किसान आंदोलन में शहीद हुए जवानों को सलामी देने घर पहुंचे ADG विनोद सिंह

एडीजी वीके सिंह (ADG VK Singh) ड्यूटी पर किसान आंदोलन में शहीद हुए कांस्टेबल प्रवीण कुमार के घर सलामी देने पहुंचे. उन्होंने कहा कि कांस्टेबल के परिवार के एक सद्सय को मृतक आश्रित के तहत जल्द सरकारी नौकरी दी जाएगी. 

Written by - Tushar Srivastava | Last Updated : Feb 9, 2021, 11:29 PM IST
  • शहीद हुए जवानों को सलामी देने पहुंचे घर पहुंचे ADG विनोद सिंह
  • परिजन को जल्द मिलेगी मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी- ADG विनोद सिंह
किसान आंदोलन में शहीद हुए जवानों को सलामी देने घर पहुंचे ADG विनोद सिंह

नई दिल्ली: अपनी कर्तव्य परायणता,अनुशासन, संवेनशीलता के साथ शांति व्यवस्था बनाने की ड्यूटी पर मुस्तैदी से तैनात पीएसी के जवानों के लिए संवाद, सहयोग और समन्वय के फार्मूले पर कार्य कर रहे एडीजी वीके सिंह (ADG VK Singh) ड्यूटी पर शहीद हुए कांस्टेबल प्रवीण कुमार के घर सलामी देने पहुंचे. 

खुद PAC ने की अपने जवान के परिजनों की मदद

पीएसी के इतिहास में ये पहली बार हुआ है कि अग्रिम पंक्ति में तैनात जवान के परिवार को सहयोग देने के लिए पीएसी के अधिकारी और कर्मचारियों ने स्वयं धन एकत्रित किया है. बुलंदशहर में किसान आंदोलन के दौरान ड्यूटी में शहीद हुए पीएसी के दो जवानों की मौत से पीएसी में शोक की लहर फैल गई थी जिसके बाद पीएसी के महानिदेशक वीके सिंह ने दोनों कांस्टेबलों के परिवार के साथ संवाद और सहयोग के लिए धन संग्रह का आह्वान किया.  

खुद एडीजी वीके सिंह ने दिवंगत कांस्टेबल प्रवीण कुमार और प्रवीण सिंह के गाजियाबाद आवास पर गए औऱ परिजनों को ढांढस बधाया. एडीजी ने दोनों परिवारों को सात सात लाख की धनराशि भी सौपी. पीएसी के इतिहास में ये पहली बार हो रहा है. एक वक्त था जब पीएसी देश की सबसे मजबूत पुलिस फोर्स थी और यूपी के बाहर के प्रदेशों में इस बल की बेहद मांग हुई करती थी. लेकिन 70 के दशक में पीएसी के साथ सरकारों को रवैया ठीक नहीं रहा जिससे काफी असंतोष व्याप्त हो गया.

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1973 में पीएसी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ असहयोग का आरोप लगा दिया जिसके बाद राज्य सरकार ने सेना बुलाकर पीएसी के जवानों पर काबू पाया. ये उस वक्त की बड़ी घटना थी बाद में कोर्ट के आदेश पर इसकी जांच हुई और लगभग सभी जवान दोष मुक्त साबित हुए. 

इसके बाद से पीएसी के जवानों का मनोबल बढाने के लिए कई सुधार कार्यक्रम हुए लेकिन अपनी स्थापना के 70 साल बाद पीएसी के जवानों का मनोबल आज तब बढ़ गया जब उनका मुखिया साथी के शहादत पर घर की ड्यौढी पर पहुंचा.

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