नई दिल्लीः देश ने बुधवार को हुए हेलीकॉप्टर हादसे में सीडीएस बिपिन रावत को खो दिया. बिपिन रावत देश के दुश्मनों के प्रति जितने सख्त थे, अपने जवानों के प्रति उतने ही दरियादिल थे. वह हमेशा अपने जवानों की मदद के लिए उपलब्ध रहते थे. बताते हैं कि एक बार उन्होंने एक जवान की नौकरी भी बचाई थी.
पूर्व एजूटेंट जनरल (लेफ्टिनेंट जनरल) अश्विनी कुमार ने एक लेख में यह किस्सा साझा किया था. उन्होंने बताया था कि बिपिन रावत जवानों के बीच बेहद मशहूर थे. वे उनकी हर छोटी-बड़ी शिकायतों का निपटान करते थे.
जवान-अफसर के बीच भेदभाव नहीं करते थे बिपिन रावत
उन्होंने बताया, मुझे याद है कि एक सैनिक उनके पास आया था. उसकी शिकायत थी कि शराब की लत के चलते उसे एफ-5 कैटेगरी में डाल नौकरी से निकालने का आदेश जारी किया गया है. उसका तर्क था कि उसके एक अफसर को इसी गलती के कारण नशामुक्ति के प्रोग्राम में डाला गया है, फिर उसके साथ भेदभाव क्यों? इस पर जनरल बिपिन रावत ने उसका बर्खास्तगी का आदेश रद्द करवा दिया. साथ ही वह बोले कि जवान हो या अफसर, कोई भेदभाव नहीं होगा.
जवानों के लिए खुला रहता था सीडीएस रावत का घर
लेफ्टिनेंट जनरल अश्विनी कुमार बताते हैं कि सीडीएस बिपिन रावत का घर हर रविवार को जवानों के लिए खुला रहता था. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने के बाद भी जवान रविवार को उनके घर जा सकते थे. वहीं, सेना प्रमुख के तौर पर बिपिन रावत ने अपना वॉट्सएप नंबर जवानों के लिए उपलब्ध कराया था. इसकी मदद से वे सीधे उनसे संपर्क साध सकते थे.
सात हजार लोगों की बचाई थी जान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीडीएस रावत ने देश ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपने कर्तव्यों का पालन किया. वह कांगो के यूएन मिशन का हिस्सा थे. उस समय एक बड़ा हादसा हुआ. बिपिन रावत ने समय रहते और अपनी सतर्कता से 7000 लोगों की जान बचाई थी.
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