जानिए किन दिग्गज गायकों ने गाए रामायण सीरियल के भजन, सभी थे हिट

रामायण के कई गीत लोक शैली में गाए जाने वाले भजन हैं. जैसे ठुमुक चलत राम चंद्र, पुराना शास्त्रीय भजन है. इसे ज्यों का त्यों प्रयोग किया गया है. वहीं कई स्थानों संत तुलसीदास की लिखी चौपाई शैली की कविताएं और दोहे भी लिए गए हैं. जब देवी सीता गौरी पूजा के लिए जाती हैं तो वहां मानस में लिखी चौपाई का ही गीत की तरह प्रयोग हुआ है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 15, 2020, 11:05 PM IST
    • बीते दौर के बेहतरीन गायकों ने दी थी रामायण के गीतों को आवाज
    • अनुराधा पौड़वाल, कविता कृष्णमूर्ति, कुमार सानू, नितिन मुकेश जैसे दिग्गज रहे शामिल
जानिए किन दिग्गज गायकों ने गाए रामायण सीरियल के भजन, सभी थे हिट

नई दिल्लीः रामानंद सागर का हिट सीरियल इसके मुख्य खल चरित्र रावण की ही तरह है. न भूतो न भविष्यति. बाद में कई अलग-अलग तरीके से रामायण बनाई गई, लेकिन जो प्यार इस धारावाहिक को मिला वह किसी और को नसीब नहीं हुआ. इसकी तारीफ और कसीदों में काफी कुछ लिखा और कढ़ा गया है. फिर भी एक बात अक्सर छूट जाती है, रामायण के गाने. इनका जिक्र आते-आते निकल जाता है, लेकिन अब भी कभी रामायण के गीत जब कहीं सुनाई देते हैं तो चलते राही के कदम रोक लेते हैं. 

जयदेव ने लिखे शीर्षक गीत
रामानंद सागर के निर्देशन के अलावा रामायण के गीत भी इस धारावाहिक को हिट कराने में अच्छी भूमिका निभाते हैं. इसे ऐसे भी कहा जाना चाहिए कि इन गीतों के लेखक और गाने वाले गायकों भी बड़ी भूमिका रही है. यह तो खैर विदित ही है कि रामायण का अद्भुत संगीत रवीन्द्र जैन ने दिया था.

कुछ गीतों और भजनों को लिखा भी उन्होंने था. रामायण का टाइटल गीत सीता राम चरित अति पावन, लेखक जयदेव ने लिखा व कम्पोज किया था . रामायण बनते-बनते उनकी मृत्यु हो गई थी. 

लोकशैली के भजनों का किया प्रयोग
रामायण के कई गीत लोक शैली में गाए जाने वाले भजन हैं. जैसे ठुमुक चलत राम चंद्र, पुराना शास्त्रीय भजन है. इसे ज्यों का त्यों प्रयोग किया गया है. वहीं कई स्थानों संत तुलसीदास की लिखी चौपाई शैली की कविताएं और दोहे भी लिए गए हैं. जब देवी सीता गौरी पूजा के लिए जाती हैं तो वहां मानस में लिखी चौपाई का ही गीत की तरह प्रयोग हुआ है. 

कई मशहूर गायकों ने दी आवाज
रविन्द्र जैन सीरियल रामायण के म्यूज़िक कम्पोजर थे. इसके साथ ही उन्होंने रामायण के कई बेहतरीन गानों को अपनी आवाज भी दी है, लेकिन रवींद्र जैन के अलावा भी कई सारे उस समय के चोटी के गायक-गायिका तब रामायण का हिस्सा बने थे. उन्होंने दृश्यों के बीच-बीच में आए गीतों को सुंदर स्वर दिए हैं. ये गायक बॉलीवुड के नामी गायक रहे हैं, लेकिन रामायण में उनका योगदान छिपा हुआ है. 

भजनों की सुर साम्राज्ञी अनुराधा पौड़वाल
इस कड़ी में सबसे पहला नाम आता है मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल का. कई फिल्मों में अपनी आवाज का जादू बिखरने वाली अनुराधा भजन गायिका के तौर पर भी प्रसिद्ध हैं. रामायण में उन्होंने शबरी के भक्ति भाव को अपने गाए भजन से स्वर दिए हैं.

उन्होंने जो भजन गाया वह 'कब दर्शन देंगे, राम परम हितकारी, कब दर्शन देंगे दीन हितकारी, रस्ता देखत सबरी की उम्र गई सारी' है. इसमें शबरी श्रीराम के आने की प्रतीक्षा करते हुए भजन गाती है. 

महेंद्र कपूर, बॉलीवुड की मखमली आवाज
बॉलीवुड के दिग्गज गायक महेंद्र कपूर भी रामायण का हिस्सा थे. हालांकि उन्हें महाभारत का टाइटल गीत गाने के लिए अधिक प्रसिद्धि मिली. लेकिन रामायण में महेंद्र कपूर ने सुप्रसिद्ध भजन को नही जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो गाया था.

यह वह भजन था जब वानर दल समेत जाम्वन्त, हनुमान जी को समुद्र पार करने के लिए उनकी शक्ति याद दिलाते हैं. यह तुलसीदास लिखित संकटमोचन हनुमानष्टक है और चौपाई शैली में लिखा है.

सुरेश वाडेकर, हिंदी-मराठी की प्रसिद्ध आवाज
सुप्रसिद्ध हिंदी-मराठी गीतकार सुरेश वाडेकर की आवाज रामायण में काफी शुरुआत में ही सुनाई दे जाती है. राम अपने भाइयों के साथ गुरुकल में होते हैं. इस दौरान शिवरात्रि के मौके पर गाए भजन डमरू पाणि शूल धारी, हे नटराज नमो नमः. को उन्होंने अपनी आवाज दी थी. 

सुरेश वाडेकर भजन गीतों के लिए जाने जाते हैं और उनके कई मराठी भजन भक्तों को काफी पसंद हैं. वर्ष 2011में उन्हे श्रेष्ठ पार्श्वगायक की श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था.

मोहम्मद अजीज ने गाया विरह गीत
मोहम्मद अजीज की मखमली आवाज भी रामायण का हिस्सा बनी थी. वह वन प्रसंग में विरह गीत गाते हैं. जिसके बोल विरह व्यथा से, व्यथित द्रवित हो, वन वन भटके राम थे. यह विरह गीत रावण के द्वारा सीता के हरण के बाद का दृष्य वर्णन करता है, राम व्यथा से सीते-सीते कहकर उन्हें खोज रहे होते हैं. मोहम्मद अजीज ने ने अपनी शानदार गायकी से इस गाने में जैसे प्राण फूंक दिए थे. 

नितिन मुकेश के भी सुरों ने बनाई जगह
आज के दौर में बॉलीवुड कलाकार नील नितिन मुकेश को आप जानते ही हैं. उनके पिता थे नितिन मुकेश. नितिन अपने पिता मुकेश की ही तरह मशहूर सिंगर हुए. नितिन मुकेश अपनी गाए गीत के जरिए भ्रम में पड़ गए गरुण की व्यथा को सामने रखते हैं.

वह गाते हैं विस्मित होकर 'गरुण प्रभु के मुख की ओर निहारे, ये कैसे बंधन बीच बंधे हो, बंधन काटन हारे'. राम-लक्ष्मण जब नागपाश में बंधे होते हैं तो गरुण उनके बंधन काटने आते हैं और भ्रम में पड़ जाते हैं 

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कुमार सानू का भजन तो यादगार रहा
बात अगर बीते दौर के गायकों की हो तो कुमार सानू के बिल्कुल नहीं भूला जा सकता है. मीठी आवाज की इस माला में एक मोती उनके नाम का भी है. रामजी की सेना चली भजन आज भी लोगों में भक्ति भाव और जोश भर देता है. इसके साथ हर-हर महादेव कहना तो जैसे शक्ति का संचार करना है.

यह जोशीला भजन तब गाया गया, जब समुद्र पर पुल बांध दिया गया और श्रीराम अपने दल-बल समेत लंका की ओर चल पड़ते हैं. इस भजन को अपनी ओज भरी आवाज से कुमार सानू ने सजाया और नतीजा हुआ कि यह बच्चों की जुबां पर भी चढ़ गया. 

लव-कुश के सुरों को मिली कविता कृष्णमूर्ति की आवाज
उत्तर रामायण के बिना रामायण की चर्चा अधूरी है और इसके साथ ही याद आता है श्रीराम की राजसभा में लवकुश का गान प्रसंग. जहां अपनी मीठी-मीठी आवाज में दो बालक पूरी रामकथा का सस्वर गायन करते हैं.

रोंगटे खड़े कर देने वाले स्वर में बिंधा और आंखों में पानी ला देने वाली कोमल आवाज में गाई गई इस गीत माला के स्वर प्रख्यात गायिका कविता कृष्णमूर्ति के कंठ से फूटे थे. उन्होंने हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की, इसका गान इतने सुंदर ढंग से किया कि इसे आज भी एक मन लगाकर सुना जाता है.

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