सीमा पर कांग्रेस की 'सियासी नौटंकी', क्या 'युवराज' भूल गए हैं 'नाना' नेहरू की 9 गलतियां?

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपने शासनकाल में चीन को कई तोहफे दिए लेकिन बदले में भारत को क्या मिला. साल 1962 की हार और भारत की जमीन पर अवैध कब्ज़ा, नेहरू की जरूरत से ज्यादा उदारता भारत पर किस तरह भारी पड़ी. कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के नाना नेहरू ने 9 बड़ी गलतियां की, इसे समझिए...

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jun 9, 2020, 09:30 PM IST
    • कांग्रेस के 'युवराज' भूल गए हैं 'नाना' की 9 गलतियां?
    • सीमा पर कांग्रेस की 'सियासी नौटंकी' जारी है
    • नेहरू की इन गलतियों का परिणाम भुगत रहा देश
सीमा पर कांग्रेस की 'सियासी नौटंकी', क्या 'युवराज' भूल गए हैं 'नाना' नेहरू की 9 गलतियां?

नई दिल्ली: पूरा देश जानता है कि सीमा विवाद नेहरू-गांधी परिवार की गलतियों का परिणाम है. फिर चाहे वो सीमा विवाद पाकिस्तान के साथ हो या फिर चीन के साथ, लेकिन राहुल गांधी अवैध कब्जे के नाम पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में जुटे रहते हैं.

'युवराज' भूल गए हैं 'नाना' की गलतियां?

राहुल ने लद्दाख में चीन के अवैध कब्जे को लेकर सवाल पूछा है. लेकिन नेहरू काल में भारत की जमीन पर हुए अवैध कब्जे पर राहुल ने कभी कुछ नहीं बोला. राहुल गांधी को लद्दाख से लेकर कश्मीर तक भारत की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर नाना नेहरू की नौ गलतियों से रूबरू करवाते हैं. ताकि देश की सेना से सबूत मांगने वाले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को अपने नाना नेहरू की गलतियों के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो सके.

गलती नंबर 1). UNSC में स्थाई सदस्यता के लिए चीन की पैरवी

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वैसे तो कई गलतियां की लेकिन इसमें सबसे बड़ी भूल तब के पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी PRC जो कि अभी का ड्रैगन (चीन) है उसे खुला समर्थन देकर कर दी. 

आपको ये बात जानना चाहिए कि उस वक्त चीन को चीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट नेहरू की वजह से ही मिली. दरअसल उस वक्त चीन को सीट दी जाने के लिए उन्होंने ही वकालत की थी, जबकि हैरत की बात तो ये है कि उस वक्त वो सीट भारत को ऑफर की गई थी. अब आप ये समझिए कि संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य के लिए नेहरू ने भारत की जगह चीन की पैरवी की. बदले में चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण कर दिया.

आपको बता दें, उस वक्त नेहरू जी संयुक्त राष्ट्र में चीन यानी PRC को शामिल करने की वकालत कर रहे थे. आपको बता दें, चीन को जो आज UNSC में स्थाई सीट मिली है वो उस वक्त रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी अब के ताइवान के पास हुआ करती थी.

गलती नंबर 2). तिब्बत पर चीन के कब्जे का नेहरू ने किया समर्थन

आपको बता दें, वो साल 1951 का दौर था, जब एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर उस पर कब्जा किया था, तब से ही चीन भारत के लिए खतरा बना हुआ है.

लेकिन सबसे हैरानी की बात तो उस वक्त ये थी कि जब अमेरिका तिब्बत पर चीन के कब्जे का विरोध कर रहा था, तब भारत ने चीन का समर्थन किया. बदले में चीन ने लद्दाख में 38000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया. आप इन आंकड़ों से हर कोई समझ सकता है कि नेहरू काल में भारत की ज़मीन पर अवैध कब्जा कर चीन ने भी फायदा उठाया, जो नाना नेहरू की गलतियों में शामिल है.

गलती नंबर 3). "हिंदी चीनी भाई-भाई" के झांसे में फंस गए 'नाना' नेहरू

जवाहर लाल नेहरू चीन के षडयंत्र को कभी समझ ही नहीं पाए. साल 1954 में चीन ने पंचशील समझौते के बहाने हिंदी चीनी भाई भाई का पासा फेंका और नेहरू सरकार इस लुभावने नारे में फंस गई. 

उस वक्त 1962 की जंग की एक हैरान कर देने वाली चीनी चाल बहुत फेमस है. सेना के उस वक्त के जवानों ने ये बताया था कि हमले से ठीक पहले चीन के जवान यही नारा देते हुए आते थे, "हिंदी चीनी भाई-भाई" और भारतीय सेना के जवानों को उलझाकर अपनी गोलियों का शिकार बना देते थे. इस नारे की आड़ में चीन ने अक्साई चिन में सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया.

गलती नंबर 4). अक्साई चिन विवाद पर धोखेबाजी नहीं समझ पाए नेहरू

चीन की सरकार अपने सिक्यांग प्रांत को तिब्बत से जोड़ने के लिए लद्दाख के अक्साई चिन से एक सड़क निकाल रही थी. सितंबर 1957 में चीन ने सड़क तैयार भी कर ली. भारत को इसकी जानकारी तब मिली जब अक्टूबर 1957 में चीन ने सड़क को खोलने की घोषणा की. चीन की इस धोखेबाजी से पूरा देश हैरान रह गया. क्योंकि चीन जिस अक्साई चिन से सड़क निकाल रही थी वो क्षेत्र भारत का है, जबकि चीन अक्साई चिन को अपना हिस्सा मानता है.

नेहरू ने अक्साई चिन के विवाद को सुलझाने के लिए सितंबर 1958 में चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई को पत्र लिखकर मैकमहोन रेखा का सम्मान करने के लिए कहा. चाऊ एन लाई ने 23 जनवरी 1959 को इसके जवाब में एक पत्र लिखा कि 'भारत और चीन के बीच कभी भी सीमाओं का निर्धारण नहीं हुआ और आप जिस तथाकथित सीमा की बात कह रहे हैं वो चीन के खिलाफ हुए साम्राज्यवादी षड्यंत्र का परिणाम है'

गलती नंबर 5). नेहरू ने अपनी (भारत की) जमीन वापस लेने की कोशिश नहीं की

जवाहरलाल नेहरू की जरूरत से ज्यादा उदारता का ही परिणाम है कि चीन ने ना सिर्फ भारत की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया बल्कि आज भी वो कभी अरुणाचल प्रदेश में, कभी सिक्किम में, कभी उत्तराखंड में तो कभी लद्दाख में भारत की जमीन हथियाने की साजिश रचता है.

साल 1962 में लद्दाख में चीन ने 38000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्ज़ा कर लिया. 1962 में चीन के अवैध कब्ज़े के लिए भी जवाहर लाल नेहरू को ही जिम्मेदार माना जाता है.

दरअसल, ये साल 1960 की बात है, जब नेहरू ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए उस वक्त के चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई को दिल्ली बुलाया था. चाऊ और नेहरू के बीच कई दौर की बातचीत हुई. इस दौरान जवाहरलाल नेहरू ने चीन से ये अपील भी की कि वो अक्साई चिन से पीछे हट जाए, लेकिन चीन ने नेहरू की एक नहीं सुनी और वो इसके लिए तैयार नहीं हुआ. नतीजा ये रहा कि वार्ता टूट गई. 

उस वक्त देश को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब भारत ने बार-बार चीन से समझौते की पेशकश की, उसके बावजूद साल 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया. इस युद्ध में ना सिर्फ भारत की बुरी हार हुई, बल्कि इस दौरान भारत के 38000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र पर चीन ने कब्जा भी कर लिया. ऐसे में नेहरू ने एक बड़ी गलती ये कर दी कि उन्होंने कभी भारत की जमीन जिसे चीन ने कब्जा कर लिया उसे वापस लेने की कोशिश नहीं की.

गलती नंबर 6)- पाकिस्तान का 78000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्जा

साल 1948 में कश्मीर में पाकिस्तान ने 78000 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्ज़ा कर लिया और इसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जिम्मेदार थे.

साल 1948 में जम्मू-कश्मीर से जब पाकिस्तान पीछे हट रहा था तब नेहरू ने युद्ध विराम का ऐलान कर दिया.

गलती नंबर 7- UN की निगरानी में कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने की बात

नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में कश्मीर में जनमत संग्रह करवाने की बात कही. लेकिन ये जनमत संग्रह नहीं सफल हो पाया. दरअसल संयुक्त राष्ट्र में रखे गए मामले को लेकर कश्मीर की आजादी का कोई विकल्प ही नहीं दिया गया.

गलती नंबर 8- शेख अब्दुल्ला पर भरोसा करना नेहरू को पड़ा भारी

कश्मीर को लेकर स्थानीय नेता शेख अब्दुल्ला पर भरोसा करना पंडित नेहरू के लिए बुरा साबित हुआ. कश्मीर में अनुच्छेद-370 लागू करके जवाहर लाल नेहरू ने घाटी में अलगाववाद और आतंकवाद की बीज बो दी. अनुच्छेद 370 को साल 1947 के आखिरी में नेहरू और शेख अब्दुल्ला ने ही लाया था.

गलती नंबर 9- कश्मीर के मुद्दे से सरदार पटेल को दूर रखना सबसे बड़ी चूक

कश्मीर को लेकर नेहरू को उस वक्त वल्लभभाई पटेल ने कई सुझाव दिए थे, लेकिन नेहरू सरकार के कई कदमों को लेकर वो काफी नाराज थे.

'नाना' नेहरू की 9वीं गलती या कहें सबसे बड़ी रणनीतिक गलती ये रही कि उन्होंने कश्मीर के मुद्दे से सरदार पटेल को दूर रखा. अगर सरदार पटेल की राय मानी जाती तो आज PoK जैसा कोई नाम अस्तित्व में नहीं होता.

युवराज के नाना नेहरू ने सीमा को लेकर इन 9 गलतियों के अलावा भी कई गलतियां की, लेकिन राहुल गांधी ने नेहरू की गलती पर कभी एक शब्द नहीं कहा और अब नेहरू की गलती के लिए मोदी सरकार को निशाना बना रहे हैं. अब सवाल है कि क्या राहुल गांधी को सीमा विवाद पर सवाल पूछने का नैतिक हक है. क्या सीमा विवाद पर जवाहर लाल नेहरू की गलतियां राहुल गांधी को याद नहीं है?

इसे भी पढ़ें: राहुल गांधी का व्यवहार भारत में चीनी एजेन्ट जैसा क्यों?

कूटनीति का सबसे बड़ा सिद्धांत ये है कि हमेशा खुद पर भरोसा करो और जरूरत से ज्यादा भरोसा किसी पर मत करो. लेकिन हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने चीन पर जरूरत से ज्यादा भरोसा किया. और नेहरू का यही भरोसा, भारत की भूमि पर चीन के अवैध कब्जे की बड़ी वजह बन गया.

इसे भी पढ़ें: चीन सिर्फ मक्कारी कर सकता है जंग नहीं, जानिए किन 5 कारणों से डर गया ड्रैगन

इसे भी पढ़ें: चीन की सबसे बड़ी कमजोरी हैं उसके कायर और काहिल फौजी !

ट्रेंडिंग न्यूज़