नई दिल्ली. 2024 के लोकसभा चुनावों में अब दो साल से कम का वक्त बचा है. अपनी जबरदस्त चुनावी रणनीति के लिए पहचानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इन चुनावों की तैयारी अभी से शुरू कर दी है. अगर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो सभी पार्टियों का फोकस यहां सबसे ज्यादा रहता है.
इस वक्त राज्य की सत्ता पर बीजेपी काबिज है और 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA ने यहां 64 सीटें जीती थीं. बीजेपी ने 62 सीटें जीती थीं. इस वक्त पार्टी के पास कुल 64 सीटें हैं और अब उन 14 सीटों के लिए जबरदस्त रणनीति बनाई जा रही है जो बीजेपी के पास नहीं हैं.
न्यूज़18 पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गढ़ों को बीजेपी टारगेट कर रही है. ऐसे वक्त में जब विपक्षी पार्टियां अपने मतभेदों को सुलझा रही हैं तब बीजेपी ने इन 14 सीटों पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी कई वरिष्ठ नेताओं को दी दी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 10 सीटें तो सपा को 5 सीटें हासिल हुई थीं. वहीं कांग्रेस को महज रायबरेली यानी सोनिया गांधी की सीट पर जीत हासिल हुई थी.
अब आजमगढ़ और रामपुर जैसी सपा के गढ़ वाली सीटें भी बीजेपी उपचुनाव में जीत चुकी है. न्यूज़18 की रिपोर्ट के मुताबिक बची हुई 14 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी बीजेपी के चार केंद्रीय नेताओं को दी गई है जो 3 दिन तक कैंप करेंगे. ये केंद्रीय नेता इन सीटों पर 17 जुलाई से यात्रा करेंगे.
सोनिया और मुलायम के प्रभाव वाले इलाकों में विशेष रणनीति
वहीं सोनिया गांधी और मुलायम सिंह यादव के गढ़ के लिए बीजेपी ने अलग से रणनीति तैयार की है. इसके लिए संगठन के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक मुलायम सिंह के गढ़ वाले इलाकों में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह समेत, राज्य संगठन के चार पदाधिकारियों, 2 यूपी सरकार के मंत्री और बूथ लेवल पर 20 कार्यकर्ताओं की एक टीम तैयार की गई है. इसके अलावा भी अलग-अलग इलाकों के मुताबिक भी वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है.
राज्य बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला के मुताबिक- पार्टी इन सभी 14 सीटों को जीतने पर काम कर रही है. इसके लिए केंद्रीय मंत्रियों और राज्य संगठन के पदाधिकारियों को लगाया गया है.' दरअसल बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी सीटों पर जीत की प्लानिंग कर रही है.
साल 2019 में बना था बेमेल गठबंधन
इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एक ऐसा गठबंधन देखने को मिला था जिसे ऐतिहासिक करार दिया गया था. तब चिर प्रतिद्वंद्वी सपा और बसपा एक दूसरे के साथ आए थे. लेकिन राजनीति का यह प्रयोग भी बीजेपी का विजय रथ नहीं रोक सका था. पार्टी अपने सहयोगी दल के साथ 64 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.
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