नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के मामले में आरोपी पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शनिवार को अपने आवास पर अपनी अस्वस्थ पत्नी से मिलने की अनुमति दे दी. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि आम आदमी पार्टी (आप) नेता सिसोदिया को उनके आवास पर ले जाया जाए जहां उन्हें सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति होगी.
मनीष सिसोदिया को मिली पत्नी से मिलने की इजाजत
हाईकोर्ट ने साफ किया कि मनीष सिसोदिया अपने परिवार के सदस्यों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से या मीडिया से बातचीत नहीं करेंगे और उन्हें फोन या इंटरनेट की सुविधा नहीं होगी. अदालत ने कहा, 'याचिकाकर्ता को कल सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक उनकी पत्नी से मिलवाने के लिए ले जाया जाए.'
उच्च न्यायालय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले में नियमित जमानत और अंतरिम जमानत की सिसोदिया की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. उसने अपना आदेश सुरक्षित रखा. सिसोदिया ने मल्टीपल स्क्लोरोसिस से पीड़ित अपनी पत्नी की बिगड़ती सेहत के आधार पर अंतरिम जमानत मांगी है. उच्च न्यायालय ने ईडी को यह निर्देश भी दिया कि सिसोदिया की पत्नी के चिकित्सा दस्तावेजों की पड़ताल की जाए.
23 साल से इस बीमारी से जूझ रही हैं सिसोदिया की पत्नी
अदालत ने एजेंसी से शनिवार शाम तक रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा. कथित भ्रष्टाचार से जुड़े सीबीआई के मामले में उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत की अर्जी को लंबित रखा. ईडी की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने दलील दी कि सिसोदिया ने इसी आधार पर पहले भी अंतरिम जमानत याचिका दायर की थी जिसे बाद में वापस ले लिया गया था, इसलिए एजेंसी से रिपोर्ट मांगने के लिए कोई आधार नहीं बनता.
उन्होंने कहा कि सिसोदिया की पत्नी पिछले 23 साल से इस बीमारी से जूझ रही हैं और आप नेता के पास 18 विभाग थे, इस लिहाज से वह बहुत व्यस्त मंत्री थे और उनके पास अपने घर के लिए समय नहीं था. राजू ने कहा कि अत: उनकी देखभाल एक सहायक द्वारा की जा सकती है और अदालत सिसोदिया को एस्कॉर्ट के साथ जाने और उनकी पत्नी से मिलने की इजाजत दे सकती है.
उच्च न्यायालय ने आज कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में सह-आरोपी तथा आम आदमी पार्टी के नेता विजय नायर की जमानत अर्जी पर भी दलीलें सुनीं और आदेश सुरक्षित रखा. कारोबारी विजय नायर की ओर से वकील रेबेका जॉन ने दलील दी कि ईडी ने जमानत याचिका पर चार तारीख लेकर इस सुनवाई को एक लघु मुकदमे का रूप दे दिया है.
नायर की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए राजू ने दलील दी कि आप नेता ने ‘साउथ ग्रुप’ से संपर्क किया था, पैसे की मांग की थी और 100 करोड़ रुपये की रिश्वत के लेनदेन को मूर्त रूप दिया गया. उन्होंने कहा कि गवाहों ने यह बात अपने बयानों में कही है. जॉन ने कहा कि जब तक आप इस बात का हिसाब नहीं बताते कि 100 करोड़ रुपये कैसे हुए तब तक यह अपराध से अर्जित धन नहीं हो जाता.
(इनपुट- भाषा)
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