दक्षिण एशिया का इज़राइल है भारत

 भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला करके गलवान घाटी में हमारे सैनिकों की हत्या के मामले में चीन कुछ नहीं कह पा रहा है और सामरिक या कूटनीतिक मोर्चे पर भी वह भारत पर जीत हासिल नहीं कर पा रहा है ऐसे में उसने चली है ये बेहद घटिया चाल. लेकिन भारत दक्षिण एशिया का इज़राइल है, दुश्मनों से घिर कर भी अपनी सुरक्षा करने में समर्थ है..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Aug 1, 2020, 07:16 AM IST
    • चीन ने आयोजित की चार देशों के विदेश मंत्रियों की संयुक्त वेबिनार
    • नेपाल और पाकिस्तान पहले ही ऐंठे हुए हैं
    • ये वैश्विक नहीं पड़ोसी-घेरा बंदी है
    • कोरोना-आरोप से बचने की कोशिश
    • भारत को भी बनानी होगी थ्री-वे-रुट योजना
 दक्षिण एशिया का इज़राइल है भारत

नई दिल्ली.   इससे बड़ा शत्रुता का प्रमाण क्या हो सकता है कि एक पड़ौसी देश हमारी सीमा पर आकर हमें आंखें दिखाने की कोशिश करे और उसके बाद कड़ा जवाब मिलने पर हमें चारों तरफ से घेरने की कोशिश करे और हमारे दूसरे पड़ोसियों को पैसे की मृग-तृष्णा का शिकार बना कर हमारे खिलाफ तैयार करे और उकसाये - ये चीन की घटिया घेराव नीति है.  पर भारत पर उसका कोई प्रभाव न पड़ने वाला है. 

चीन की वेबिनारी शुरुआत

चीन के आमंत्रण पर चार देशों के विदेश मंत्रियों ने आपस में ऑनलाइन बैठक की और उसका सीधी तौर पर उद्देश्य भारत-विरोध की एक रस्सी से बंध जाना था. भारत के मित्र देशों को जो उसके पड़ोसी भी हैं चीन ने अपने छाते के नीचे लाने की चली है ये चाल. चीन के विदेश मंत्री वांग ने आयोजित की एक संयुक्त वेबिनार जिसमें शामिल हुए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नेपाल के विदेश मंत्री.  कहने को तो कोरोना से जंग के लिए हुई थी वेबिनार परन्तु इस वेबिनार का सीधा और इकलौता एजेंडा भारत को दक्षिण एशिया में अकेला करना था और सारी बात-चीत इस वेबिनार में इस विषय पर ही हुई. 

नेपाल और पाकिस्तान पहले ही ऐंठे हुए हैं 

पाकिस्तान के डीएनए में भारत विरोध है और अब चीन के गोद लिए बेटे नेपाल ने भी भारत का विरोध शुरू कर दिया है. इस स्थिति का लाभ चीन ने लिया और उसने अफगानिस्तान को भी भारत विरोध के छाते के नीचे ले लिया.  बांग्लादेश की यात्रा करके शी जिनपिंग ने शेख हसीना को भी बरगला दिया है. इमरान ने भी घंटों फ़ोन करके शेख हसीना के कान में भारत विरोध का जहर उड़ेला. और उसका फायदा भी तुरंत देखने में आ गया. पर अभी चीन की इस भारत विरोधी लॉबी में तुर्की और ईरान को शामिल क्यों नहीं किया गया?

ये वैश्विक नहीं पड़ोसी-घेरा बंदी है 

दरअसल यह चीन की वैश्विक घेराबंदी नहीं पड़ोसी घेराबंदी है जिसमें भारत को अकेला कर देने की मंशा है. तुर्की और ईरान को चीन बाद में वैश्विक तौर पर अपने साथ जोड़ सकता है. अपने नए भारत-विरोधी मित्रों अफगानिस्तान और नेपाल के लिए वांग का सन्देश साफ़ थे जिसमें कहा गया कि चीन और पाकिस्तान की दोस्ती आप लोगों के लिए सबसे अच्छी मिसाल है - हम दोनों ने मिल कर कोरोना पर जीत हासिल की है. दक्षिण एशिया के हर देश के लिए चीन ने आमंत्रण संदेश स्पष्ट कर दिया है कि आप लोगों को भी इस आयरन फ्रेंडशिप का हिस्सा बनना चाहिए. 

कोरोना-आरोप से बचने की कोशिश

चीन ने एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की है. पाकिस्तान से आयरन-मैत्री का उदाहरण चीन ने कोरोना की जंग में जीत दिखाने के लिए दिया है लेकिन दूसरी तरफ दुनिया को ये दिखाने की कोशिश की कि उस पर कोरोना साजिश का आरोप झूठा है.  यहां पर चीन इस तथ्य को कैसे नकार सकता है कि भारत ने अपने सभी दक्षिण एशियाई पड़ोसियों को करोड़ों रुपए और दवाइयां भेज कर कोरोना के खिलाफ जंग में उनका साथ दिया है. 

भारत को भी बनानी होगी थ्री-वे-रुट योजना

इस बात को दुनिया समझ रही है कि चीन का सिल्क रुट मूल रूप से उसका सामरिक रुट है. कोरोना से जंग लड़ने के बहाने शातिर चीन दक्षिण एशिया में अपने सामरिक लक्ष्य की दिशा में पहलकदमी कर रहा है. सिल्क रुट में उसने काँटों से भरे आतंकियों से घिरे अफगानिस्तान को भी जोड़ लिया है और उसका दुहरा फायदा उठाने की कोशिश है चीन की. चीन की सड़क अब हिमालय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ सौ किलोमीटर के हिंदूकुश पर्वत से हो कर ईरान तक जायेगी. चूंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से हो कर गुजरेगी इसलिए भारत इस सड़क और इस योजना को स्वीकार नहीं कर सकता. अब इसकी काट करकने के लिए भारत को भी समग्र दक्षिण एशिया को जल मार्ग, थल मार्ग और वायु मार्ग से एक सूत्र में जोड़ने की योजना बनानी होगी.

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