कोलकता: पश्चिम बंगाल में भाजपा की तैयारियां शुरू हो चुकी है. राज्य में पार्टी ने कमिटी का पुनर्गठन कर लिया है और अब तैयारियां हैं कि उस कमिटी में कुछ योग्य लोगों को जोड़ा जाए. कमिटी में योग्य लोगों कौन होंगे इसका फैसला भाजपा आलाकमान करेगी. कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी ने तड़के में यह काम कर भी लिया है, अब बस उसपर मुहर लगाने की देरी है. बहुत स्पष्ट शब्दों में कहें तो भाजपा बंगाल में बढ़त बनाने में लगी हुई है.
राज्य कमिटी में पश्चिम बंगाल फतह की चल रही है तैयारी
दरअसल, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को लगता है कि उनके पास अब केवल डेढ साल का वक्त बचा है और पार्टी का लक्ष्य बंगाल पर फतेह हासिल करना है. पश्चिम बंगाल विधानसभा में करीब 294 सीटे हैं. जिसमें फिलहाल तृणमूल कांग्रेस के पास तकरीबन 211 सीटें हैं. सवाल यह उठता है कि क्या भाजपा डेढ़ सालों में अपने इस लक्ष्य को पूरा कर पाएगी ? अभी जो राज्य कमिटी चल रही है क्या उससे बीजेपी को फायदा मिलेगा ?
केंद्रीय नेतृत्व को लगता है कि एक गतिशील राज्य समिति की आवश्यकता है और इसी के चलते राज्य कमिटी में जो नेता केवल पद संभाले बैठे हैं, उन्हें अब उनके पद से हटना होगा. पार्टी आलाकमान ने यह फैसला किया है.
भगवा झंडे का नारा तृणमूल का 19 में हाफ 21 में साफ
पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष और सांसद दिलीप घोष ने कहा कि कमिटी का इस तरह से गठन होगा जो पार्टी को विधानसभा चुनाव में सफलता दिला सके. 2021 हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है. हमने स्लोगन दिया था तृणमूल का 19 में हाफ, 21 में साफ तो लोगों ने 19 में हाफ किया और अब 21 में साफ करना बाकी है. उन्होंने कहा कि जो जुझारू लड़ाकू कार्यकर्ता सामने से नेतृत्व देंगे, उन कार्यकर्ताओं को हम सामने लाएंगे. उसमें नए पुराने या दूसरे पार्टी से आए हुए व्यक्ति जो योग्य हैं उनको मौका देंगे कि वह पार्टी को आगे बढ़ाएं.
हिंदूसंघ के सदस्य हो सकते हैं पार्टी की राज्यकमिटी का हिस्सा
बताया जा रहा है कि इस बार की भाजपा राज्य कमिटी में RSS समेत विश्व हिन्दू परिषद के भी कुछ लोगों को भी शामिल किया जाएगा. इसके साथ-साथ हिन्दू संघ से भी कई लोगों को इस कमिटी में शामिल किया जाएगा. अर्थात अब इस कमिटी में कुछ ऐसे चेहरों को शामिल किया जाएगा जिसके बारे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सोच-विचार कर लिया है.
पार्टी के नियमानुसार राज्य का अध्यक्ष कौन होगा, इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करती है. जब राज्य अध्यक्ष का चुनाव हो जाता है उसके बाद केंद्रीय नेतृत्व के साथ भाजपा के अन्य संगठनों के सामंजस्य से राज्य कमिटी का गठन होता है.
भाजपा को जीत दिलाने वाला ही चुना जाएगा राज्याध्यक्ष
नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी होती है कि वो किसको अपनी सेना में शामिल करेंगे और कौन लोग आने वाले दिनों में पार्टी की कार्यशैली को संभालेंगे. और क्योंकि इस बार 2021 में चुनाव होने वाला है तो उस चुनाव में भाजपा की सरकार का गठन करना ही उनका मूल लक्ष्य होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार जिम्मेदारी का भार केवल राज्य-अध्यक्ष को नहीं देने वाली है. केंद्रीय नेतृत्व के सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है कि यह आदेश सीधा दिल्ली से पार्टी हाई कमान का आदेश है.
सवाल अब भी यहीं है कि क्या भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिले परिणामों से ऐसी उम्मीद है कि वह विधानसभा में पासा पलटने में कामयाब होगी ?