National Flag Day: गोली लगी, जान गई... फिर भी 6 नौजवानों ने जमीन पर नहीं गिरने दिया था 'तिरंगा'!

National Flag Day 22 July: आज नेशनल फ्लैग डे है. इस दिन बोरास कांड की वो कहानी जरूर जाननी चाहिए, जब 6 नौजवानों ने गोलियां खाते हुए भी तिरंगे को जमीन पर नहीं गिरने दिया. ये कहानी कुछ-कुछ जलियांवाला बाग की घटना को याद दिला देगी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 22, 2024, 10:48 AM IST
  • मध्य प्रदेश में हुआ बोरास कांड
  • 6 आंदोलनकारियों की हुई थी मौत
National Flag Day: गोली लगी, जान गई... फिर भी 6 नौजवानों ने जमीन पर नहीं गिरने दिया था 'तिरंगा'!

नई दिल्ली: National Flag Day 22 July: मध्य प्रदेश के बोरास कांड की कहानी जब-जब सामने आती है, लोग भावुक हो जाते हैं. आज (22 जुलाई, 2024) को नेशनल फ्लैग डे के दिन बोरास कांड की ये कहानी आपको भी पढ़नी चाहिए. बोरास कांड की स्मृतियां भी जलियांवाला बाग जैसी ही हैं. 

भारत में विलय से इनकार
भोपाल के पास एक जिला है, रायसेन. इसमें बोरास नाम का एक गांव है, जो नर्मदा नदी के तट पर बसा है. इस गांव में 14 जनवरी, 1949 को संक्रांति का मेला भरा था. तब बोरास भोपाल रियासत का ही हिस्सा हुआ करता. तब छोटी-बड़ी रियासतों को भारतीय गणतंत्र में शामिल करने का काम किया जा रहा था. लेकिन भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान ने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया. 

आंदोलन शुरू हुआ
तब भोपाल में नवाब की प्रजा ने आंदोलन शुरू कर दिया. वे भारत में शामिल होना चाहते थे. वे चाहते थे कि स्वतंत्र भारत का हिस्सा बनें, नवाब के राज से मुक्ति पाएं. आंदोलनकारियों ने फैसला किया कि वे नवाब के फैसले के विरुद्ध खड़े रहेंगे. उन्होंने बोरास में भारत का तिरंगा झंडा फहराने का फैसला किया. लेकिन नवाब के कहने पर पुलिस ने उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं दी. 

गोली खाई, लेकिन झंडा फहराया
बोरास के मेले में भारी पुलिस जाब्ता लगाया गया, ताकि कोई झंडा न फहरा सके. लेकिन 16 साल का एक लड़का धनसिंह, अपने साथियों के साथ मेले में घुसा और तिरंगा फहरा दिया. वंदे मातरम् के नारों के साथ उन्होंने भारत के झंडे की शान बढ़ा दी. ये देखते ही भोपाल रियासत के थानेदार जाफर ने आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाने का आदेश दे दिया. गोलियां खाते हुए भी आंदोलनकारियों ने तिरंगे को जमीन पर गिरने से बचाया. किसी एक को गोली लगती, तो दूसरा तिरंग संभालता. 

फिर हो गया विलय
इलाके में 6 आंदोलनकारियों के मारे जाने की सूचना फैल गई. आक्रोशित लोगों ने भोपाल का भारत में  विलीनीकरण करने के लिए आंदोलन तेज कर दिया. इसे विलीनीकरण आंदोलन या मर्जर मूवमेंट भी कहा जाता है. आखिरकार 30 अप्रैल, 1949 को मर्जर एग्रीमेंट सिग्नेचर हुए. 1 जून, 1949 को भोपाल स्वतंत्र भारत हिस्सा बना.

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