18 साल पुलिस की नौकरी, दावा भगवान से साक्षात्कार का, जानें कौन हैं स्वयंभू संत भोले बाबा, जिनके सत्संग में मची भगदड़

Saint Bhole Baba Biography: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिला के सिकंदराबाद में स्वयंभू संत भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली है. बताया जा रहा है कि सत्संग में भारी तादाद में स्वयंभू संत भोले बाबा के भक्त मौजूद थे. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर स्वयंभू संत भोले बाबा कौन हैं. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Jul 2, 2024, 07:00 PM IST
  • कांशीराम नगर के रहने वाले हैं भोले बाबा
  • बचपन में खेती-बाड़ी का करते थे काम
18 साल पुलिस की नौकरी, दावा भगवान से साक्षात्कार का, जानें कौन हैं स्वयंभू संत भोले बाबा, जिनके सत्संग में मची भगदड़

नई दिल्लीः Saint Bhole Baba Biography: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिला के सिकंदराबाद में स्वयंभू संत भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली है. वहीं, कई लोगों के घायल होने की खबरें भी सामने आ रही है. इसके अलावा हादसे में हताहतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. बताया जा रहा है कि सत्संग में भारी तादाद में स्वयंभू संत भोले बाबा के भक्त मौजूद थे. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर स्वयंभू संत भोले बाबा कौन हैं. 

कांशीराम नगर के रहने वाले हैं भोले बाबा
रिपोर्ट्स की मानें, तो स्वयंभू संत भोले बाबा मूलरूप से कांशीराम नगर (कासगंज) में पटियाली गांव के रहने वाले हैं. पहले वे उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी करते थे, लेकिन 18 सालों की नौकरी के बाद उन्होंने वीआरएस ले लिया और अपने गांव में ही एक झोपड़ी बनाकर रहने लगे. इस दौरान वे उत्तर प्रदेश के अलावा आसपास के भी इलाकों में घूमकर लोगों को भगवान की भक्ति का पाठ पढ़ाने लगे. 

बचपन में खेती-बाड़ी का करते थे काम 
मीडिया को दिए अपने पुराने साक्षात्कार में स्वयंभू संत भोले बाबा ने बताया था कि वे बचपन में अपने पिता के साथ खेती-बाड़ी का काम किया करते थे और जब वे बडे़ हुए तो यूपी पुलिस में भर्ती हो गए. इस दौरान उनकी पोस्टिंग राज्य के दर्जन भर थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में भी रही है. स्वयंभू संत भोले बाबा की मानें, तो उनके जीवन में उनका कोई गुरु नहीं है. 

भक्तों की फरियाद पर जाते हैं भोले बाबा 
स्वयंभू संत भोले बाबा बताते हैं कि वीआरएस लेने के बाद उन्हें अचानक भगवान से साक्षात्कार हुआ और उसी समय से उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया और वे भगवान की भक्ति करने लगे. साथ ही पूरा जीवन भगवान की भक्ति ने बिताने का फैसला कर लिया. स्वयंभू संत भोले बाबा का दावा है कि वे खुद कहीं नहीं जाते हैं, बल्कि उनके भक्त उन्हें बुलाते हैं और वे अपने भक्तों के फरियाद पर ही अलग-अलग स्थानों पर लगातार जाते रहते हैं. 

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