नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने शुक्रवार को एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए दिल्ली-एनसीआर (Delhi NCR) में वायु प्रदूषण (Air Pollution) के मामले में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से या हाइब्रिड मोड पर 10 नवंबर, 2022 को उपस्थित होने के लिए कहा हैं. क्योंकि आयोग इस मुद्दे के समाधान के लिए अब तक की गई कार्रवाइयों से संतुष्ट नहीं है.
याचिका पर तत्काल सुनवाई की अपील
शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर की जांच में अदालत के तत्काल हस्तक्षेप की मांग को लेकर याचिका की तत्काल सुनवाई के लिए मेंशन किया गया. सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने भी इस याचिका को 10 नवंबर, 2022 को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त दी है.
सीजेआई यूयू ललित के समक्ष याचिका को मेंशन करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि 'दिल्ली का दम घुट रहा है, ऐसे वक्त में सुप्रीम कोर्ट को तुरंत हस्तक्षेप करने की जरूरत है.'
सीजेआई यूयू ललित ने इस मामले को लेकर अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गयी याचिका पर सवाल किया और पूछा कि क्या अनुच्छेद 32 के तहत ये याचिका सही साधन हैं. सीजेआई ललित ने कहा कि 'आप जो कह रहे है इस स्थिती में निश्चत रूप से हस्तक्षेप की आवश्यकता है, लेकिन हम केवल यह कह रहे हैं कि क्या अनुच्छेद 32 या कुछ और माध्यम से हस्तक्षेप की आवश्यकता है.'
दिल्ली में रहने में सक्षम नहीं हैं लोग
मेंशन के दौरान अधिवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 को पार कर गया था, जो पिछले कुछ वर्षों में सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया है. 'नोएडा ने पहले ही अपने स्कूल बंद कर दिए हैं, अब दिल्ली में लोग रहने में सक्षम नहीं हैं' इसमें तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दिल्ली में बढ़े प्रदूषण में तेज वृद्धि का कारण पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली (पराली) जलाने को बताया है, लेकिन सीजेआई ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, पराली जलाने का बढ़ते प्रदूषण से कोई लेना-देना नहीं है. जिसके जवाब में याचिकाकर्ता ने जोर देते हुए कहा कि केवल पराली जलाने से ही पिछले सप्ताह में बढ़ते प्रदूषण का कारण है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से पेश कि गये तर्क सुनने के बाद सीजेआई की पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए याचिका को 10 नवंबर को सूचीबद्ध करने पर सहमत दी है.
मानवाधिकार आयोग ने क्या कहा?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में कहा कि आयोग ने अब तक किए गए उपायों को नोट किया है, लेकिन पाया है कि ये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. यह माना जाता है कि प्रदूषण के स्तर को तुरंत कम करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है.
आयोग ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों को इस संबंध में विस्तृत चर्चा के लिए व्यक्तिगत रूप से या हाइब्रिड मोड पर 10 नवंबर, 2022 को उपस्थित होने के लिए कहा है. आयोग ने इन राज्यों के मुख्य सचिवों से अपेक्षा करते हुए कहा है कि वे इस चर्चा से पहले एक सप्ताह के भीतर आयोग को अपनी-अपनी सरकारों द्वारा अपने क्षेत्रों में पराली जलाने को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सकारात्मक रूप से सूचित करेंगे.
आयोग ने चारों राज्यों की सरकारों से स्मॉग टावरों और एंटी-स्मॉग गन के प्रभाव की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं.
आयोग ने देश की मीडिया में लगातार उठाए जा रहे इस मामले को देखते हुए स्वप्रेणा प्रसंज्ञान से ये कार्रवाई की है. आयोग ने कहा कि स्वत: संज्ञान लेने के बाद 22 जून 2022 को जारी आयोग के नोटिस के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से प्राप्त एक रिपोर्ट और रिकॉर्ड पर सामग्री पर विचार करने के बाद ये निर्देश दिए हैं.
आयोग ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 47 राज्य पर लोगों के जीवन स्तर को बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने का दायित्वे निर्धारित करता है. इसके अलावा, बुनियादी पर्यावरणीय तत्वों जैसे हवा, पानी और मिट्टी, जो जीवन के लिए आवश्यक हैं, इसमें कोई भी गड़बड़ी संविधान के अनुच्छेद 21 के अर्थ के तहत जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है. समय-समय पर कई दिशा-निर्देशों के बावजूद, कुछ भी ज्यादा सुधार नहीं हुआ है और दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक एनसीआर के आसपास के राज्यों में फसल/पराली जलाना है.
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