नई दिल्लीः चारों तरफ से घिरे पाक पीएम को एक फिलहाल एक मोर्चे पर राहत मिल गई है. चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान ने सेना प्रमुख जनरल बाजवा का कार्यकाल छह महीने तक बढ़ाने के लिए आदेश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, सेना प्रमुख के तौर पर जनरल बाजवा की वर्तमान नियुक्ति छह महीने तक रहेगी. नया कानून बनने के बाद उनका आगे का कार्यकाल तय होगा. इमरान खान को आर्मी एक्ट में संशोधन करना होगा और फिर इसे संसद से मंजूरी मिल जाएगी. इसके बाद इमरान खान के पास अधिकार होगा कि वह सेना प्रमुख के कार्यकाल बढ़ाए जाने का नोटिस जारी करें. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पाक पीएम ने ट्वीट कर खुशी जताई है.
आपातकाल की बन रही थी स्थिति
इन छह महीनों में इमरान खान की सरकार सेना प्रमुख के कार्यकाल बढ़ाए जाने पर संसद में नया नियम बनाएगी. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आसिफ सईद खोसा, जस्टिस मियां मजहर आलम खान और जस्टिस सैयद मंसूर अली शाह की बेंच ने यह फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट में मुद्दा चले जाने से पाकिस्तान के लिए यह सबसे मुश्किल दौर था. मुल्क में आपातकाल की स्थिति बन रही थी. सेना प्रमुख से क़मर जावेद बाजवा के तीन साल का कार्यकाल 29 नवंबर को यानी आज खत्म होने वाला था लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान ने तीन साल के लिए पहले ही बढ़ा दिया था.
पीएम इमरान खान ने जताई खुशी
इमरान खान ने ट्वीट कर कहा, 23 साल पहले हमारी पार्टी ने पहली बार स्वतंत्र न्यायपालिका और कानून के राज की वकालत की थी. 2007 में पीटीआई ने न्यायपालिका की स्वंतत्रता के लिए आंदोलन शुरू किया था और मैं इसके लिए जेल भी गया था. जस्टिस खोसा के प्रति मेरे मन में अपार आदर है. वह पाकिस्तान के बेहतरीन कानूनविद हैं. कार्यकाल बढ़ाने के खिलाफ पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खोसा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच तीन दिनों से सुनवाई कर रही थी.
कई लोगों को आशंका थी कि कहीं इमरान खान के फैसले को सुप्रीम कोर्ट रद्द न कर दे. इमरान ख़ान की सरकार भी इसे लेकर पसोपेश में थी. सुनवाई के दौरान ही कैबिनेट की आपातकालीन बैठक हुई थी और कानून मंत्री का इस्तीफा ले लिया गया था. कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में इस्तीफे के बाद जनरल बाजवा के कार्यकाल बढ़ाए जाने के पक्ष में तर्क रखा.
For the record, 23 yrs ago we were the first Party to advocate an independent Judiciary and Rule of Law. In 2007, PTI was in the forefront of the Movement for Independence of the Judiciary & I was jailed for it.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) November 28, 2019
इमरान पहले खुद कार्यकाल बढ़ाने के पक्षधर नहीं थे
सत्ता में आने से पहले इमरान खान सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाए जाने के पक्षधर नहीं थे. उन्होंने कहा था कि किसी भी सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाना सेना के नियमों को बदलने का काम है जो एक संस्था के रूप में सेना को कमजोर करता है. इमरान का यह बयान 2010 में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सरकार में सेना प्रमुख रहे अशफाक परवेज कयानी के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के बाद आया था. उस समय एक टेलीविज़न इंटरव्यू में इमरान ने कहा था, ऐतिहासिक रूप से चाहे युद्ध ही क्यों न चल रहा हो पश्चिम के देश अपने सेना प्रमुख का कार्यकाल नहीं बढ़ाते. संस्थाएं अपने नियम कायदे का अनुसरण करती हैं और जब एक व्यक्ति के लिए इसमें बदलाव किया जाता है तो संस्थाएं नष्ट हो जाती हैं, जैसा कि जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने किया और सभी तानाशाह करते रहे हैं.
इसके उलट जनरल राहील शरीफ ने आश्चर्यजनक रूप से रिटायर होने से 10 महीने पहले यह घोषणा कर दी थी कि वो कार्यकाल बढ़ाए जाने को स्वीकार नहीं करेंगे. हालांकि उन्हें ऐसा ऑफर तक नहीं किया गया था. इस पर इमरान ने 25 जनवरी 2016 को ट्वीट किया कि कार्यकाल के विस्तार को स्वीकार नहीं करने की घोषणा से जनरल राहील शरीफ का कद बढ़ा है. पाकिस्तान बनने के बाद से सेना की मुल्क में अहम भूमिका रही है. यहां की सरकार में सेना की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भूमिका हमेशा से रही है. इमरान खान ने जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल बढ़ाए जाने के समर्थन में कहा था कि सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए उनका रहना जरूरी है.
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