नई दिल्लीः India's First Underground Museum: अक्सर बीजेपी मुगलों पर हमलावर रहती है, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने देश के प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर हुमायूं के मकबरे में देश के पहले भूमिगत संग्रहालय का निर्माण करवाया है. रिपोर्ट्स की मानें, तो देश के पहले भूमिगत संग्रहालय का उद्घाटन 29 जुलाई को केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे. इस संग्रहालय का डिजाइन मुगलकालीन शिल्प कौशल के साथ-साथ आधुनिक 21वीं सदी की वास्तुकला से मेल खाता है.
21 से 31 जुलाई तक भारत करेगा WHC की मेजबानी
देश की राजधानी दिल्ली स्थित भारत मंडपम में 21 से 31 जुलाई तक विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र की बैठक होने जा रही है और भारत पहली बार यूनेस्को के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है. ऐसे में इस वक्त पर संग्रहालय का उद्घाटन देश की धरोहरों के प्रति मोदी सरकार के प्रतिबद्धता को दर्शाता है. दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित 16वीं सदी का हुमायूं का मकबरा यूनेस्को की लिस्ट में शामिल दिल्ली के तीन विश्व धरोहर स्थलों में से एक है.
एकेटीसी कर रहा है संग्रहालय का निर्माण
रिपोर्ट्स की मानें, तो उद्घाटन समारोह में प्रतिष्ठित आगा खां परिवार को भी निमंत्रित किया जा सकता है. आगा खां ट्रस्ट फॉर कल्चर (एकेटीसी), भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की तरफ से इस संग्रहालय का निर्माण कर रहा है. एकेटीसी के अनुसार, संग्रहालय का निर्माण विश्व धरोहर परिसर के प्रवेश क्षेत्र में किया गया है और यह निजामुद्दीन, सुंदर नर्सरी और 16वीं शताब्दी के मकबरे के तीन स्थलों के बीच एक पुल के रूप में काम करेगा. यह संग्रहालय पिछले सात शताब्दियों में निजामुद्दीन क्षेत्र की विरासत को प्रदर्शित करेगा.
2015 में शुरू हुआ था निर्माण कार्य
एकेटीसी के एक शीर्ष अधिकारी ने पहले बताया था कि संग्रहालय में गैलरी, एक पुस्तकालय, सेमिनार हॉल, एक शिल्प केंद्र और एक जलपान गृह सहित अन्य चीजें शामिल होंगी. उन्होंने कहा था कि मुगल स्मारक हुमायूं का मकबरा का अंतिम हिस्सा, जो 2014 के तूफान में ढह गया था, यही इसका केंद्र होगा.
उत्तर भारत की मध्ययुगीन बावलियों (पानी की टंकियों) से प्रेरित, 10,000 वर्ग मीटर में निर्मित यह भूमिगत संग्रहालय अपने डिजाइन में मुगलकालीन शिल्प कौशल के साथ आधुनिक 21वीं सदी की वास्तुकला से मेल खाता है. यहां 16वीं सदी के ऐतिहासिक मकबरे में देश के पहले भूमिगत संग्रहालय के निर्माण पर काम अप्रैल 2015 में शुरू हुआ था.
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