आरोपी को हिंदी में नहीं दिया डिटेंशन आर्डर, अब हाईकोर्ट ने रिहा करने के दिए आदेश

हाईकोर्ट ने ये आदेश तिहाड़ जेल में बंद हरमीत सिंह की मां जसविंदर कौर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 19, 2022, 07:22 PM IST
आरोपी को हिंदी में नहीं दिया डिटेंशन आर्डर, अब हाईकोर्ट ने रिहा करने के दिए आदेश

नई दिल्ली: हिरासत में लिए गए किसी भी आरोपी को क्या ये अधिकार है कि उसको जिस आदेश के तहत हिरासत में रखा जा रहा है, उस आदेश की प्रती वो अपनी भाषा में हासिल कर सके. दिल्ली हाईकोर्ट ने हिरासत में रखने के आदेश को लेकर अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने एक आरोपी को हिंदी में डिटेंशन आर्डर की प्रती नहीं देने के चलते जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं.

हाईकोर्ट ने ये आदेश तिहाड़ जेल में बंद हरमीत सिंह की मां जसविंदर कौर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं.

अंग्रेजी में दिया था हिरासत में रखने का आदेश

डीआरआई ने जसविंदर कौर के पुत्र हरमीत को कोफेपोसा एक्ट के तहत 24 मई 2021 को हिरासत में लिया था. 25 मई, 2021 को विभाग ने हरमीत को हिरासत में लेने के सभी बिंदूओ के साथ आर्डर की प्रती अंग्रेजी में दी गई. उसी दिन हरमीत ने डीआरआई और मंत्रालय के समक्ष एक एप्लीकेशन देकर हिरासत के आदेश को हिंदी या फिर पंजाबी में देने की मांग की थी.

हरमीत ने एक प्रतिविदेन 26 मई को तिहाड़ जेल के अधीक्षक के जरिए कोफेपोसा के संयुक्त रजिस्ट्रार, दिल्ली हाईकोर्ट को भी भेजा, लेकिन वित्त मंत्रालय के एडवाईजरी बोर्ड ने 12 अगस्त, 2021 को हरमीत के प्रतिवेदन को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके पास डिटेंशन के लिए आवश्यक कारण मौजूद है.

आर्टिकल 21 और 22/5 के तहत दी चुनौती

हरमीत की मां जसविंदर कौर ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हैबस कॉपर्स याचिका दायर कर अपने बेटे की हिरासत को चुनौती दी. जसविंदर कौर ने याचिका में कहा कि उनका पुत्र हरमीत 10वी कक्षा तक हिंदी मीडियम में ही पढा हुआ है और वह अंग्रेजी नहीं जानता, जबकि उसे हिरासत में रखने के लिए जो आदेश जारी किया गया है वो अंग्रेजी में है.

याचिका में कहा गया कि हरमीत द्वारा मंत्रालय को पत्र लिखकर हिंदी या पंजाबी में आदेश की प्रती देने की भी मांग की गई थी, जिसे पूरा नहीं किया गया. इस तरह से उनके पुत्र के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया गया है, जो आर्टिकल 21 और 22/5 का सीधा उल्लघन है.

विदेश की यात्रा कर चुका है तो अंग्रेजी जानता है आरोपी- मंत्रालय

याचिका का विरोध करते हुए डीआरआई और मंत्रालय की ओर से अदालत में कहा गया कि, आरोपी हरमीत सिंह कई बार विदेश की यात्रा कर चुका है जो कि अपने आप में एक सबूत है कि वो अंग्रेजी समझ सकता है. ये अलग बात है कि अदालत ने मंत्रालय के इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनुप जयराम भंभानी ने ये महत्वपूर्ण आदेश देते हुए मंत्रालय को कई निर्देश दिए. 

जानें क्या है हाईकोर्ट का आदेश 

जसविंदर कौर की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम आदेश दिया. अदालत ने कहा कि हिरासत में लेने वाले विभाग को आरोपी से ये लिखित में लेना चाहिए कि उसे किस भाषा में आदेश की प्रती दी जाए. आदेश और अन्य जो भी जानकारी हो विभाग को उसी भाषा में आरोपी को दिया जाना चाहिए, जिस भाषा में उसके द्वारा लिखित में चाहा गया या जिसे वह समझ सके.

हाईकोर्ट ने इसके साथ ही डीआरआई के डिटेंशन आर्डर को संवेधानिक अनुच्छेद 22 के प्रावधान का उल्लघन मानते हुए रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने मामले का निस्तारण करते हुए आरोपी हरमीत सिंह को भी तिहाड़ जेल से रिहा करने के आदेश दिए हैं.

ये है पूरा मामला

जसविंदर कौर के पुत्र हरमीत सिंह को खुफिया इनपुट के आधार पर डीआरआई ने 2 फरवरी 2019 को इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया था. हरमीत के साथ ही 3 अन्य लोगो को भी हिरासत में लिया था. हिरासत में लिए गए 3 अन्य व्यक्तियों से डीआरआई ने 1 करोड़ 9 लाख रूपये से अधिक के ड्रोन और कैमरे बरामद किए गए.

3 फरवरी 2019 को पटियाला कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया, लेकिन चार्जशीट दायर नहीं करने पर कोर्ट ने 4 अप्रैल 2019 को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए. जमानत मिलने के बाद विभाग लगातार समन्न जारी कर बयानों के लिए तलब करता रहा. कई बार की पुछताछ के बाद 24 मई 2021 को फिर से हरमीत को हिरासत में लिया गया. 

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25 मई 2021 को विभाग ने हरमीत को हिरासत में लेने के कारण बताते हुए स डिटेंशन ऑर्डर की कॉपी दी गई, जो अंग्रेजी में थी. लिखित में हिंदी या पंजाबी में आदेश की प्रती मांगने के बाद भी उसे अपनी भाषा में उपलब्ध नहीं कराई गई. 

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