नई दिल्ली. महाराष्ट्र में शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट और बीजेपी ने साथ मिलकर सरकार बना ली है लेकिन उद्धव गुट अब भी इस सदमे से उबरने की कोशिश कर रहा है. उद्धव गुट के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती BMC चुनाव हैं जो इसी साल प्रस्तावित हैं. BMC पर शिवसेना बीते 37 साल से काबिज है और अब बीजेपी-एकनाथ गुट यह चुनाव जीतने की पूरी कोशिश करेंगे. इस बीच महाराष्ट्र सरकार में पूर्व मंत्री और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का मानना है कि पार्टी काडर और नेताओं में शिवसेना के लिए पूरा भरोसा कायम है.
न्यूज़18 पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में आदित्य ठाकरे के हवाले से कहा गया है-'ऐसा कुछ भी नहीं है जो शिवसेना (ठाकरे गुट) का रास्ता रोक सके. हमें अब सिर्फ आगे की तरफ बढ़ना है.' हालांकि आदित्य ठाकरे ने अपनी रणनीति पर बहुत खुलकर बात नहीं की है यानी रणनीति उजागर नहीं की है. पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जारी विवाद में उन्होंने सिर्फ इतना कहा-धैर्य रखिए.
आदित्य का 'सख्त रुख'
लेकिन आदित्य ठाकरे ने 'पीठ में छुरा घोंपने वालों' के खिलाफ अपना सख्त रुख दिखाया शुरू कर दिया है. कम से कम दो अवसरों पर यह नजर आया. पहला, विधानसभा स्पीकर के चुनाव के दौरान और दूसरा शिंदे गुट-बीजेपी के विश्वासमत के दौरान. जब नए सीएम एकनाथ शिंदे बोलने के लिए खड़े हुए तो आदित्य ठाकरे विधानसभा के बाहर चले गए.
प्रकाश सुर्वे को लेकर दिया बयान
इसके अलावा आदित्य ठाकरे ने विद्रोही शिवसेना नेता प्रकाश सुर्वे के खिलाफ भी अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से प्रकट की. उन्होंने एक वीडियो में कहा है-'अपनी विधानसभा में आप लोगों से क्या कहेंगे? हम सोच रहे थे कि आप हमारे पास आ रहे हैं. आप हम लोगों में से एक थे. इसकी आपसे उम्मीद नहीं थी. आपके लिए हम सभी के मन में बहुत प्रेम रहा है. हमारा एक विशेष रिश्ता है और व्यक्तिगत रूप से मुझे बुरा लगा है.'
संतोष बांगर को लेकर नाराजगी!
दरअसल आदित्य का ये स्टेटमेंट उद्धव गुट के नेता संतोष बांगर के शिंदे गुट के साथ दिखने के बाद आया था. दरअसल संतोष बांगर ही वो नेता हैं जो शिंदे गुट की बगावत के बाद रोते हुए देखे गए थे. उन्होंने कहा था कि उद्धव ठाकरे के साथ जो हुआ उसे देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए हैं. बांगर ने उद्धव का साथ देने की कसमें खाई थीं.
BMC को लेकर क्या है रणनीति
अब कहा जा रहा है कि ठाकरे गुट वाली शिवसेना के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वो खुद को BMC चुनाव में पहले की तरह ताकतवर साबित करे. यही कारण है कि उद्धव और आदित्य इस वक्त अपने विधायकों और शाखा प्रमुखों-कॉरपोरेटर्स के साथ घंटों लंबी बैठक कर रहे हैं. दरअसल उद्धव गुट भी इस चुनाव में अपनी वकत साबित कर ये दिखा देना चाहता है कि उसकी लोकप्रियता अभी पूर्व की तरह बरकरार है.
ठाकरे गुट के सामने एक और टूट का खतरा?
दरअसल ठाकरे गुट की तैयारियों से इतर एकनाथ शिंदे भी लगातार बाला साहेब की 'विरासत' को अपना बता रहे हैं. शिंदे कद्दावर शिवसेना नेता रहे आनंद दिघे का जिक्र कर भी शिवसेना कार्यकर्ताओं का भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में ठाकरे गुट के सामने यह भी एक चुनौती है कि निकट भविष्य में पार्टी में एक और टूट न होने दी जाए. क्योंकि जिस तरीके से शिंदे लगातार बालासाहेब और आनंद दिघे का जिक्र कर रहे हैं उससे यह खतरा बना हुआ है.
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