चिट्ठी, आरोप और कत्ल... ये है रंजीत सिंह मर्डर केस की कहानी, जिसमें बरी हुए राम रहीम

Ranjit Singh Murder Case: 22 साल पहले डेरा सच्चा सौदा के मैनेजेर रंजीत सिंह की हत्या की गई थी. इस मामले में CBI कोर्ट ने राम रहीम को दोषी माना था. आजीवन जेल साल की सजा सुनाई थी. अब हाई कोर्ट ने राम रहीम को बरी कर दिया है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 28, 2024, 12:23 PM IST
  • CBI ने सुनाई थी आजीवन कारावास की सजा
  • अब हाई कोर्ट ने राम रहीम को किया बरी
चिट्ठी, आरोप और कत्ल... ये है रंजीत सिंह मर्डर केस की कहानी, जिसमें बरी हुए राम रहीम

नई दिल्ली: Ranjit Singh Murder Case: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को रंजीत सिंह हत्याकांड मामले में बरी कर दिया है. पहले CBI कोर्ट ने आजीवन कारावास का फैसला दिया था, अब हाई कोर्ट ने इसे पलट दिया है. इस मामले में राम रहीम के अलावा पांच अन्य लोगों को भी बरी किया गया है. 

3 साल पहले सुनाई सजा
करीब 3 साल पहले यानी 2021 में रंजीत सिंह हत्याकांड में पंचकूला के सीबीआई कोर्ट गुरमीत राम रहीम को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. 31 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

22 साल पुराना है ये मामला
साल 2002 की बात है. तब रंजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा का प्रबंधक (मैनेजर) हुआ करता था. वह कुरुक्षेत्र का रहवासी था. उसका परिवार भी डेरे से जुड़ा था. सबकुछ ठीकठाक चल रहा था. तभी एक चिट्ठी बाहर आई. ये सरकार के बड़े लोगों यक पहुंची. कहा जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी ये चिट्ठी पहुंचाई गई थी.इस गुमनाम चिट्ठी में एक साध्वी का यौन शोषण किए जाने का वाकया बताया गया था.

राम रहीम पर गया शक
चिठ्ठी सामने आते ही हडकंप मच गया. डेरा सच्चा सौदा पर लोगों ने सवाल दागने शुरू कर दिए. मैनेजर रंजीत सिंह भी इस मामले से दुखी थे. लिहाजा, उन्होंने डेरा के मैनेजर पद से अपना इस्तीफा दे दिया. फिर 10 जुलाई, 2002 को खबर आई कि कुछ अज्ञात बदमाशों ने डेरा के पूर्व मैनेजर रंजीत सिंह की हत्या कर दी. तब ये कहा गया कि डेरा प्रमुख राम रहीम को शक था कि वायरल चिट्ठी रंजीत ने अपनी बहन से लिखवाई है. इस वजह से रंजीत की हत्या का शक डेरा प्रमुख पर गया.

CBI ने जांच की
रंजीत के घरवाले इस मामले की जांच CBI से कराना चाहते थे. वे पुलिस जांच से खुश नहीं थे. उन्होंने साल 2003 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले की CBI जांच कराने की गुहार लगाई. हाई कोर्ट ने जांच का जिम्मा CBI को सौंप दिया. साल 2007 में CBI ने चार्जशीट दाखिल कर दी. सीबीआई की विशेष अदालत के जज डॉ. सुशील कुमार गर्ग ने गुरमीत राम रहीम समेत पांच आरोपियों को दोषी करार कर दिया. उन्हें इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. लेकिन अब वे बरी कर दिए गए हैं.

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