नई दिल्ली. इस साल 15 अगस्त के मौके पर पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस मौके पर सरकार की तरफ से आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. आजादी के अमृत महोत्सव और 75वीं वर्षगांठ को खास तरह के मानाने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश वासियों से अपील की है.
क्या आग्राह किया पीएम ने
पीएम मोदी ने देश वासियों से आग्रह किया है कि, वे 15 अगस्त तक अपने घरों या दफ्तरों में झंडा फहराएं. पीएम ने हर घर तिरंगा अभियान की शुरुआत भी की है. पीएम मोदी की इस खास अपील पर देश वासी अपने अपने घरों में तिरंगा झंडा फहरा रहे हैं. लेकिन इस अभियान के सही से सफल बनाने के लिए आपको यह भी पता होना चाहिए कि झंडा फहराने को लेकर भारतीय कानून में क्या नियम हैं?
झंडा फहराने को लेकर हैं नियम कायदे
बता दें कि, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराने को लेकर कुछ नियम कायदे भी बनाए गए हैं. इसके अलावा झंडा फहराने के बाद तिरंगे को पूरे सम्मान के साथ फोल्ड करने और रखने के लिए भी नियम हैं. हर किसी के लिए राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है. अगर आप भी इस आजादी के अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा अभियान के तहत झंडा फहरा रहे है. तो आपको भी इन नियम कानूनों के बारे में पता होना जरूरी है.
संविधान में भी बताए गए हैं कर्तव्य
भारतीय संविधान में बताए गए मूल कर्तव्यों में भी भारतीय ध्वज के सम्मान के बारे में समझाया गया है. संविधान के अनुच्छेद 51 A(a) के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों एवं संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रगान का सम्मान करे.
इसके अलावा हाल ही में भारत सरकार ने घोषणा की थी कि, राष्ट्रीय ध्वज ‘‘जहाँ ध्वज खुले में प्रदर्शित किया जा सकता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जा सकता है, इसे दिन-रात फहराया जा सकता है. सरकार ने इससे पहले मशीन से बने और पॉलिएस्टर के झंडे के उपयोग की अनुमति देने के लिये ध्वज संहिता में संशोधन किया था. सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान शुरू करने के साथ ही गृह मंत्रालय ने भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में संशोधन किया है, ताकि रात में भी राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जा सके.
भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में बनाए गए हैं नियम
भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में, तिरंगे से जुड़े नियम व कानून बताए गए हैं. इन कानूनों के बनने से पहले तिरंगा केवल सरकारी बिल्डिगों पर तुछ खास लोगों द्वारा ही फहराया जा सकता था. साथ ही इसे केवल सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ही फहराया जाता था. लेकिन अब तिरंगे को रात में भी फहराया जा सकता है. साथ ही किसी भी दिन झंडे को फहराया जा सकता है. पहले इसे केवल राष्ट्रीय उत्सवों यानी 15 अगस्त और 26 जनवरी पर फहराने की मंजूरी थी.
झंडे पर कुछ भी लिखना है मना
तिरंगे झंडे पर कुछ भी लिखना, या बनाना गैरकानूनी है. साथ ही किसी भी गाड़ी या वाहन के पिछले हिस्से में तिरंगा नहीं रखा या बनाया जा सकता है. किसी भी बिल्डिंग या सामान को ढंकने के लिए तिरंगे का प्रयोग वर्जित है. तिरंगा फहराते वक्त यह यह ध्यान रखना चाहिए कि, तिरंगा किसी भी हाल में जमीन को ना छुए.
सजावट के लिए नहीं कर सकते हैं प्रयोग
तिरंगे को किसी भी तरह की सजावट के लिए इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता है. इसके अलावा इसका प्रयोग किसी भी तरह की ड्रेस या यूनीफॉर्म के लिए नहीं होना चाहिए. तिरंगे को कभी भी किसी की पीठ की तरफ नहीं फहराया जा सकता है. किसी और झंडे को तिरंगे से ऊंचा फहराने पर भी मनाही है.
आधा झुका झंडा फहराने पर मनाही
जब तक सरकारी आदेश ना हो तब तक तिरंगे को किसी भी हाल में आधा झुका हुआ नही फहराया जा सकता है. इसके अलावा, किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए. झंडे को कभी भी पानी में नहीं डुबोया जा सकता. इसको कभी भी फिजिकल डैमेज नहीं पहुंचा सकते. झंडा अगर फट जाए या फिर मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से नष्ट करना चाहिए.
झंडे का आकार का रखें खास ध्यान
झंडा फहराते वक्त इसके आकार का भी खास ध्यान रखना जरूरी है. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि, जो भी झंडा हम फहरा रहे हैं, उसका आकार 3 अनुपात 2 का होनी चाहिए. इसके साथ ही केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके झंडे का लगाया या फहराया नहीं जा सकता.
तिरंगे को फोल्ड करने को लेकर ये हैं नियम
झंडे को फहराने के साथ साथ उसे फोल्ड करने को लेकर भी कुछ नियम हैं. झंडे को फेलड करते वक्त उसे पट या क्षैतिज अवस्था में रखें. फिर पहले इस तरह से मोड़ें कि, केसरिया और हरे पट्टी के बीच सफेद पट्टी हो. उसके बाद दबसरे फोल्ड को इस तरह करें कि, दोनों पट्टियों के बीच में केवल अशोक चक्र दिखाई दे. इसके बाद झंडे को दोनों हथोलियों को पर रखते हुए सुरक्षित स्थान पर रखें.
नियम का पालन ना करने पर होगी सजा
भारतीय ध्वज से जुड़े इन नियमों का पालन ना करने पर सजा का भी प्रावधान है. राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 राष्ट्रीय ध्वज, संविधान, राष्ट्रगान और भारतीय मानचित्र सहित देश के सभी राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान को प्रतिबंधित करता है. यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के तहत इससे जुड़े अपराधों में दोषी ठहराया जाता है, तो वह 6 वर्ष की अवधि के लिये संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य हो जाता है.
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