नई दिल्ली: लालकिला हिंसा (Red Fort Violence) कांड के लखटकिया इनामी दीप सिद्धू (Deep Sidhu) ने वो राज खोलने शुरू कर दिये हैं, जिसे बेपर्दा करने की धमकी उसने 26 जनवरी की रात दी थी.


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गिरफ्तारी के बाद दीप सिद्धू (Deep Sidhu) से 15 घंटे से ज्यादा की पूछताछ हो चुकी है. लालकिला कांड के दूसरे गिरफ्तार आरोपी इकबाल सिंह (Iqbal Singh) से भी उसका आमना-सामना करवाया जा चुका है. इसी पूछताछ में सबसे चौंकाने वाला खुलासा हुआ है...


26 जनवरी को लालकिला हिंसा कांड (Red Fort Violence) की साजिश 15 दिन पहले ही तैयार कर ली गई थी. और इसे फूलप्रूफ तरीके से अंजाम देने के लिये बाकायदा लालकिला, विजय चौक और इंडिया गेट के रास्तों की रेकी की गई थी. इस रेकी के लिये खासतौर से कई जत्थे बनाए गए थे, जिनसे मिले इनपुट के जरिये लालकिले में तांडव मचाने का प्लान तैयार किया गया था.


कैसे की गई साजिश की रेकी की तैयारी?
कैसे हर दिन रेकी को अंजाम दिया गया?
रेकी के इनपुट से जोड़े गए साजिश के तार?
और 26 जनवरी को ये रेकी किस तरह काम आई?


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इसकी कड़ियां जुड़ने लगी हैं. जनवरी का पहले हफ्ता याद कीजिए. तब दिल्ली के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) और टीकरी बॉर्डर पर अन्नदाता आंदोलन के मंच से सरकार को सबक सिखाने की एलानिया धमकी शुरू हो चुकी थीं.


यही से साजिश की सुगबुगाहट शुरू हुई थी. हमने तभी से देश को आगाह करना शुरू कर दिया था कि अन्नदाता आंदोलन हाईजैक हो चुका है. इसमें साजिश की घुसपैठ हो चुकी है.


साजिश की 'रेकी' का मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी जल्द?


दीप सिद्धू (Deep Sidhu) और इकबाल सिंह से पूछताछ में ये बात निकलकर सामने आ रही है. उसी हफ्ते लालकिला, विजय चौक और इंडिया गेट की रेकी करने का खाका खींचा गया. एक-एक कर रेकी जत्थे बनाए जाने लगे. जिसकी तादात हफ्ते भर में 20 के पार पहुंच गए. हर जत्थे में कम से कम 15 लोग थे, जो मेट्रो के जरिये नई दिल्ली और दिल्ली सेंट्रल के इलाके तक आते और फिर सड़क के रास्ते लालकिला, विजय चौक और इंडिया गेट (India Gate) तक जाते.


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इस दौरान वो पूरे रास्ते की रेकी करते चलते. मसलन किन रास्तों से पुलिस से टकराए बिना सीधे लालकिला, विजय चौक और इंडिया गेट की ओर जाया जा सकता है. हंगामे के बाद किन रास्तों से भागना आसान होगा. और जरूरत पड़ने पर इन रास्तों में कहां रुका-छिपा जा सकता है.


साजिश गैंग का रेकी जत्था कैसे इसे शातिराना अंदाज में अंजाम दे रहा था, अब वो जान लीजिए.


जो खुलासा हुआ है, उसके मुताबिक रेकी जत्था सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर से रोजाना आंदोलन की हलचल शुरू होने से पहले यानी सुबह दस बजे तक दिल्ली कूच कर जाता था और शाम 6 बजे तक वापसी कर रेकी की पूरी रिपोर्ट साजिश गैंग को देता था.


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रेकी जत्थे में शामिल लोगों को इसे दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन के सीक्रेट प्लान का हिस्सा बताया गया था. लेकिन असल में ये पूरा खेल हिंसा की बिसात बिछाकर सरकार की घेराबंदी का था.


साजिश की कड़ियां जुड़ी, 'जीवी गैंग' की नींद उड़ी!


पुलिस अब 15 जनवरी से लेकर 26 जनवरी के सीसीटीवी फुटेज को खंगालकर उन चेहरों की पहचान में जुटी है, जो साजिश गैंग के रेकी दस्ते का हिस्सा हो सकते हैं.


पुलिस अब इस बात की तह तक पहुंचने में लगी है कि रेकी का आइडिया किसने दिया था. रेकी दस्ते को कमांड देने वाले चेहरे कौन थे. और रेकी दस्ता अपना इनपुट किसे सौंपता था. और इस इनपुट का इस्तेमाल कर साजिश की बिसात बिछाने का काम किसके हिस्से था. जांच इस बात की होनी भी जरूरी है कि रेकी का आइडिया क्या इस पूरे खेल से सियासी चेहरे भी जुड़े थे?


पीएम मोदी (PM Modi) का लोकसभा में धन्यवाद भाषण के बाद पंजाब के कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू का बयान याद कीजिए. रवनीत बिट्टू ने सीधी उंगली योगेंद्र यादव की ओर उठा दी थी.


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25 जनवरी को किसान ट्रैक्टर मार्च (Kisan Tractor Parade) में शांति बनाए रखने का फर्जीगैंग का वादा याद कीजिए. दिल्ली पुलिस को भरोसा दिलाने वालों की अगुवाई योगेंद्र यादव ही कर रहे थे. तब दिल्ली पुलिस को कहा गया था कि दो हजार वॉलेंटियर दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शनकारी किसानों को एकजुट रखने और कानून का पालन करने के लिये तैनात रहेंगे.


26 जनवरी को दिल्ली में हुए गदर में ऐसे वॉलेंटियर नदारद दिखे थे.जांच तो इस बात की भी होनी चाहिए कि क्या उन्हीं वॉलेंटियर्स में साजिशन रेकी दस्ते को चालाकी से शामिल किया गया था, ताकि वो प्रदर्शनकारियों को लालकिले तक पहुंचने का रास्ता दिखा सकें.


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ये तो लालकिला हिंसा कांड की साजिश के बेपर्दा होने की शुरुआत है. देखते जाइए, आगे क्या-क्या चौंकाने वाले खुलासे होते हैं. और किन चेहरों तक इसकी आंच पहुंचती है.


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