S-400 मिसाइलों की खरीद पर भारत की दो टूक, कहा- राष्ट्रीय सुरक्षा हितों से तय होते हैं रक्षा सौदे

एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की खरीद को लेकर भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध की संभावना को लेकर जतायी जा रही आशंकाओं के बीच विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया आई है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 27, 2021, 10:45 AM IST
  • भारत बोला- हमारी स्वतंत्र विदेश नीति है
  • मास्को ने मिसाइल की आपूर्ति की शुरू
S-400 मिसाइलों की खरीद पर भारत की दो टूक, कहा- राष्ट्रीय सुरक्षा हितों से तय होते हैं रक्षा सौदे

नई दिल्लीः भारत की स्वतंत्र विदेश नीति है और उसकी रक्षा खरीद का मार्गदर्शन राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के तहत होता है. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यह प्रतिक्रिया दी. मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया रूस से एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की खरीद को लेकर भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध की संभावना को लेकर जतायी जा रही आशंकाओं के बीच सामने आई है. 

'रूस के साथ है विशेष सामरिक गठबंधन'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से इस विषय पर भारत की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया था. उनसे यह भी पूछा गया था कि रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान क्या यह मुद्दा उठा. प्रवक्ता ने कहा, ‘भारत और अमेरिका के बीच समग्र वैश्विक सामरिक गठजोड़ है तथा भारत का रूस के साथ भी विशेष सामरिक गठबंधन है. हमारी स्वतंत्र विदेश नीति है. यह बात हमारी रक्षा खरीद एवं आपूर्ति पर भी लागू होती है, जिसका मार्गदर्शन राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के तहत होता है.’’ 

भारत, रूस व चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक
वहीं, आरआईसी समूह की डिजिटल माध्यम से हुई बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा से अंगीकार विषयों के अलावा किसी तरह का एकतरफा प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है. इसमें हालांकि किसी विशिष्ट मामले का जिक्र नहीं किया गया. रूस, भारत और चीन (आरआईसी) समूह के विदेश मंत्रियों की शुक्रवार को डिजिटल माध्यम से बैठक हुई. इसे संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आरआईसी देशों के लिए यह आवश्यक है कि आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरों से निपटने में अपने रुख को लेकर वे समन्वय स्थापित करें. 

इस बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि ऐसे एकतरफा प्रतिबंधों का तीसरे देश तथा अंतरराष्ट्रीय आर्थिक एवं कारोबारी संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समित के कामकाज के तौर तरीकों को मजबूत बनाने की बात कही ताकि इसका प्रभाव, प्रतिक्रिया और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके. 

गौरतलब है कि रूस के सरकारी स्वामित्व वाले रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के प्रमुख एलेक्जेंडर ने पिछले सप्ताह कहा था कि मास्को ने भारत को एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की आपूर्ति प्रारंभ कर दी है. भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली के पांच यूनिट की खरीद के लिए सौदे पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, उस समय अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने इस सौदे पर आगे बढ़ने पर प्रतिबंध की चेतावनी दी थी.

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