ा ने सेट पर नीतीश भारद्वाज तो हंसते हुए देखा और वे सभी को घेरे बैठे थे.
इसके बाद उन्हें लगा कि 24 साल का लड़का विदुर का किरदार नहीं निभा पाएगा. तब कास्ट चेंज हुई., कृष्ण बने नीतीश, युधिष्ठिर बने गजेंद्र चौहान और विदुर की तलाश वीरेंद्र राजदान के तौर पर पूरी हुई.
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