नई दिल्ली: राजस्थान में बिजली संकट और विवाद रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. पारसा के सेकेंड ब्लॉक और एक दूसरे ब्लॉक में राजस्थान सरकार को माइंस अलॉट है और केंद्र सरकार ने इसके लिए एन्वायर्नमेंट क्लीयरेंस दे दी है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के वन विभाग ने अब तक मंजूरी नहीं दी है.
कोयला खदान को लेकर छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार आमने सामने
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजस्थान सरकार के कई बार अनुरोध के बावजूद आवंटित कोयला खदान में खनन की अनुमति नहीं दी है. इसे लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर CM भूपेश बघेल की शिकायत की है.
हालांकि 12 दिसंबर को जयपुर में आयोजित कांग्रेस की महंगाई के खिलाफ हुई रैली में छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच मुलाकात हुई थी, लेकिन कोल माइंस की मंजूरी पर बात नहीं बनी. सबसे बड़ी बात है कि दोनों राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद मामला फंसा है जिसको लेकर तमाम सवाल खड़े होने लगे हैं.
गहलोत ने सोनिया गांधी को लिखा पत्र
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की शिकायत की है. पत्र में मुख्यमंत्री गहलोत ने कोल माइंस की मंजूरी अटकने से होने वाले राजनीतिक नुकसान गिनाए हैं.
पत्र में लिखा है कि राजस्थान के 4,300 मेगावाट के पावर प्लांट्स के लिए दिसंबर अंत में कोयला संकट हो जाएगा. कोल माइंस की मंजूरी नहीं मिली तो प्रदेश को महंगे दामों पर कोयला खरीदना पड़ेगा, इससे लागत बढ़ेगी और उसका भार उपभोक्ता पर पड़ेगा. बिजली महंगी करना राजनीतिक रूप से नुकसानदायक है.
बघेल नहीं दे रहे गहलोत के पत्र का जवाब
सीएम गहलोत ने पत्र में यह भी कहा है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लगातार पत्र लिखने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. कोयले की कमी के कारण, राजस्थान सरकार को राज्य में बिजली की कीमत 33 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
जिससे यह देश के सबसे महंगे बिजली विक्रेता में से एक बन गया है. बता दें कि पेट्रोल डीजल के मामले में भी राजस्थान देश में सबसे महंगा राज्य है
बिजली संकट से जूझते राजस्थान को योगी का सहारा
राजस्थान में गहराए बिजली संकट को कम करने के लिए अब राजस्थान सरकार के लिए UP और CM योगी "उपयोगी" बनकर सामने आए हैं. अब राजस्थान सरकार ने उतर प्रदेश से करार किया है जिसमें अब UP से 700 मेगावाट बिजली उधार ले रही है.
दोनों सरकारों के बीच बैंकिंग प्रक्रिया के तहत अनुबंध हुआ है इसके तहत बिजली लेने की प्रक्रिया (सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे की बीच) शुरू कर दी गई है. 40 से 42 लाख बिजली प्रतिदिन अगले वर्ष फरवरी तक ली जाएगी.
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